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सुशासन या भ्रष्टराज? पटना DTO में करोड़ों के भ्रष्टाचार की दुर्गंध झारखंड तक पहुंच गई, इधर जांच के नाम पर हाकिम-बाबू पर मेहरबानी!

सुशासन या भ्रष्टराज? पटना DTO में करोड़ों के भ्रष्टाचार की दुर्गंध झारखंड तक पहुंच गई, इधर जांच के नाम पर हाकिम-बाबू पर मेहरबानी!

PATNA: पटना के DTO ऑफिस में धांधली का दुर्गंध अब पड़ोसी राज्य में भी पहुंच गया है। बिहार की बात छोड़िए अब तो झारखंड से भी पटना के तत्कालीन डीटीओ और कर्मी की मिलीभगत से जो फर्जीवाड़े किये गए उसकी हकीकत सामने आ रही है।पटना के तत्कालीन डीटीओ व कर्मी पर अब फर्जीवाड़े के मामले में झारखंड से नोटिस भेजा गया है। लेकिन आश्चर्य की बात तो यह कि पटना डीटीओ ऑफिस में फर्जीवाड़ा-धांधली और बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार के खुलासे के बाद भी सुशासन के आलाधिकारी जांच के नाम पर मामले को रफा-दफा करने में जुटे हैं.

तत्काकालीन डीटीओ-कर्मी को नोटिस

 झारखंड के बोकारो जिला के पेटरवार थाने में जब्त चार चक्का वाहन के एक मामले में दर्ज केस आईओ ने पटना के तत्कालीन डीटीओ और कर्मी को नोटिस भेजा है. केस के आईओ ने बताया कि वाहन का जारी ऑनर बुक के आधार पर पटना के तत्कालीन डीटीओ व लिपिक के खिलाफ नोटिस जारी हुआ है. इस मामले में दोनों को न्यायालय में पहुंचकर जवाब देना है. पेटरवार थाने में कांड संख्या 121-19 दर्ज है, उक्त वाहन की चोरी हो गई थी, जिसका बिना टैक्स लिए निबंधन कर दिया गया था, जब्त वाहन के ड्राइवर का न्यायालय में 164 के तहत बयान दर्ज कराया गया है.

नीतीश राज में ये कैसा सुशासन? 

17 सितंबर को पटना डीटीओ ऑफिस में बड़े स्तर पर गड़बड़ी का खुलासा हुआ था। पटना के तत्कालीन डीटीओ और एक क्लर्क की मिलीभगत से करोड़ों की सरकारी राशि का वारा-न्यारा किया गया था। साहब और बाबू ने मिलकर नियमों को ताक पर नीतीश सरकार के कथित सुशासन को तार-तार किया था। तत्कालीन डीटीओ अजय कुमार ठाकुर और लिपिक अमित कुमार गौतम पर फर्जीवाड़े के गंभीर आरोप लगे थे। 17 सितंबर 2020 को ही मामले का खुलासा हुआ था। इसके बाद लाज बचाने के लिए परिवहन विभाग की तरफ से जांच टीम गठित की गई थी। लेकिन इतने दिन बीत गए अब तक कोई रिपोर्ट नहीं आई है।ऐसे में अब तो जांच टीम पर ही गंभीर सवाल खड़े हो रहे हैं. बताया जाता है कि जांच टीम मामले को रफा-दफा करने में जुटी है। परिवहन आयुक्त का कहना था कि चुनाव की वजह से थोड़ी देरी हुई है, यह कहे हुए भी काफी समय बीत गया लेकिन सरकार के नाक के नीचे पटना डीटीओ में हुए घोटाले की जांच रिपोर्ट अब तक नहीं आई है। ऐसे में यही कहा जा सकता है कि जांच टीम ने ही बचाने की सुपारी ले ली है।ऐसे ही अधिकारी सीएम नीतीश के सुशासन को तार-तार कर रहे।


जानिए पूरा मामला

पटना के तत्कालीन डीटीओ-कर्मी की मिलीभगत से वाहन BS-4 वाहन का बिना सरकारी राजस्व के ही निबंधन और चोरी की गाड़ी का भी निबंधन किया गया था. इस कारनामें से सरकार को पचास करोड़ से अधिक के राजस्व की क्षति हुई थी। इसके साथ ही तत्कालीन डीटीओ अजय कुमार ठाकुर और कर्मी अमित कुमार गौतम पर कई अन्य आरोप लगे थे। वर्तमान डीटीओ ने 17 सितंबर को  अपनी रिपोर्ट परिवहन कमिश्नर को भेज दिया था,जिसमें पूरे मामले की जांच कराने और जिम्मेदार अधिकारी और कर्मी पर कार्रवाई करने का आग्रह किया गया था। डीटीओ के घोटाले वाले पत्र के बाद परिवहन कमिश्नर ने जांच के लिए कमेटी बनाई थी। तत्कालीन डीटीओ और कर्मी ने हर गुनाह किये लेकिन परिवहन विभाग के आलाधिकारी मौन साधे रहे। करोड़ों के इस खेल का खुलासा होने के बाद परिवहन विभाग ने इज्जत बचाने के लिए जांच टीम तो बैठाई लेकिन अब तक टीम आगे नहीं बढ़ पाई इतने दिन भी अब तक जांच टीम ने क्या जांच किया,यह अब तक किसी को पता नहीं। ऐसे में बड़ा सवाल खड़े हो रहे कि क्या चहेते सरकारी कर्मियों को बचाने की साजिश तो नहीं ? अब तो जांच कमेटी ही सवालों के घेरे में आ गई है। बड़ा सवाल यही कि पटना डीटीओ में हुए घोटाले की जांच करने वाली टीम 80 दिनों से क्या कर रही है? कहीं रखूखदार अफसर और कर्मी को बचाने की चाल तो नहीं ? 

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