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एक देश, एक चुनाव: कोविंद समिति राष्ट्रपति को सौंप सकती है रिपोर्ट, कितना मुश्कील, कितनी आसान होगी पीएम मोदी की राह

एक देश, एक चुनाव: कोविंद समिति  राष्ट्रपति को सौंप सकती है रिपोर्ट,  कितना मुश्कील, कितनी आसान होगी पीएम मोदी की राह

दिल्ली:   मुंबई में विपक्षी दलों के इंडी गठबंधन की तीसरी बैठक सितम्बर साल 2023  हो रही थी, ठीक उसी दिन केंद्र सरकार ने 'एक देश, एक चुनाव' की संभावना तलाशने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता में एक कमेटी बनाने की घोषणा की. कमेटी ने अपना काम पूरा कर लिया है. एक देश एक चुनाव को लेकर कोविंद कमेटी से करीब 18 हजार पन्नों का ड्राफ्ट तैयार कर लिया है. जो 8 खंडों में होगी. समिति देश में एक साथ चुनाव कराने के लिए संविधान के अंतिम पांच अनुच्छेदों में संशोधन की सिफारिश कर सकती है. एक राष्ट्र, एक चुनाव’ वाली कमेटी अपनी रिपोर्ट  राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को वृहस्पतिवार यानी  आज सौंपी जा सकती है.

एक देश, एक चुनाव की  प्रस्तावित रिपोर्ट लोकसभा, राज्य विधानसभा और स्थानीय निकाय चुनाव कराने के लिए एक एकल मतदाता सूची पर भी ध्यान केंद्रित करेगी.  पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली इस समिति में गृह मंत्री अमित शाह, राज्यसभा में विपक्ष के पूर्व नेता गुलाम नबी आजाद, वित्त आयोग के पूर्व अध्यक्ष एनके सिंह, पूर्व लोकसभा महासचिव सुभाष कश्यप और वरिष्ठ अधिवक्ता हरीश साल्वे भी शामिल हैं. लोकसभा में कांग्रेस के नेता अधीर रंजन चौधरी को भी समिति का सदस्य बनाया गया था लेकिन उन्होंने समिति को पूरी तरह से छलावा करार देते हुए मना कर दिया. विधि मंत्री अर्जुन राम मेघवाल समिति के विशेष आमंत्रित सदस्य हैं.

विशेषज्ञों के अनुसार 'वन नेशन, वन इलेक्शन' को लागू करना इतना आसान नहीं है. संविधान में कई संशोधन करने होंगे. राज्यों से सहमति लेनी होगी और राज्य विधानसभाओं को भंग करना होगा.






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