CHAPRA : जिला परिषद अध्यक्ष जय मित्र देवी के खिलाफ विपक्ष के द्वारा लाये गए अविश्वास प्रस्ताव को लेकर डीएम के द्वारा 30 जुलाई को बुलाई गई विशेष बैठक पर हाईकोर्ट ने रोक लगा दी है. हाई कोर्ट ने दो टूक कहा है कि जब तक फाइनल जजमेंट सामने नहीं आ जाता,तब तक बैठक नहीं बुलाई जा सकती. फाइनल जजमेंट या ऑर्डर आने के बाद ही विशेष बैठक बुलाई जा सकती है. कोर्ट का यह आदेश जैसे ही अध्यक्ष जैमित्रा देवी के समर्थकों तक पहुंची. उनमें खुशी का माहौल छा गया. इस संबंध में जब अध्यक्ष से बात की गई तो उन्होंने कहा कि न्यायालय पर उन्हें पूरा भरोसा है और न्यायालय जैसा आदेश पारित करेगा उसका वह पालन करेंगी. अध्यक्ष के प्रतिनिधि अमर राय ने बताया कि वह न्याय पाने के लिए कोर्ट का शरण लिए हैं. उधर विपक्षी खेमे के पार्षदों का कहना है कि यह खुशी ज्यादा दिन की नहीं है. एक सप्ताह के अंदर जजमेंट सामने आ जाएगा. इसके बाद जो बैठक होगी. उसमें अध्यक्ष को पद छोड़ना होगा. क्योंकि सारे पार्षद उनके खिलाफ हैं. अब तो आने वाला समय ही बताएगा की वर्तमान जिला परिषद अध्यक्ष जय मित्र देवी पद पर रहेंगी या फिर जाएंगी. फिलहाल उनकी कुर्सी बचती दिख रही है.
बैठक को लेकर डीएम ने कर ली थी पूरी तैयारी
इधर बैठक को लेकर जिलाधिकारी ने तैयारी पूरी कर ली थी. कलेक्टरियेट सभागार और पूरे परिसर में सुरक्षा के पुख्ता प्रबंध कर दिए गए थे. सभी जगह मजिस्ट्रेट और पुलिस पदाधिकारी 30 जुलाई की तिथि में तैनात कर दिए गए थे. हालांकि हाई कोर्ट के आदेश के बाद देर शाम तक जिला प्रशासन की ओर से बैठक ना होने संबंधित कोई पत्र जारी नहीं किया गया था.
क्या है पूरा मामला
जानकारी हो की 15 जनवरी 24 को सारण जिला परिषद की अध्यक्ष जयमित्रा देवी के खिलाफ पेश अविश्वास प्रस्ताव कोरम के अभाव में गिर गया था. चार जनवरी को 17 जिला पार्षदों ने अध्यक्ष के खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव पेश किया था, लेकिन 15 जनवरी को बुलाई गई विशेष बैठक में अध्यक्ष समेत मात्र छह पार्षद ही उपस्थित हो सके. उससे अविश्वास प्रस्ताव पर न बहस हुई और न ही वोटिंग कराया गया. इस विशेष बैठक की अध्यक्षता इसुआपुर से जिला पार्षद छविनाथ सिंह ने की थी. उसमें बैठक के लिए 25 जिला पार्षद होना अनिवार्य बताते हुए 25 में से सिर्फ 6 सदस्य के उपस्थित होने पर जिला परिषद अध्यक्ष पर लगा अविश्वास प्रस्ताव खारिज हो गया था.
हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया गया था
अविश्वास प्रस्ताव में नियम का पालन नहीं करने की शिकायत करते हुए कुछ जिला पार्षदों ने पटना उच्च न्यायालय में याचिका दायर किया था. अविश्वास प्रस्ताव में नियम का पालन नहीं करने की याचिका बिहार के अनेक जिलों से भी दायर हुई थी. इस पर पटना उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के. विनोद चंद्रन के एक साथ सुनवाई करते हुए यह आदेश दिया है कि अविश्वास प्रस्ताव के दिन सदन में जितने सदस्य उपस्थित होंगे, उन्हीं के बीच वोटिंग के द्वारा बहुमत साबित करना है. इसमें निर्वाचित सदस्यों की संख्या नहीं देखनी है. इसके बाद कई और आदेश भी जारी होने की बात बताई जा रही है. जिसे लेकर दोनों पक्ष कोर्ट में गए हुए हैं.
छपरा से संजय भारद्वाज की रिपोर्ट