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बारूद नहीं, अब घी की सौंधी खूशबू के लिए पहचाना जाता है तीन जिलों की सीमा पर स्थित यह इलाका, गांव वालों ने बदली अपनी किस्मत

बारूद नहीं, अब घी की सौंधी खूशबू के लिए पहचाना जाता है तीन जिलों की सीमा पर स्थित यह इलाका, गांव वालों ने बदली अपनी किस्मत

KATIHAR : भागलपुर, पूर्णिया और कटिहार जिला के बॉर्डर से सटे कुर्सेला के दियारा इलाके की पहचान कभी अपराध के लिये होती थी, मगर अब यह बीते दौर कर बातें हो चुका है और यहां के लोग गाय और भैंस दूध से घी बनाकर न सिर्फ स्थानीय मार्केट में बल्कि अगल-बगल के जिला और पड़ोस के राज्य बंगाल एवं आसाम में भेजते हैं, लगभग एक दर्जन परिवार इस इलाके में ऐसा है जिनके घरों में तैयार किये गये घी का बड़ा डिमांड बंगाल आसाम में है, इसलिए इन घरों में बनाये गये पूरा का पूरा घी ट्रेन और बस के माध्यम से बंगाल आसाम के बाजार में ही सप्लाई हो जाता है, 

कभी दियारा से जुड़े कुर्सेला में कभी बारूद की महक की चर्चा हुआ करती थी, लेकिन अब फिजा बदल चुका है, लोग स्वाद और सुगंध से भरपूर  घी के लिए अब इस इलाके को घी गांव के रूप में जाने लगे हैं। यहां दूध और घी के कारोबार से जुड़े बबलू यादव बताते हैं कि स्थिति अब काफी बदली है। यहां जो लोग रोजगार का काम करना चाहते हैं, वह रोजगार कर सकते हैं। दियारा क्षेत्र से हमलोगों को आसानी से दूध उपलब्ध हो जाता है। 

वहीं घी व्यापारी अरूण कुमार ने बताया कि कुर्सैला से तैयार घी की डिमांड लगातार बढ़ रही है। यह सिर्फ तीन जिलों तक सीमित नहीं है। यहां से गुवाहाटी, लामटांग सिहत कई देश के दूसरे राज्यों में सप्लाई की जाती है।।


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