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विपक्षी दलों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, नए संसद भवन के उद्घाटन के खिलाफ दायर याचिका ख़ारिज

विपक्षी दलों को सुप्रीम कोर्ट से बड़ा झटका, नए संसद भवन के उद्घाटन के खिलाफ दायर याचिका ख़ारिज

पटना/दिल्ली.  नये संसद भवन के उद्घाटन से जुड़े मामले में दायर याचिका को सुप्रीम कोर्ट ने ख़ारिज कर दिया है. सुप्रीम कोर्ट ने याचिका सुनने से इनकार कर दिया है और कोर्ट ने याचिका खारिज कर दी है. साथ ही इस मामले में हस्तक्षेप करने से मना कर दिया है. याचिका में राष्ट्रपति को उद्घाटन कार्यक्रम में शामिल करने का अनुरोध किया गया था। मामले की सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हमें पता है कि यह याचिका क्यों दाखिल की गई है। 

शीर्ष अदालत ने साफ कहा कि ऐसी याचिकाओं को देखना सुप्रीम कोर्ट का काम नहीं है। कोर्ट ने कहा कि हम ऐसी याचिका दायर करने पर जुर्माना लगा सकते हैंं। गनीमत है कि हम आप पर जुर्माना नहीं लगा रहे हैं। कोर्ट ने पूछा कि इस जनहित याचिका में क्या जनहित है। शीर्ष अदालत के इस सवाल पर याचिकाकर्ता कोई ठोस जवाब नहीं दे पाए। इस तरह नई संसद के उद्घाटन विवाद से जुड़ी याचिका को याचिकाकर्ता ने वापिस ले लिया।

याचिकाकर्ता ने याचिका में कहा है कि देश के संवैधानिक प्रमुख होने के नाते राष्ट्रपति ही प्रधानमंत्री की नियुक्ति करते हैं. सभी बड़े फैसले भी राष्ट्रपति के नाम पर लिए जाते हैं. याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 85 के तहत राष्ट्रपति ही संसद का सत्र बुलाते हैं. अनुच्छेद 87 के तहत उनका संसद में अभिभाषण होता है, जिसमें वह दोनों सदनों को संबोधित करते हैं. संसद से पारित सभी विधेयक राष्ट्रपति की मंजूरी के बाद ही कानून बनते हैं. इसलिए राष्ट्रपति से ही संसद के नए भवन का उद्घाटन करवाया जाना चाहिए.

सुप्रीम कोर्ट से याचिका ख़ारिज होने को देश के विपक्षी दलों के लिए बड़ा झटका माना जा रहा है. कांग्रेस सहित 19 विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति से नए संसद भवन का उद्घाटन कराने की मांग करते हुए 28 मई को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा किए जाने वाले उद्घाटन का बहिष्कार करने की घोषणा की है. बहिष्कार करने वालों में बिहार की सत्ताधारी महागठबंधन के सभी दल शामिल हैं. मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की  पार्टी जदयू, राजद नेता तेजस्वी यादव सहित अन्य दलों को उम्मीद थी कि सुप्रीम कोर्ट से कोई बड़ा फैसला आ सकता है लेकिन अब उनकी उम्मीदों को झटका लगा है. 

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