Pradosh vrat 2024: शास्त्रों में प्रदोष व्रत भगवान शंकर और मां जगदम्बा को समर्पित माना गया है. इस व्रत को करने से पाप शाप से मुक्ति मिलती है और जीवन का रास्ता सरल होता है.प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर बिल्वपत्र चढ़ाने से भगवान शिव जल्दी प्रसन्न होते है. इससे उनकी सभी इच्छाओं की पूर्ति होती है.
इस व्रत का खास महत्व होता है. जो भी प्रदोष व्रत रखता है उसे सभी दोषों से मुक्ति मिलती है. जीवन में सुख शांति आती है और घर में देवी लक्ष्मी का वास होता है. प्रदोष व्रत के दिन शिवलिंग पर दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल से अभिषेक करने का विशेष महत्व है.
पंचांग के अनुसार सितंबर के महीने में 2 बार प्रदोष व्रत पड़ेगा. भाद्रपद महीने के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि 15 सितंबर से शुरू होगी, जो 16 सितंबर को दोपहर तक रहेगी. ऐसे में पहला प्रदोष व्रत 15 सितंबर, रविवार को रखा जाएगा.भाद्रपद माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि पर पहला प्रदोष व्रत रखा जाएगा जो इस बार रविवार के दिन पड़ रहा है. रविवार के दिन होने के कारण इसे रवि प्रदोष व्रत भी कहा जाता है.
15 अक्टूबर को शाम 06:15 से 08:43 यानी 02 घण्टे 28 मिनट का ही प्रदोष है जिसमें पूजा कर लेना होगा. शास्त्रों के अनुसार इस दिन का प्रदोष समय शाम 06:15 से शाम 08:43 तक का ही है.हिंदू शास्त्रों में प्रदोष वर्त का विशेष महत्व बताया गया है.