PATNA : बिहार की स्वास्थ्य व्यवस्था में सुधार करने के दावों में कितनी सच्चाई है, यह बात पटना जिले के पालीगंज अनुमंडल मुख्यालय बाजार स्थित पीएचसी (PHC) अस्पताल को देखकर समझा जा सकता है। जहां बिना प्रभारी के ही अस्पताल विगत 2 माह से मात्र एक डॉक्टर और कुछ हेल्थ वर्कर के सहारे भगवान भरोसे यह अस्पताल संचालित हो रहा है।
पिछले एक साल से अस्पताल की स्थिति हुई खराब
जानकारी के अनुसार पालीगंज अनुमंडल बाजार स्थित इस अस्पताल में पहले अनुमंडल अस्पताल के साथ-साथ पीएचसी अस्पताल चला करती थी लेकिन जब से अनुमंडल अस्पताल 1 साल पूर्व यहां से दूसरी जगह शिफ्ट हुई उसके बाद इस पीएससी अस्पताल की दुर्दशा दिन-ब-दिन बद से बदतर होती गई है। यहां दो माह पूर्व 10 जून को अनुमंडल अस्पताल उपाधीक्षक डॉ अभा कुमारी से प्रभार लेकर CS द्वारा ओम प्रकाश मंडल को प्रभारी बनाया गया था । लेकिन मात्र उन्हें कुछ ही दिनों में जून में ही उन्हें हटा कर दूसरी जगह पोस्टिंग कर दिया गया था। तब से आजतक यहां किसी को प्रभारी नहीं बनाया गया और न ही यहां के किसी डाक्टर को इसकी प्रभार सौंपा गया। लगभग दो माह बीत चुके हैं लेकिन अबतक किसी को न ही प्रभारी बनाया गया और न ही किसी को प्रभार सौंपा गया है। जो कि काफी विचित्र और अजीबोगरीब स्थिति पैदा हो गई है।
छह डॉक्टरों की सीट तय
वही यहां के दूसरी स्थितियों पर एक नजर डालें तो इस सीएचसी अस्पताल में 6 डॉक्टरों की पदस्थापित होने की कोटे है । इसमें से तीन डॉक्टर अभी वर्तमान में यहां पदस्थापित है जिसमें दो डॉक्टर कहीं प्रतिनियुक्ति पर दूसरे जगह भेज दिए गए। वर्तमान में मात्र एक डॉक्टर पर यह अस्पताल चल रही है साथ ही कुछ हेल्थ वर्करों पर भगवान भरोसे ही यह अस्पताल चल रही है। इसमें सिर्फ OPD ही चलती है , जबकि सभी PHC अस्पतालों प्रस्तुति की सुविधाएं उपलब्ध रहती है लेकिन जब से अनुमंडल अस्पताल को यहां से शिफ्ट किया गया तभी यहां पर प्रस्तुति सुविधाओं को बन्द कर दिया गया है । आजकल प्रस्तुति विभाग में कुत्तों का रेन बसेरा रहता है ।
दवा काउंटर की स्थिति भयावह
इससे भी इस अस्पताल की भयानक स्थिति दूसरी ओर और है यहां दवा वितरण काउंटर पर हेल्थ वर्कर को दवा वितरण के लिए लगाया गया । जिसे दवा कौन और क्या है पता नहीं होता है ,जो डॉक्टरों द्वारा दवा कुछ और लिखी होती है तो यह हेल्थ वर्कर मरीजों को कुछ और दवा देते हैं ।एक उदाहरण के तौर पर रानीपुर गाव के एक मरीज जोगिंदर सिंह बीपी बढ़ने की शिकायत करते हुए दवा लेने के लिए डॉक्टर से किया था डॉक्टर ने उस मरीज को बीपी की दवा पर्ची पर लिखी दी थी ,जब उस मरीज ने दवा वितरण काउंटर पर दवा लेने के लिए गया तो उसे समय काउंटर पर मौजूद रहे एक हेल्थ वर्कर ने जोकि दवा वितरण काउंटर पर उस समय काम कर रहा था उसने वह मरीज को बुखार की और दर्द की दवा दे दिया।
दवा काउंटर से हेल्थ वर्कर ने उसे बुखार और दर्द की दवा देता है तो समझी जा सकती है कि इस पालीगंज PHC अस्पताल की कितनी भयानक और विकराल दुखद स्थिति है जिसे शब्दों में बयां करना कठिन हो रहा है। यह अस्पताल आज भगवान भरोसे चल रही है। अब मरीज किससे भला इसकी शिकायत कर सकता है जब अस्पताल में प्रभारी ही न हों । एक देशी कहावत है बिना नाथ पगहा के जानवर होता है तो वह कितना ख़तरनाक हो जाता ठीक उसी तरह इस अस्पताल की दयनीय और दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है ।
जन प्रतिनिधियों है बेखबर
जिसे कोई देखने वाला नहीं । चाहे वह सांसद हो विधायक या कोई अन्य जन प्रतिनिधियों हो इसकी खोज खबर कोई लेने वाला दिखाई देता नजर नहीं आ रहा है । CS साहब फोन नहीं उठाते ? जब हमने इसकी जानकारी पटना सिविल सर्जन (CS) से जानकारी फोन से लेनी चाहिए तो उन्होंने दो दिनों में कई बार फोन करने पर भी फोन नहीं उठाया।
जब एक जिम्मेवार पदाधिकारी जिले के जिसका मालिक ही फोन नहीं उठाता हो तो दूसरे की क्या कहना ? छोटे पदाधिकारी कुछ बोलना नहीं चाहते हैं? अब सबसे बड़ा सवाल लाख टके का यह उठता है कि इस PHC अस्पताल आखिर ओचित्य ही क्या है।
दूसरी ओर बिहार सरकार लाख दावे करती है बिहार के आम नागरिकों के लिए सभी जरूरी मूलभूत सुविधाओं को बेहतर मुहैया प्रदान की दिशा बेहतर सुविधाएं प्रदान करने की दिशा काम हो रहे हैं। जिसमें स्वास्थ्य ,शिक्षा बिजली -पानी और सड़क के क्षेत्रों बेहतर सुविधाएं प्रदान करने की मुख्यमंत्री नीतीश कुमार विकास करने की दम भरते है ।