काराकाट में बेहद मुश्किल है पवन सिंह की राह, पहली बार में कोई भी भोजपुरी अभिनेता नहीं जीत पाया है लोकसभा चुनाव, भाजपा से निष्कासन के बाद और बढ़ी फजीहत

पटना. भोजपुरी सिनेमा से जुड़े अभिनेताओं का नेता बनने का शौक हाल के वर्षों में खूब बढ़ा है. लोकसभा चुनाव 2024 में भी भोजपुरी सिनेमा के चर्चित चेहरे पवन सिंह काराकाट संसदीय सीट से किस्मत आजमा रहे है. भाजपा द्वारा आसनसोल से दिया गया लोकसभा का टिकट ठुकराकर एनडीए के उपेन्द्र कुशवाहा के खिलाफ पवन सिंह ताल ठोक रहे हैं. हालाँकि भोजपुरी फिल्मों के अभिनेताओं का लोकसभा चुनाव जीतने का रिकॉर्ड बेहद खराब है. खासकर पहली बार चुनाव लड़ने वाले अधिकांश भोजपुरी हीरो सियासत के मैदान में जीरो साबित हुए. यह ट्रैक रिकॉर्ड पवन सिंह के लिए बड़े खतरे की घंटी भी है. 1980 के दशक से फिल्मी सितारों का संसद जाने का सिलसिला तेज हुआ तो इसमें भोजपुरी सिनेमा के नायक भी सन 2000 के दशक में तेजी से रील लाइफ से पोलिटिकल होने को बेताब हुए. इसका एक महत्वपूर्ण कारण कई फिल्मी सितारों की लोकप्रिय सार्वजनिक छवि है, जिससे मतदाताओं के बीच उनकी स्वीकार्यता बढ़ती है. लेकिन सिनेमा के हीरो सियासत के हीरो बनने में अक्सर पहली बार असफल साबित हुए.
मनोज तिवारी : भोजपुरी अभिनेता और गायक से नेता बने मनोज तिवारी ने अपना पहला लोकसभा चुनाव 2009 में समाजवादी पार्टी (सपा) के टिकट पर गोरखपुर से लड़ा था। पार्टी ने मनोज तिवारी को भाजपा के योगी आदित्यनाथ और बसपा के विनय शंकर तिवारी के खिलाफ मैदान में उतारा था। मनोज तिवारी को केवल 11 फीसदी वोट मिले और वे तीसरे स्थान पर रहे। योगी आदित्यनाथ ने गोरखपुर से विनय शंकर तिवारी को 220271 वोटों से हराया. बाद में मनोज तिवारी 2013 में भाजपा में शामिल हो गए और 2014 में उत्तर पूर्वी दिल्ली से अपना पहला लोकसभा चुनाव जीता। उन्होंने 2019 में उसी सीट से अपना दूसरा लोकसभा चुनाव जीता। वह 2024 लोकसभा में तीसरी बार इंडिया ब्लॉक के उम्मीदवार और कांग्रेस नेता कन्हैया कुमार के खिलाफ चुनाव लड़ रहे हैं।
रवि किशन : रवि किशन ने अपना पहला लोकसभा चुनाव कांग्रेस के टिकट पर जौनपुर सीट से लड़ा लेकिन असफल रहे। उन्हें केवल 4.2 प्रतिशत वोट मिले और वे मैदान में उतरे 21 उम्मीदवारों में से छठे स्थान पर रहे। फरवरी 2017 में रवि किशन बीजेपी में शामिल हो गए. उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव गोरखपुर सीट से लड़ा और समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार रामभुआल निषाद को 3 लाख से अधिक वोटों से हराया। वह 2024 में फिर से उसी सीट से चुनाव लड़ रहे हैं।
दिनेश लाल यादव 'निरहुआ' : दिनेश लाल यादव, जिन्हें 'निरहुआ' के नाम से जाना जाता है,उन्होंने अपना पहला लोकसभा चुनाव 2019 में समाजवादी पार्टी (सपा) प्रमुख अखिलेश यादव के खिलाफ आज़मगढ़ से लड़ा। अखिलेश यादव ने निरहुआ को 259,874 वोटों से हराया। बाद में, अखिलेश यादव ने मार्च 2022 में आज़मगढ़ सीट से इस्तीफा दे दिया. जून 2022 में आज़मगढ़ में लोकसभा उपचुनाव हुए. दिनेश लाल यादव ने समाजवादी पार्टी के उम्मीदवार धर्मेंद्र यादव को 8 हजार से ज्यादा वोटों से हराया. 2024 में निरहुआ और धर्मेंद्र यादव एक बार फिर से आज़मगढ़ सीट से चुनाव लड़ रहे हैं.
कुणाल सिंह: भोजपुरी फिल्मों के सबसे पुराने अभिनेताओं में एक कुणाल सिंह ने अपना पहला लोकसभा चुनाव 2014 में कांग्रेस के टिकट पर पटना साहिब सीट से लड़ा था। उन्हें शत्रुघ्न सिन्हा (तब बीजेपी में) ने 265,805 वोटों से हराया था। कुणाल सिंह की भोजपुरी सिनेमा में भले ही बड़ी पहचान रही लेकिन सियासत के मैदान में वे बुरी तरह पिट गये. बाद में वे राजनीती से खुद को किनारे ही रखे हैं.
पवन सिंह : पवन सिंह इस बार काराकाट से चुनाव मैदान में निर्दलीय उतरे हैं. ऐसे में मनोज तिवारी, रवि किशन, निरहुआ और कुणाल सिंह का रिकॉर्ड कहता है कि भले ही भोजपुरी गायक और अभिनेता अपने दर्शक वर्ग में चर्चित हों लेकिन उन्हें राजनीति में जल्दी सफलता नहीं मिलती है. यह पवन सिंह के लिए डराने वाला इतिहास है. काराकाट में त्रिकोणीय लड़ाई में उतरे पवन सिंह को सियासत के दो दिग्गजों से जूझना पड़ रहा है. एनडीए के उपेन्द्र कुशवाहा और महागठबंधन के राजाराम सिंह के पास राजनीति का लम्बा अनुभव है. इनके मुकाबले अब पवन सिंह की राह आसान नहीं होगी. काराकाट में 1 जून को मतदान होगा.