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नीतीश सरकार की लेटलतीफी पर पटना हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी, आदिवासियों से जुड़े मुद्दे पर गंभीर नहीं होने पर अपनाया कड़ा रुख

नीतीश सरकार की लेटलतीफी पर पटना हाई कोर्ट ने जताई नाराजगी, आदिवासियों से जुड़े मुद्दे पर गंभीर नहीं होने पर अपनाया कड़ा रुख

पटना. पटना हाईकोर्ट ने ट्राइबल रिसर्च इंस्टिट्यूट को अब तक तक स्थापित नहीं किये जाने पर कड़ी नाराजगी जाहिर की है। इस जनहित याचिका की सुनवाई चीफ जस्टिस संजय करोल की खंडपीठ ने करते हुए राज्य सरकार को ट्राइबल रिसर्च इंस्टिट्यूट को स्थापित करने की समय सीमा बताने को कहा। ये जनहित याचिका बिहार आदिवासी अधिकार फोरम ने की है।

सरकारी अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने कोर्ट को बताया कि ट्राइबल रिसर्च इंस्टिट्यूट को स्थापित करने की प्रक्रिया में एक वर्ष का समय लगेगा। उन्होंने कोर्ट को बताया कि इस इंस्टिट्यूट को स्थापित करने के वित्तीय, प्रशासनिक और अधिकारियों व कर्माचारियों को नियुक्त करने की प्रक्रिया में एक वर्ष का समय लगेगा।

इस पर कोर्ट ने कड़ा रुख अपनाते हुए कहा कि इतने गंभीर मुद्दे पर राज्य सरकार गंभीर क्यों नहीं है। कोर्ट ने सम्बंधित सचिव को इस सम्बन्ध में पूरी जानकारी देते हुए एक सप्ताह में जवाब दायर करने का निर्देश दिया। सरकारी अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने कोर्ट के पिछले आदेश के अनुपालन में जिलों में आदिवासियों की जनसंख्या और स्कूलों की सूची प्रस्तुत किया। कोर्ट ने इस सूची को देख कर कहा कि कई जिलों में आदिवासी जनसंख्या अच्छी खासी हैं। राज्य में बीस आवासीय स्कूल हैं। 

इससे पहले की सुनवाई में सरकारी अधिवक्ता प्रशांत प्रताप ने कोर्ट को बताया था कि 30 जून, 2022 को बिहार के मुख्य सचिव की अध्यक्षता में एक बैठक हुई। इसमें कई महत्वपूर्ण निर्णय लिए गए थे। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता विकास पंकज ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया। इस मामले पर अगली सुनवाई एक सप्ताह बाद की जाएगी।


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