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POISONOUS LIQUOR CASE: दो दिनों में भी अधिकारियों को नहीं लगी घटना की भनक, प्रशासन का खूफिया तंत्र फेल

POISONOUS LIQUOR CASE: दो दिनों में भी अधिकारियों को नहीं लगी घटना की भनक, प्रशासन का खूफिया तंत्र फेल

NAWADA: नगर थाना क्षेत्र के गोंदापुर, खरीदी बिगहा, बुधौल और सिसवां में शराब से नौ लोगों की मौत की खबर ने लोगों को दहला दिया। हर कोई इस घटना से स्तब्ध था। लेकिन शराब माफिया का भय इस कदर कि लोग कुछ भी बताने से परहेज कर रहे थे। आलम यह था कि लोग मृतकों के घरों के बारे में भी जानकारी नहीं दे रहे थे। अधिकारियों को मृतकों के घर तलाशने में काफी मशक्कत करनी पड़ रही थी। मृतक के स्वजन भी शराब माफिया के डर के मारे बीमारी को मौत की वजह बता रहे थे। वहीं ग्रामीण भी चुप्पी साधे रहे। खरीदी बिगहा गांव में कुछ ग्रामीणों ने काफी कुरेदने पर बस इतना कहा कि शराब धंधेबाजों के खिलाफ बोलना खतरा से कम नहीं है। पुलिस से उनकी मिलीभगत रहती है। कौन उनके खिलाफ बोलकर अपनी परेशानी मोल ले। 

हालांकि ग्रामीणों ने दबी जुबान से स्वीकार किया कि शराब पीने से ही मौत हुई है। ग्रामीणों ने दबी जुबान से यह भी बताया कि अभी दर्जन भर लोगों का नवादा, पटना, नालंदा में निजी अस्पतालों में इलाज चल रहा है। जिसमें कुछ की हालत गंभीर भी बनी है। बहरहाल, गोंदापुर और आसपास के गांवों में नौ लोगों की मौत से हर कोई स्तब्ध दिखा।

घटना को लेकर स्थानीय लोगों के चेहरे पर गम का भाव और गुस्सा झलक रहा था। शराब माफिया के साथ ही पुलिस के प्रति भी लोगों के मन में गुस्सा था। हालांकि अपने और अपने परिवार के सदस्यों की चिता करते हुए सभी लोगों ने चुप्पी साधे रखने में ही भलाई समझी। लोगों के बीच चर्चा थी कि दो दिनों से इलाके में मौत का सिलसिला चल रहा था। लेकिन अधिकारियों को इस बारे में कुछ भी पता नहीं चला या फिर उन्होंने अनदेखी करना ही बेहतर समझा। शराब माफिया से मिलीभगत के चलते कार्रवाई के नाम पर खानापूर्ति की जाती है। छापेमारी से पहले ही धंधेबाजों इसकी भनक लग जाती है। नौ लोगों की मौत के बाद भी अधिकारी अनदेखी करते रहे। शराब माफिया के खिलाफ साक्ष्य न मिले, इसके लिए शवों को अंतिम संस्कार होने का इंतजार किया गया। अंतिम संस्कार के बाद अधिकारी खानापूर्ति करने इलाके में पहुंचे।


होली पर्व को देखते हुए जिला प्रशासन की तरफ से अलर्ट रहने का दावा किया जा रहा था। लेकिन जिला मुख्यालय से सटे गांवों में मौत की सूचना आला अधिकारियों तक समय पर नहीं पहुंच सकी। डीएम-एसपी को भी काफी विलंब से जानकारी मिली। नतीजा यह हुआ कि अधिकारियों के पहुंचने से पहले स्वजनों ने शवों का अंतिम संस्कार कर दिया। ऐसे में खुफिया तंत्र पर सवाल खड़ा होना लाजिमी है। दो दिनों से इलाकों में मौत का सिलसिला चल रहा था, कई लोग बीमार होकर अस्पताल पहुंच रहे थे, लेकिन अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लग सकी।

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