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हाईकोर्ट ने बिहार कोऑपरेटिव सोसायटी रूल 7(4) को किया रद्द, जानिये इसमें क्या था प्रावधान

हाईकोर्ट ने बिहार कोऑपरेटिव सोसायटी रूल 7(4) को किया रद्द, जानिये इसमें क्या था प्रावधान

पटना. पटना हाई कोर्ट ने पैक्स का सदस्य बनाये जाने के संबंध में बिहार कोऑपरेटिव सोसायटी रूल्स, 1959 के रूल 7(4) को भारत के संविधान और कोऑपरेटिव एक्ट के अल्ट्रा वायरस घोषित करने को लेकर दायर याचिका पर सुनवाई करने फैसला सुनाया। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने रूल 7(4) को रद्द कर दिया। चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने लक्ष्मीकांत शर्मा व अन्य के मामलों पर सुनवाई पूरी कर फैसला सुरक्षित रखा था, जिसे आज सुनाया गया है।

यह है बिहार कोऑपरेटिव सोसायटी रूल 7(4)

वर्ष 2008 में किये गए संशोधन के तहत रूल 7(4) के अनुसार किसी को पैक्स का सदस्य बनाने में बिलंब हो रहा है, तो उस व्यक्ति के द्वारा पैसा जमा करने और शपथ पत्र दाखिल करने के बाद सदस्य बनाया जा सकता था। याचिकाकर्ताओं के अधिवक्ता तुहिन शंकर ने बताया कि कोर्ट ने स्पष्ट किया कि एक संवैधानिक आदेश को अनाधिकृत तौर से हटाया नहीं किया जा सकता है। अधिक से अधिक दायरे में रहकर नियंत्रण या पर्यवेक्षण किया जा सकता है। ऐसी स्थिति में तो किसी से भी शपथ पत्र लेकर बगैर मैनेजिंग कमेटी में गये या सुने ही पैक्स का सदस्य बनाया जा सकता है। 

कोर्ट का यह भी मानना था कि संशोधित नियम में अपील का भी प्रावधान नहीं किया गया है और पीड़ित पक्ष बगैर किसी निवारण के नहीं रह सकता है। अधिवक्ता तुहिन शंकर ने बताया कि यह संशोधन भारत के संविधान के अनुच्छेद 19(1)(सी), 43(बी) और 243(जेड एल) तथा बिहार कोऑपरेटिव सोसाइटी एक्ट, 1935 का संशोधन के जरिये सदस्य बनाने का अधिकार प्रखंड विकास पदाधिकारी, कोऑपरेटिव सोसाइटी के असिस्टेंट रजिस्ट्रार व डिस्ट्रिक्ट कोऑपरेटिव ऑफिसर को दिया गया था।

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