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पटना के कुख्यात के बेल पर सुप्रीम कोर्ट ने लगायी रोक, कहा- जमानत देते समय आरोपित का आपराधिक इतिहास को देखना चाहिये था

पटना के कुख्यात के बेल पर सुप्रीम कोर्ट ने लगायी रोक, कहा- जमानत देते समय आरोपित का आपराधिक इतिहास को देखना चाहिये था

Desk: देश की शीर्ष अदालत नहीं पटना के कुख्यात बदमाश को एक बड़े व्यापारी की हत्या के मामले में आरोपित को जमानत देने के पटना उच्च न्यायालय के आदेश पर रोक लगा दिया है। सुप्रीम कोर्ट ने एक याचिका पर सुनवाई करते हुए कहा है की जमानत देते समय आरोपित के आपराधिक इतिहास को भी देखा जाना चाहिए।

गौरतलब है कि आज से 3 साल पहले 15 सितंबर 2017 को पटना से सटे बिहटा में व्यापारी  निर्भय सिंह की हत्या कर दी गई थी ।बता दें कि बिहटा व्यापार संगठन के अध्यक्ष और उदय चित्र मंदिर सिनेमा हॉल के मालिक निर्भय सिंह को उस समय बदमाशों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी जब शाम के समय बिहटा बाजार में अपने उदय चित्र मंदिर के आगे खड़े थे। बताया जाता है कि 15 सितंबर 2017 को अपने सिनेमा हॉल के आगे खड़े निर्भय सिंह को तीन हमलावरों ने ताबड़तोड़ गोली मारकर हत्या कर दी थी। हमला करने वाले बदमाशों में शामिल अमित कुमार पर स्थानीय बाजार में हत्या करने और फिरौती रैकेट चलाने का लंबा आपराधिक इतिहास है।

निर्भय हत्याकांड के मुख्य आरोपी अमित कुमार को पटना हाईकोर्ट से जमानत मिलने के बाद निर्भय सिंह के भाई अजय कुमार ने सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल कर इस पर सुनवाई की मांग की थी ।निर्भय सिंह के भाई अजय कुमार की याचिका पर सुनवाई करते हुए न्यायमूर्ति नागेश्वर राव की पीठ ने कहा कि पटना उच्च न्यायालय ने इस बात पर ध्यान नहीं दिया कि निर्भय हत्याकांड का मुख्य आरोपी अमित कुमार आदतन अपराधी है ।वह पहले से ही कई आपराधिक मामलों का आरोपी रहा है ।जमानत पर बाहर रहने के दौरान भी उसने अपराध को अंजाम देना नहीं छोड़ा। न्यायमूर्ति एल नागेश्वर राय की पीठ में के अन्य सदस्य न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और रविंद्र भट्ट हैं।

बता दें कि निर्भय सिंह का कांड के आरोपी अमित कुमार लगातार पटना के बिहटा इलाके में अपराधिक घटनाओं को अंजाम देते रहा है। कई व्यापारियों से इस पर रंगदारी वसूलने का भी आरोप है। इतना ही नहीं रंगदारी नहीं देने वालों पर व्यापारियों पर गोलीबारी करना उसकी हत्या करना अमित के आदतों में शुमार है। सुप्रीम कोर्ट ने भी कहा है कि अमित एक आदतन अपराधी है। और पटना उच्च न्यायालय को भी जमानत देने से पहले इसके आपराधिक इतिहास को देखना चाहिए था

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