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चिरनिद्रा में पंचायती राज विभाग ! CM नीतीश के फैसले को भी ठेंगे पर रखते हैं बड़े अफसर, एक महीना बाद भी नहीं लागू हुआ बीडीओ को पंचायत समिति का कार्यपालक पदाधिकारी बनाने का नियम

चिरनिद्रा में पंचायती राज विभाग ! CM नीतीश के फैसले को भी ठेंगे पर रखते हैं बड़े अफसर, एक महीना बाद भी नहीं लागू हुआ बीडीओ को पंचायत समिति का कार्यपालक पदाधिकारी बनाने का नियम

पटना. पंचायत समिति के प्रतिनिधि कार्यपालक पदाधिकारियों को खोज रहे हैं लेकिन विभाग की उदासीनता से एक बड़ी परेशानी सामने आई है. पंचायत समिति के कार्यों के बेहतर समन्वय और क्रियान्वित करने के लिए बिहार सरकार ने बिहार पंचायत राज (संशोधन) अधिनियम 2023 को अधिनियमित हुए एक महीना होने को लेकर लेकर अभी तक इसे प्रभावी नहीं किया गया है. नतीजा है कि बिहार पंचायत राज (संशोधन) अधिनियम 2023 को जिस उद्देश्य से लाया गया था उसे अब तक पूरा नहीं किया जा सका है. विधायिका की स्वीकृति और सरकार की अधिसूचना के बाद भी पंचायतीराज विभाग किंकर्तव्यविमूढ़ बना हुआ है. इससे अब तक प्रखंड विकास पदाधिकारी को पंचायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी का अधिकार नहीं मिल पाया है. 

दरअसल, बिहार की नीतीश सरकार ने बिहार पंचायत राज ( संशोधन ) विधेयक, 2023 के द्वारा बिहार पंचायत राज अधिनियम 2006 की धारा 60 की उप- धारा  (1) को प्रतिस्थापित करते हुए पंचायत समिति के कार्यपालक पदाधिकारी के रूप में प्रखंड विकास पदाधिकारी को नियुक्त करने के लिए अधिनियमित किया गया है । इस विधेयक को 10 नवम्बर  2023 को विधायिका के द्वारा स्वीकृति दी जा चुकी है ।  

इस विधेयक को अधिनियम बनाने का उद्देश्य पंचायत समिति के कार्यों का बेहतर समन्वय एवं प्रखंड स्तर पर क्रियान्वयित हो रही योजनाओं का प्रभावी अनुश्रवण किया जाना है. हालांकि अज्ञात कारणों या इस महत्वपूर्ण मुद्दे का पंचायतीराज विभाग के प्राथमिकता सूची से बाहर होने के कारण अभी तक अलग अलग प्रखंडों के बीडीओ को पंचायत समिति का कार्यपालक पदाधिकारी नियुक्त किए जाने के संबंध में ज़िला पदाधिकारियों को आदेश प्राप्त नही हो पाया है.

नतीजा है कि इससे गंभीर संशय और पंचायत समिति के प्रतिनिधियों में उधेडबुन की स्थिति बनी हुई है. दूसरी ओर इसके क्रियान्वित होने की बाट जोह रहे लोगों को उम्मीद थी कि इससे अब पंचायत समिति के कार्यों में बेहतरी आयगी. लेकिन लेट-लतीफी के कारण अब तक यह विधेयक प्रभावी नहीं हो पाया है. हैरानी की बात है कि बिहर गजट में भी इसे स्थान मिल चुका है. बावजूद इसके इस दिशा में कार्यान्वयन नहीं हो पाया है. 


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