बिहार में हत्या की घटनाएं बढ़ी हैं,ये हमारा कहना नहीं है, ये आंकड़ों की जुबानी विपक्ष का कहा रहा हैै .बिहार में बहार है, नीतीशे कुमार है… नीतीश कुमार के लिए चुनावी कैंपेन का नारा भले ही बाद में आया, लेकिन वर्ष 2005 में बिहार की सत्ता पर नीतीश के काबिज होते ही बहार दिखी. 2005 और 2010 में नीतीश कुमार बीजेपी के साथ गठबंधन कर मुख्यमंत्री रहे.2005 मे सत्ता में आते हीं अपराध पर नकेल कसना शुरु किया और सफल भी हुए. बाहुबली शहाबुद्दीन ,अनंत सिंह जैसे लोग जेल की दीवारों में कैद कर दिए गए. लोगों का विश्वास बढ़ा.
बिहार में सत्ता बदलने, सरकार बनने बनाने का दौर चलता रहा. इस बाच अपराध के ग्राफ में वृद्दि- कमी भी दर्ज होती रही. 2015 में नीतीश भाजपा से नाता को तोड़ कर राजद के साथ सरकार बनाया. मतभेद शुरु हुआ तो 2017 में अलग होकर भाजपा के साथ सरकार बनाया. इस बार भी जदयू की भाजपा से उनकी नहीं पटी और अगस्त 2022 में फिर से राजद के साथ सरकार बनाया. बहरहाल वर्ष 2010 तक नीतीश अपराधियों पर नकेल कसने में पूर्ण रुप से सफल रहे.नीतीश को सुशासन बाबू कहा जाने लगा. लेकिन 2010 से वर्ष 2022 आते आते अपराधियों का मनोबल इतना बढ़ गया कि वे पुलिस पर भी हमला करने से नहीं चूक रहे. वर्ष 2022 में अपराध के ग्राफ में वृद्धि हुई है. नीतीश सरकार में बढ़ते अपराध ने कहीं न कहीं नीतीश के साख पर प्रश्नचिह्न लगा दिया है.
अपराधियों के हौसले कितने बुलंद हैं इसका पता इसी से चलता है कि राज्य की राजधानी और सरकार की नाक के नीचे केवल जुलाई महीने में हीं 30 हत्याएं हुई. 31 जुलाई को पटना के कुर्जी मोड़ पर बाइक सवार अपराधियों ने फिल्मी स्टाइल में वार्ड पार्षद सुचित्रा सिंह के पति निलेश मुखिया को गोलियों से छलनी कर दिया.निलेश मुखिया की पत्नी सुचित्रा सिंह का आरोप है कि पिछले चार साल से उनके पति निलेश थाने से लेकर अधिकारियों तक को अपनी जान के खतरा होने का आवेदन दिया था,लेकिन कार्रवाई नहीं हुई. बाद ने सुचित्र सिंह ने अपराधियों की गिरफ्तारी के लिे चेतावनी देते हुए कहा कि दो जिनों में अपराधियों की गिरफ्तारी नहीं हुई तो वे सड़क पर उतरेंगी. ये माजरा है सूबे की राजधानी का.
वहीं विपक्षी दल भाजपा, सरकार पर लगातार अपराध की वृद्धि को लेकर हमला कर रही है. भाजपा का कहना है कि जब से महागठबंधन की सरकार बनी है तब से अपराध दर में वृद्धि हुई है, विपक्षियों का आरोप है कि महागठबंधन की सरकार बनने के बाद लगभग तीन हजार केवल हत्याएं हुईं हैं. गंभीर अपराधों में बढ़त्तरी हुई है.लूट छिनतई,दुश्कर्म,अपहरण जैसी घटनाएं आम हो गई है.
बिहार के गया में अपराधियों ने जेडीयू के जिला उपाध्यक्ष सुनील सिंह की गोली मारकर हत्या कर दी. अपराधियों ने घर में घुसकर ताबड़तोड़ गोलीबारी की, जिससे सुनील सिंह की मौके पर ही मौत हो गई. पटना में चेन स्नेचिंग के दौरान बदमाशों ने महिला समेत चार लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी. सिवान में भी को-ऑपरेटिव बैंक के चेयरमैन रामायण चौधरी के घर में घुसकर बदमाशों ने उनपर गोलियां चलाईं.पटना में ही खगौल के एक व्यवसायी की दुकान पर पिस्टल की फोटो लगी पोस्टर चिपका कर किसी ‘यादव गैंग’ ने 5 लाख की रंगदारी मांगी है.
विपक्षियों का कहना है कि महागठबंधन की सरकार बनने के बाद जब बिहार का डीजीपी कड़े आपीएस अफसर आर एस भट्टी को बनाया गया तो आशा जगी थी कि अपराधियों पर नकेल कसेगा. लेकिन अपराधी बेखौफ होकर अपराध करते रहे. मुजफ्परपुर के शाही हत्याकांड की चर्चा विपक्ष लगातार कर रहा है.
वहीं केंद्रीय गृह राज्य मंत्री नित्यानंद राय ने ट्वीट कर कहा कि नीतीश तेजस्वी की सरकार बनने के बाद मार्च 2023 तक 4848 आपराधिक घटनाएं हुईं हैं,जिनमें 270 हत्या की वारदात हुई है. रेप के 345,अपहरण के 144 मामले दर्ज है.
सुशासन बाबू के नाम से जाने जाने वाले नीतीश कुमार की साख बढ़ते अपराधों से प्रभावित होगा यह कहना अतिश्योक्ति नहीं होगी.वहीं विपक्ष भी राज्य सरकार पर हमला का कोई मौका छोड़ नहीं रहा. हत्या,लूट अपहरण,बैंक डकैती,छिनतई,रेप जैसी बढ़ती आपराधिक घटनाओं ने सुशासन बाबू के साख पर सवाल खड़ा तो कर हीं दिया है.