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बिहारशरीफ कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: नाबालिग लड़की को भगा कर शादी करने व शारीरिक संबंध बनाने के आरोपी को किया बरी,आखिर क्यों पढिये

बिहारशरीफ कोर्ट का ऐतिहासिक फैसला: नाबालिग लड़की को भगा कर शादी करने व शारीरिक संबंध बनाने के आरोपी को किया बरी,आखिर क्यों पढिये

NALANDA. नाबालिग लड़की को भगा कर शादी करने व शारीरिक संबंध बनाने के आरोपी को बिहार शरीफ की कोर्ट ने सबूत रहते बरी कर दिया। इतना ही नहीं किशोर न्याय परिषद में ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए यह भी कहा की नाबालिग दंपति को साथ रहने दिया जाए। नाबालिग का साथ रहना कानूनी रूप से मान्य नहीं है। उसके बावजूद जज ने कहा यह केस अपराध है दूसरे मामलों में फैसला नजीर नहीं बनेगा।

किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्रा ने शुक्रवार को यह ऐतिहासिक फैसला सुनाते हुए कहा है कि नाबालिग दम्पती के गुनाह की सजा 4 माह का मासूम न भुगते। न्यायाधीश ने कहा है कि दूसरे मामले में अपराध की गंभीरता कम करने के लिये इस फैसले का नजीर के तौर पर इस्तेमाल नहीं किया जा सकता।

क्या था मामला?

बिहार शरीफ की रहने वाली एक नाबालिग लड़की को अप्रैल 2019 में एक किशोर ने भगा कर शादी की थी ।आज की तारीख में उसे 4 माह का बच्चा भी है। बिहारशरीफ कोर्ट ने देश का यह पहला इकलौता फैसला दिया है जिसमें अपराध का सबूत रहते मानवीय और सामाजिक आधार पर आरोपी को बरी किया गया है ।इस मामले में जज ने स्पष्ट कहा है कि दोनों को 4 माह का बच्चा भी है। ऐसे में नाबालिग मां-बाप को अगर सजा दी जाती है तो एक शिशु का पालन नहीं होगा। सिर्फ उसका पालन पोषण व संरक्षण हीं प्रभावित नहीं होगा बल्कि एक साथ तीन जिंदगी प्रभावित होंगी। किशोर न्याय परिषद के प्रधान दंडाधिकारी मानवेंद्र मिश्रा को यह भी आशंका थी कि नाबालिग लड़की कि ऑनर किलिंग भी हो सकती है और बच्चे की जान भी खतरे में पड़ सकती है। 

किशोरी के पिता को नहीं मंजूर था रिश्ता

बताया जा रहा है कि किशोरी के पिता अंतर्जातीय शादी से खुश नहीं थे। इस स्थिति में कोर्ट उन्हें अपनी नाबालिग पुत्री को साथ ले जाने के लिए बाध्य नहीं कर सकता। वही अगर किशोर को सजा दिया जाता तो उसके माता-पिता भी लड़की और बच्चे को साथ रखने से इंकार कर सकते थे। वहीं नाबालिग लड़की को कोई अन्य व्यक्ति भी स्वीकार नहीं कर सकता क्योंकि वह एक बच्चे की मां बन चुकी है ।माता पिता ने लोक लाज के भय से पहले ही अपनाने से इंकार कर दिया था।

इन सारी परिस्थितियों को संज्ञान में रखते हुए न्यायाधीश ने देश का इकलौता फैसला सुनाया। जिसमें अपराध का सबूत रहते माननीय और सामाजिक आधार पर आरोपी को बरी कर दिया गया ।बता दें कि अगस्त 2019 में ही किशोरी ने कोर्ट में बयान दर्ज कराया था कि वह अपेक्षा से किशोर के साथ भागी थी और शादी की थी वहीं दूसरी तरफ किशोरी के पिता ने किशोर के अलावा उसके माता-पिता और दो बहनों को आरोपी बनाया था। हालांकि आईओ एसआई ने अन्य चारों को जांच में निर्दोष बताते हुए सिर्फ किशोर के विरुद्ध आरोप पत्र दिया था।

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