GAYA : गयाजी धाम में सनातन धर्म के आस्थावानों का पितृपक्ष मेला जोरों पर है। बीती 17 सितंबर से श्री हरि विष्णु की मोक्ष नगरी में मेले की जबरदस्त धूम है। देश के कोने कोने से प्रतिदिन बड़ी संख्या में सनातनी अपने पूर्वजों का पिंडदान करने के लिए गया जी आ रहे हैं। उनके आने जाने का सिलसिला लगातार बना हुआ है।
इस बीच अब विदेशी भी अपने पूर्वजों का पिंडदान करने के लिए गया जी धाम में अपने पूर्वजों का पिंडदान करने के लिए शनिवार की शाम पहुंच चुके हैं। वे गया जी धाम से पहले भगवान शिव की नगरी वाराणसी से होते हुए यहां पहुंचे हैं। वे फिलहाल आठ की संख्या में हैं। सभी अलग अलग देश से हैं। पिंडदान से पूर्व उन्होंने विष्णुपद देवघाट और सीताकुंड परिसर का देर शाम रिमझिम बारिश के बीच भृमण भी किया। विदेशी महिलाएं साड़ी में थीं। खास बात यह भी वे माथे से आँचल को गिरने नहीं दे रहीं थीं। इस दौरान वे काफी उत्सुक और जिज्ञासु भी नजर आ रहीं थीं।
बताया गया कि विदेशियों के समूह में रूस, यूक्रेन, अफ्रीका के लोग हैं जो अपने पूर्वजों का पिंडदान देव घाट पर करेंगे। सोमवार को विदेशी श्रद्धालु देवघाट पर बैठ कर पूर्वजों के निमित कर्मकांड करेंगे। इससे पहले वे रविवार को बोधगया जाएंगे। वहां भगवान बुद्ध का दर्शन करेंगे। फिर अगले दिन भगवान श्री हरि विष्णु के चरणों में नतमस्तक होंगे। इन विदेशियों के पूर्वजों का अर्पण तर्पण और श्राद्ध से जुड़े कर्मकांड को आचार्य लोकनाथ गौड़ कराएंगे। जबकि इनके पंडा गजाधर लाल धेड़ी होंगे।
आचार्य लोकनाथ गौड़ ने बताया कि सभी विदेशी गया जी पहुंच चुके हैं। उनके पूर्वजों के पिंडदान की तैयारी की जा रही है। सोमवार को देवघाट, विष्णुपद, अक्षयवट और सीताकुंड पिंडवेदी पर पिंडदान कराया जाएगा। उनसे जब यह पूछा गया कि ये सभी ईसाई हैं फिर क्यों सनातन धर्म के अनुसार पिंडदान करने को आए हैं। उन्होंने कहा कि सभी सनातन धर्म से प्रभावित हैं और उन्होंने अपने पूर्वजों का पिंडदान करने की दिली इच्छा जाहिर की थी। जिसे वे पूरा करने आए हैं।
गया से मनोज की रिपोर्ट