पुनपुन नदी की पवित्र धारा के किनारे 17 सितंबर से अंतरराष्ट्रीय पितृपक्ष मेला आयोजित किया जाएगा. पितृपक्ष में हजारों श्रद्धालु और तीर्थ यात्री अपने पितरों की आत्मा की शांति के लिए पिंडदान और तर्पण करने यहां आते हैं. इस साल, यह मेला 17 सितंबर से 02 अक्टूबर तक चलेगा, जो ना केवल बिहार, बल्कि पूरे देश-विदेश से श्रद्धालुओं के लिए आस्था और धार्मिकता का एक महत्वपूर्ण केंद्र बनेगा. 17 सितंबर से शुरू होकर दो अक्तूबर तक चलने वाले अंतरराष्ट्रीय पितृपक्ष मेले की तैयारी का जायजा लेने रविवार को जिलाधिकारी डाॅ चंद्रशेखर सिंह व एसएसपी राजीव मिश्रा पुनपुन पहुंचे. इस दौरान उन्होंने पुनपुन नदी घाट, यात्रि निवास, एन एच-22 से मेला स्थल तक आने वाले मार्ग व पुनपुन बाजार में स्थित धर्मशाला के अलावा थाना व अस्पताल के साथ आसपास के अन्य क्षेत्रों का जायजा लिया.
मेले को लेकर स्थानीय प्रशासन के द्वारा आपसी सामंजस्य स्थापित कर की गयी तैयारी से डीएम संतुष्ट दिखे. इसके बाद पुनपुन नदी घाट पर स्थित यात्री निवास में स्थानीय अधिकारियों के साथ बैठकर आवश्यक निर्देश दिया. बैठक में मौजूद अधिकारियों से डीएम ने कहा कि पुनपुन अंतर राष्ट्रीय पितृपक्ष मेले का पर्यटन के दृष्टिकोण से काफी महत्व है. इस दौरान पुनपुन में नेपाल, भूटान समेत देश-विदेश से हजारों की संख्या में तीर्थ-यात्री, श्रद्धालु व पर्यटक पहुंचते हैं. पुनपुन नदी को पितृ तर्पण की प्रथम वेदी के रूप में स्वीकार किया गया है.
पुनपुन नदी पिंडदान स्थल पर पहुंचकर लोग अपने पितरों की आत्मा की चिरशांति के लिए पिंडदान व तर्पण करते हैं. उसके बाद ही वे गया के लिए प्रस्थान करते हैं. इस वर्ष भी मेला में काफी बड़ी संख्या में तीर्थ यात्रियों एवं पर्यटकों के आने की संभावना है. इस बजह से उत्कृष्ट भीड़-प्रबंधन, सुचारू यातायात व्यवस्था तथा सुदृढ़ विधि-व्यवस्था संधारण प्रशासन की सर्वाेच्च प्राथमिकता होनी चाहिये और इसके लिये सभी अधिकारियो व कर्मियों को सजग व तत्पर रहना होगा. उन्होंने मेले के सफल आयोजन के लिए पर्यटन, राजस्व, रेलवे, लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण प्रमंडल, नगर पंचायत, आपदा प्रबंधन, अग्निशमन, यातायात, परिवहन समेत अन्य सभी विभागों को अपने दायित्वों का निर्वहन ईमानदारी पूर्वक करने का निर्देश भी दिया.
पुनपुन: पितृ तर्पण का प्राचीन स्थल
पुनपुन नदी को सदियों से पितृ तर्पण का प्रमुख स्थल माना गया है. यह वह स्थान है जहां पितरों की आत्मा की शांति के लिए श्रद्धालु पिंडदान और तर्पण करते हैं. पुनपुन में आयोजित इस मेले में न केवल बिहार और देश के विभिन्न कोनों से, बल्कि नेपाल, भूटान और अन्य देशों से भी श्रद्धालु आते हैं. यह मेला उनकी आस्था का प्रतीक है, जहां वे अपने पितरों के लिए तर्पण करते हैं और उनके लिए प्रार्थना करते हैं.