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पटना हाईकोर्ट ने सहरसा से दरभंगा एम्स स्थानांतरित किये जाने के खिलाफ दायर याचिका पर की सुनवाई, केंद्र और राज्य सरकार से किया जवाब तलब

पटना हाईकोर्ट ने सहरसा से दरभंगा एम्स स्थानांतरित किये जाने के खिलाफ दायर याचिका पर की सुनवाई, केंद्र और राज्य सरकार से किया जवाब तलब

PATNA : पटना हाईकोर्ट ने बिहार के सहरसा में स्थापित किये जाने वाले एम्स अस्पताल को दरभंगा स्थानांतरित किये जाने के विरुद्ध दायर जनहित याचिका पर सुनवाई की। एसीजे जस्टिस सी एस सिंह की खंडपीठ ने कोशी विकास संघर्ष मोर्चा की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए केंद्र व राज्य सरकार से जवाब तलब किया है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता राजेश कुमार सिंह ने कोर्ट को बताया कि विभिन्न राज्यों में एम्स के स्तर के अस्पताल स्थापित करने की योजना तैयार की गई। बिहार के सहरसा में एम्स के तर्ज पर अस्पताल बनाए जाने का प्रस्ताव था।


इस अस्पताल के निर्माण के लिए पर्याप्त भूमि सहरसा में उपलब्ध है। 2017 में सहरसा के जिलाधिकारी ने इस अस्पताल के लिए आवश्यक 217.74 एकड़ भूमि की उपलब्धता की जानकारी विभाग को दी थी। कोर्ट को ये बताया कि इस क्षेत्र में एम्स स्तर का अस्पताल नहीं है। गंभीर बीमारियों के ईलाज के लिए इस क्षेत्र के लोगों को या तो पटना जाना पड़ता है या सिलिगुडी जाना पड़ता है। इसमें न सिर्फ लोगों को आने जाने में कठिनाई होती है,बल्कि आर्थिक बोझ भी पड़ता है। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि सहरसा में एम्स अस्पताल के निर्माण के लिए पर्याप्त भूमि उपलब्ध है,जबकि दरभंगा में एम्स अस्पताल के भूमि की कमी है।

कोर्ट को एम्स अस्पताल के निर्माण के मानकों पर सहरसा ज्यादा खरा था,लेकिन राज्य सरकार ने 2020 में दरभंगा में एम्स अस्पताल स्थापित किये जाने की अनुशंसा कर दिया। यह इस क्षेत्र लोगों के साथ अन्याय किया गया। कोर्ट को याचिकाकर्ता के अधिवक्ता ने बताया कि सहरसा,पूर्णियां,कटिहार, किशनगंज और अररिया जिले इस क्षेत्र में आते है। इस क्षेत्र की जनसंख्या के स्वास्थ्य को ध्यान में रखते हुए एम्स अस्पताल स्थापित की जानी चाहिए।

कोर्ट को बताया गया कि इस क्षेत्र के बहुत सारे लोग कैंसर समेत कई अन्य गंभीर बीमारियों से जूझ रहे हैं। आमलोग को बेहतर ईलाज के लिए इस क्षेत्र में एम्स स्तर के अस्पताल की सख्त आवश्यकता है। याचिकाकर्ता की ओर से अधिवक्ता कंचन कुमार सिंह ने कोर्ट के समक्ष पक्ष प्रस्तुत किया। इस मामलें पर अगली सुनवाई दो सप्ताह बाद की जाएगी।

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