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सीएम नीतीश किसके सिर रखेंगे पार्टी अध्यक्ष का ताज! ललन सिंह से 48 साल की दोस्ती का होगा खास अंजाम... जदयू के एक तीर पर कई निशाने

सीएम नीतीश किसके सिर रखेंगे पार्टी अध्यक्ष का ताज! ललन सिंह से 48 साल की दोस्ती का होगा खास अंजाम... जदयू के एक तीर पर कई निशाने

पटना. दिल्ली में 29 दिसंबर को जदयू की राष्ट्रीय कार्यसमिति की बैठक है. कहा यहां तक जा रहा था कि ललन सिंह ने मुख्यमन्त्री नीतीश कुमार को इस्तीफा सौंप दिया है.  हालांकि, ललन सिंह इन बातों से इनकार रहे हैं.  इन सबके बीच शुक्रवार को होने वाली जदयू की तमाम सियासी गतिविधियों पर सबकी नजर है।  जदयू बैठक में आगामी लोकसभा चुनाव 2024 की रणनीति बनाने और जदयू का कैसे बेहतर प्रदर्शन हो इसके लिए मंथन करेगी।

लेकिन सबसे अहम मुद्दा है कि जदयू का राष्ट्रीय अध्यक्ष कौन होगा? जदयू ही नहीं देश की सियासत के लिए फिलहाल यह एक ऐसा सवाल बना हुआ है जिसका जवाब हर कोई जानना चाहता है। सूत्रों का कहना है सीएम नीतीश ने अध्यक्ष पद को लेकर चल रही माथापच्ची को सुलझा लिया है।
सूत्रों का कहना है कि सीएम नीतीश का मनाना है कि अगर जदयू में अध्यक्ष स्तर पर अब कोई बदलाव किया जाए तो इससे उनकी पार्टी कमजोर होगी. लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार अपनी पार्टी में किसी प्रकार के बिखराव को नहीं देखना चाहते. ऐसा कोई संकेत जिससे जदयू कमजोर दिखे, या जदयू में गुटबाजी प्रतीत हो इसे सीएम नीतीश पूरी तरह से पाट देना चाहते हैं. इसी वजह से ललन सिंह अगर इस्तीफा देते हैं तो नीतीश कुमार खुद अध्यक्ष पद की कमान अपने हाथों में ले लेंगे। 

जेडीयू के नेताओं का कहना है कि नीतीश कुमार जेडीयू के सर्वमान्य नेता हैं। इसलिए कमान उनके ही हाथों में रहे। ललन सिंह भी यही चाहते हैं कि उनके इस्तीफे के बाद कोई पार्टी की कमान संभाले तो नीतीश कुमार रहें। ललन सिंह ने भी कहा है कि पार्टी के सर्वमान्य नेता हैं नीतीश कुमार । जेडीयू सूत्रों का कहना है कि फिलहाल बीजेपी के साथ जाने या गठबन्धन बदलने की बात नहीं है। सूत्रों के मुताबिक ललन सिंह की सम्मानजनक विदाई ऑनरिबेल एग्जिट की तैयारी है जिसमें वह लोकसभा चुनाव लड़ने का हवाला देते हुए पद छोड़ने की बात करेंगे। 

जदयू बैठक में पार्टी के संचालन के लिए नई रणनीति पेश कर सकते हैं। वहीं जदयू की गतिविधियों को आगे बढ़ाने के लिए कुछ नेताओं को खास पदों पर अहम जिम्मेदारी दी जा सकती है. इसमें पार्टी महासचिवों को खास जिम्मेदारी देने. लोकसभा चुनाव को लेकर विशेष प्रकोष्ठों के गठन का फैसला. वहीं पार्टी के अलग अलग कार्यक्रमों के संचालन के लिए विभिन्न पदों का सृजन शामिल है. साथ ही जिन पदों को लोकसभा चुनाव को ध्यान में रखकर सृजित किया जाएगा वे सीएम नीतीश को अपनी रिपोर्ट दे सकते हैं.

48 साल की दोस्ती : बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के बीच की दोस्ती काफी पुरानी है। दोनों के बीच पिछले करीब 48 वर्षों की दोस्ती है। 1990 के दशक में लालू यादव के खिलाफ नीतीश कुमार का विद्रोह करना हो। लालू- राबड़ी सरकार के खिलाफ नीतीश की मुहिम हो। भाजपा से अलग होने का नीतीश कुमार का निर्णय हो। उनके हर सियासी फैसले में ललन सिंह हमेशा साथ रहे हैं। ऐसे में नीतीश कुमार से जुड़े लोगों का कहना है कि वे अपने खास दोस्त ललन से अलग होकर किसी विरोधी दल को हमलावर होने का कोई मौका नहीं देंगे। 

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