मुजफ्फरपुर में आयकर विभाग ने वेतनभोगियों के रिफंड दावों और रिटर्न में गड़बड़ी पकड़ने के लिए आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) का इस्तेमाल शुरू कर दिया है. इस AI-संचालित सॉफ्टवेयर के ज़रिए सिस्टम स्वतः ही संदिग्ध मामलों में नोटिस जारी कर रहा है.यह सॉफ्टवेयर यूपीआई लेनदेन सहित सभी वित्तीय गतिविधियों का विस्तृत विश्लेषण करता है. AI, बड़े लेनदेन को रिटर्न में छिपाने के प्रयासों को आसानी से पहचान लेता है. इसके अलावा, शेयर बाज़ार और म्यूचुअल फंड से जुड़े लेनदेन की भी गहन जाँच की जा रही है.
पिछले साल हैदराबाद में AI ने करोड़ों रुपये के फर्जी रिफंड दावों का पर्दाफाश किया था. अब देश भर में इस तकनीक का इस्तेमाल बढ़ रहा है. AI, करदाताओं के दावों का मिलान उनके नियोक्ताओं द्वारा जारी फॉर्म 16 और अन्य स्रोतों से प्राप्त जानकारी से करता है. इससे बिना किसी निवेश के रिफंड के दावे करने वाले लोगों का पता लगाना आसान हो गया है.
फर्जी रसीदों पर लगेगी लगाम
आयकर विभाग, फॉर्म 16, AIS, और 26AS जैसी विभिन्न सूचनाओं का मिलान करके फर्जी रसीदों का पता लगा रहा है. उदाहरण के लिए, यदि कोई व्यक्ति किराये की रसीदों के आधार पर हाउस रेंट अलाउंस का दावा करता है, तो AI इस दावे का मिलान अन्य सूचनाओं से करता है. यदि कोई विसंगति पाई जाती है, तो मामला तुरंत जाँच के लिए चिह्नित हो जाता है.
नए नियमों से बढ़ी सख्ती
नए नियमों के अनुसार, हाउस रेंट अलाउंस का दावा करने के लिए कर्मचारी को अपने नियोक्ता से एचआरए प्राप्त करना अनिवार्य है. साथ ही, यदि किराया एक लाख रुपये से अधिक है, तो मकान मालिक का पैन नंबर भी देना होगा.