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नि:संतानतता के लिए केवल महिला ही नहीं बल्कि पुरुष भी जिम्मेदार होते है- डॉक्टर अनुपम कुमारी

नि:संतानतता के लिए केवल महिला ही नहीं बल्कि पुरुष भी जिम्मेदार होते  है- डॉक्टर अनुपम कुमारी

PATNA : नि:संतानतता जिसे आम बोलचाल मे  बांझपन भी कहते है. अब यह लाईलाज नहीं है. तेजी से विकसित हो रहे मेडिकल साइंस एवं आधुनिक मशीनों व जांच के माध्यम से इसका इलाज बेहतर और सरल हो गया है.  पूर्व में इस बीमारी के लिए केवल महिलाओं को ही जिम्मेदार ठहराया जाता था. लेकिन मेडिकल साइंस यह स्पष्ट कर चुका है की बीमारी के लिए महिला एवं पुरुष दोनों ही जिम्मेदार हैं. ऐसा भी देखा गया है कि महिला एवं पुरुष दोनों की जांच बिल्कुल नॉर्मल है फिर भी संतान प्राप्ति नहीं कर पा रहे हैं. तब उन्हें अनएक्सप्लेंड इनफर्टिलिटी की श्रेणी में डालते हैं. साथ ही यदि किसी महिला ने नसबंदी करवा लिया है और वह फिर से संतान चाहते हैं तो वे दंपति आईवीएफ तकनीक अपनाकर संतान प्राप्ति कर सकते है. 

नि:संतानतता क्या है एवं नि:संतानतता के प्रकार 

यदि कोई कपल (पति एवं पत्नी) बिना कोई गर्भनिरोधक तकनीक इस्तेमाल किए 1साल तक एक साथ रहने के बावजूद भी संतान प्राप्ति नहीं कर पा रहे हैं तो उन्हें हम नि:संतानतता की श्रेणी में रखते हैं . ऐसे कपल को संतान प्राप्ति के लिए इन्फर्टिलीटी विशेषज्ञ से चिकित्सकीय परामर्श लेना चाहिये. नि:संतानतता दो प्रकार की होती है. प्राइमरी नि:संतानतता और सेकेंडरी नि:संतानतता. प्राइमरी इनफर्टिलिटी में वैसे दंपति आते हैं जिसमे महिला ने अपने जीवन काल में एक भी बार गर्भधारण नहीं किया है. सेकेंडरी इनफर्टिलिटी में वैसे दंपति आते हैं जिसमे महिला ने अपने जीवन काल में कम से कम एक बार भी गर्भधारण किया हो. बाद में गर्भधारण के पश्चात या तो उन्हें गर्भपात हो गया हो या फिर कभी-कभी एक संतान होने के बाद दूसरी संतान प्राप्ति में दिक्कतें आ रही हैं. इस स्थिति में ऐसे दंपति को सेकेंडरी इनफर्टिलिटी की श्रेणी में रखा जाता है. 

नि:संतानतता के कारण

इनफर्टिलिटी के कारणों को हम देखें तो यह पुरुष में भी हो सकता है और महिलाओ में भी हो सकता है या फिर दोनों में हो सम्भव हो सकता है. पहले यदि पुरुषों की बात करें तो दिक्कत उनके पिट्यूटरी ग्लैंड (Pituitary gland)  के हार्मोन सेक्रिशन  (secretion) मे हो सकती है. उनके शुक्राणु बनाने वाले कोशिकाओं में या फिर नलिया बंद होने के कारण भी दिक्कत हो सकती है. अब यदि महिलाओं की बात करें तो दिक्कत महिलाओं की पिट्यूटरी ग्लैंड के हार्मोन सेक्रिशन में हो सकती है. उनके अंडाशय में अंडे बनने की प्रक्रिया में भी हो सकती है या फिर महिलाओं की नलिया जिन्हें हम फेलोपियन ट्यूब्स बोलते हैं. उनमें भी प्रॉब्लम हो सकती है. महिलाओं के यूट्रस (uterus) जिन्हें हम गर्भाशय कहते हैं. उसमे भी प्रॉब्लम हो सकती है. गर्भाशय में गाठ  (Fibroid), टी.बी. (Tuberculosis), सूजन  (Adennomysis) , Adhesion हो सकता है.  या फिर बहुत सारी जन्मजात बनावटी गड़बड़ी महिला के गर्भाशय में होने के कारण भी गर्भधारण करने में दिक्कतें आ सकती हैं. 



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