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बिहार में राजनीतिक अगस्त क्रांति से आएगा सियासी बदलाव... लालू-तेजस्वी और आनंद मोहन की किस्मत का फैसला तय करेगा सीएम नीतीश का भविष्य

बिहार में राजनीतिक अगस्त क्रांति से आएगा सियासी बदलाव... लालू-तेजस्वी और आनंद मोहन की किस्मत का फैसला तय करेगा सीएम नीतीश का भविष्य

पटना. बिहार की राजनीति में अगस्त का महीना काफी महत्वपूर्ण माना जा रहा है. कारण है कि इस महीना सात अगस्त से आठ अगस्त को कोर्ट तीन महत्वपूर्ण फैसला लेने वाला है जिसका सीधा असर बिहार की राजनीति पर पड़ने वाला है. लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के मामले की सुनवाई 7 और 8 अगस्त को दिल्ली के राउज एवेन्यू कोर्ट में होगी. वहीं डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव लैंड फॉर जॉब मामले में आरोपी हैं या नहीं , इसका फैसला 7-8 अगस्त को हो जाएगा. वहीं लालू यादव पर IRCTC मामले में किस तरह का केस चलेगा. इसका जजमेंट भी हो जाएगा.7 और 8 अगस्त को  तेजस्वी यादव पर आरोप भी तय किया जाएगा .

कानून विशेषज्ञों का कहना है कि तेजस्वी के खिलाफ दायर चार्जशीट को कोर्ट एक्सेप्ट कर लेती है तो उन्हें तत्काल जमानत लेनी पड़ेगी. तेजस्वी यादव पर आरोप शीट दाखिल हो होता है तो विपक्ष खासकर भाजपा को उन पर हमला करने का मौका मिल जाएगा.भाजपा तेजस्वी को लेकर खासी मुख्रर है और उनसे लगातार इस्तीफा की मांग कर रही है. वहीं ये फैसला भी हो जाएगा कि लालू प्रसाद यादव पर आईआरसीटीसी मामले में किस तरह का मुकद्दमा चलेगा.

वहीं बिहार की राजनीति में जाति हमेशा से एक महत्वपूर्ण मुद्दा रहा है. श्रीकृष्ण सिंह के कार्यकाल में भूमिहारों और राजपूतों के बीच जातिगत संघर्ष देखा गया, क्योंकि दोनों ही राजनीतिक रूप से सबसे प्रमुख जाति थे.आनंद मोहन की रिहाई को कथित तौर पर राजपूत वोट से जोड़ कर लोग देख रहे हैं लेकिन इसके साथ ही जेल से बाहर आए पूर्व सांसद आनंद मोहन फिर से जेल जाएंगे या नहीं इसका फैसला 8 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट करेगा.8 अगस्त को सर्वोच्च न्यायालय में इसकी सुनवाई होगी. आनंद मोहन के बारे में सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई होगी कि सजा समीक्षा बोर्ड के द्वारा किसी मापदंड का उलंघन तो नही किया गया है.बहरहाल उनकी रिहाई पर अभी तो तलवार लटक हीं रही है. 

बता दें आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ  आईएएस जी कृष्णैया की पत्नी उमा कृष्णैया ने सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया है. उमा कृष्णैया ने आनंद मोहन की रिहाई के खिलाफ याचिका दायर की है,जिसमें  उन्होंने बिहार सरकार की ओर से कानून में किए गए संशोधन को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है. 8 अगस्त को इस पर सुनवाई होनी है. बहरहाल इन तीनों मामलों में एक भी सरकार के खिलाफ कोई फैसला आता है तो बिहार सरकार की परेशानी बढ़ सकती हैं.

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