One Nation One Election: एक राष्ट्र- एक चुनाव के प्रस्ताव को मोदी कैबिनेट ने बुधवार को मंजूरी दे दी। संसद के शीत कालीन सत्र में इसे लेकर विधेयक पेश किया जाएगा. 'एक राष्ट्र, एक चुनाव' पर उच्च स्तरीय समिति की रिपोर्ट बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल के समक्ष रखी गई। पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद की अध्यक्षता वाली समिति ने लोकसभा चुनावों की घोषणा से पहले मार्च में रिपोर्ट प्रस्तुत की थी। कैबिनेट के समक्ष रिपोर्ट प्रस्तुत करना विधि मंत्रालय के 100 दिवसीय एजेंडे का हिस्सा था। वहीं एक राष्ट्र-एक चुनाव प्रस्ताव को मंजूरी मिलने के बाद सभी नेताओं के प्रतिक्रिया सामने आ रहे हैं।
इसी कड़ी में केंद्रीय मंत्री जीतनराम मांझी ने भी अपनी प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने अपने सोशल मीडिया पर ट्विट कर और साथ ही बयान जारी कर अपने विचारों को व्यक्त किया है। मांझी ने कहा कि, हर वर्ष किसी न किसी राज्य में चुनाव होते रहते हैं। चुनावों की इस निरंतरता के कारण देश हमेशा चुनावी मोड में रहता है। इससे न केवल प्रशासनिक और नीतिगत निर्णय प्रभावित होते हैं बल्कि देश के खजाने पर भारी बोझ भी पड़ता है"।
उन्होंने कहा कि, “वन नेशन-वन इलेक्शन”से दलित मतदाताओं को भी सुविधा होंगी। अब वोट के लूटेरों का राज नहीं चलेगा"। मांझी ने कहा है कि वन नेशन वन इलेक्शन होना ही चाहिए । 1967 तक देश में लोकसभा और विधानसभा चुनाव एक साथ ही होता था। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन होने के कई कारण है। चुनाव के कारण हर साल 9 महीने आदर्श चुनाव आचार संहिता लगा रहता है। जिसके कारण देश में कई विकास के काम नहीं हो पाते है।
साथ ही उन्होंने आगे कहा कि, दूसरी ओर अलग -अलग चुनाव हो जाने से जो बूथ लुटेरे हैं। उनको बूथ लुटने का समय मिल जाता है। उसके कारण लॉ एंड ऑर्डर खराब हो जाता है। खासकर के दलित मतदाता जो वोट देना चाहते थे लेकिन कई बार उनको वोट नहीं देने दिया जाता था। जीतन राम मांझी ने कहा कि वन नेशन वन इलेक्शन से दलित वर्ग के मतदाताओं का काफी राहत मिलेगी। बूथ लुटेरे अब उन्हें परेशान नहीं कर पाएंगे। यह वक्त की मांग थी। वन नेशन वन इलेक्शन और पहले होना चाहिए था लेकिन पूर्व के सरकारों ने यह काम नहीं किया। नरेन्द्र मोदी की सरकार ने यह काम को कर दिखाया।