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लेटर वाली सियासत में नीतीश ने कर दिया बड़ा लोचा!तेजस्वी लालू देखते रह गए,नहीं किया समर्थन..राजद में भड़क रही आग

लेटर वाली सियासत में नीतीश ने कर दिया बड़ा लोचा!तेजस्वी लालू देखते रह गए,नहीं किया समर्थन..राजद में भड़क रही आग

PATNA : विपक्ष नेताओं के खिलाफ हो सीबीआई और ईडी की कार्रवाई को लेकर नौ नेताओं ने प्रधानमंत्री को पत्र लिखा है। जिसमें कहा गया है कि भारत जैसे ऐतिहासिक लोकतंत्रिक देश में जिस तरह से विपक्ष के नेताओं पर एक के बाद एक हमला बोला जा रहा है। उससे लोग यह महसूस कर रहे हैं कि हम लोकतंत्र नहीं बल्कि तानाशाही में रह रहे हैं। वहीं बड़ी बात यह कि इस पत्र को लिखे जाने के बाद से सवाल उठ रहा है कि कांग्रेस और जेडीयू के किसी नेता का नाम इस पर क्यों नहीं है? अब बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने इस पत्र को लेकर पल्ला झाड़ लिया है। शनिवार को पटना के एक कार्यक्रम में सीएम ने साफ किया कि कौन क्या कर रहा है, इसको लेकर चिंतित नहीं है।

इन नेताओं ने लिखा है पत्र

यह पत्र फारुख अब्दुल्ला, शरद पवार, उद्धव ठाकरे, अखिलेश यादव, के. चंद्रशेखर राव, ममता बनर्जी, अरविंद केजरीवाल, भागवंत मान और तेजस्वी यादव की ओर से लिखा गया है। बड़ी बात यह कि इस पत्र को लिखे जाने के बाद से सवाल उठ रहा है कि कांग्रेस और जेडीयू के किसी नेता का नाम इस पर क्यों नहीं है? यह माना जा रहा है कि आप पार्टी की स्थानीय राजनीति की वजह से इन दोनों पार्टियों के नेताओं के नाम इस पर नहीं हैं। लेकिन पत्र से मैसेज यह जा रहा कि एक बार फिर बीजेपी या नरेन्द्र मोदी के खिलाफ सभी विपक्षी पार्टियां एकजुट नहीं हो पाईं। 

सभी 9 विभिन्न घोटाले के आरोपी - सुशील मोदी

बीजेपी नेता सुशील मोदी ने कहा है कि जिन 9 लोगों ने पत्र पर हस्ताक्षर किया है। वे विभिन्न घोटाले के आरोपी हैं। इन पर सीबीआई की जांच चल रही है। भ्रष्टाचार में आकंठ डूबे लोग पत्र लिख रहे हैं। मनीष सिसोदिया के साथ अगर कुछ गलत हो रहा है तो उसके लिए कोर्ट है। नीतीश कुमार के बारे में तो अमित शाह ने साफ कर लिया है कि नीतीश कुमार अब एनडीए में शामिल नहीं हो सकते।

मनीष सिसोदिया पर कार्रवाई नहीं

पत्र में 26 फरवरी 2023 को दिल्ली के उप मुख्यमंत्री मनीष सिसोदिया की गिरफ्तारी पर सवाल खड़े किए गए हैं। कहा गया है कि जब जांच एजेंसियों को उनके खिलाफ कोई सबूत हासिल नहीं के बावजूद उन्हें गिरफ्तार किया गया है। इससे लोगों में गलत संदेश जा रहा है कि हम बीजेपी के तानाशाही में जी रहे हैं। वर्ष 2014 में आप की सरकार बनने के बाद जिस तरह से विपक्ष के नेताओं पर एक के बाद एक कार्रवाई हो रही है वह हमें सोचने को मजबूर कर रहा है।

बीजेपी में शामिल हो रहे नेताओं पर कार्रवाई नहीं

यहां यह भी देखना होगा कि ज्यादातर विपक्ष के नेताओं पर कार्रवाई हो रही है। जबकि जो विपक्ष के नेता बीजेपी में शामिल हो रहे हैं। उन पर कोई कार्रवाई नहीं हो रही। इस पत्र में पूर्व कांग्रेस नेता और वर्तमान में असम के मुख्यमंत्री हेमंत बिसवा शर्मा और महाराष्ट्र के प्रमुख नेता नारायण राणे का जिक्र भी किया गया है जो बीजेपी में शामिल हुए। इसके बाद उन पर कोई कार्रवाई नहीं हुई।

2014 से केंद्रीय एजेंसी ज्यादा कार्रवाई नहीं

वर्ष 2014 के बाद विपक्ष के नेताओं के खिलाफ केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई में बेतहाशा वृद्धि हुई है। चाहे लालू प्रसाद यादव हों, अभिषेक बनर्जी, अनिल देशमुख, नवाब मलिक, आजम खान या संजय रावत, अनेक मामलों में केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई ने यह आशंका पैदा की है कि यह केंद्र सरकार के ही इशारे पर काम कर रही हैं। पत्र में आगे लिखा गया है कि दुरुपयोग सिर्फ ईडी तक ही सीमित नहीं है।

हाल में एक अंतरराष्ट्रीय वित्तीय रिपोर्ट के मुताबिक एसबीआई और एलआइसी जैसी बड़ी संस्थाओं को उनके शेयर कैपिटल में 78000 करोड़ रुपए से ज्यादा का नुकसान हुआ है। इन जांच एजेंसियों को बजाय विपक्ष के नेताओं को टारगेट करने के इस मामले की जांच करनी चाहिए।

गवर्नर हाउस का दुरुपयोग

बात सिर्फ यहीं तक सीमित नहीं है। देश के संघीय ढांचे पर एक और तरीके से प्रहार किया जा रहा है। विभिन्न गवर्नर हाउस के दुरुपयोग से संवैधानिक व्यवस्था खतरे में है। दिल्ली, पश्चिम बंगाल, तेलंगाना, महाराष्ट्र और तमिलनाडु में जिस तरह से राज्यपाल और गैर भाजपा सरकारों के बीच विवाद बढ़ रहा है।

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