...मासूमों की मौत पर आपका दिल क्यूं नहीं पसीजता है मुख्यमंत्री जी? छपरा हो या मुजफ्फरपुर मातमपुर्सी करना भी उचित नहीं समझते!
 
                    मुजफ्फरपुर में नौनिहालों की लगातार हो रही मौत के दर्द और दुःख से सिर्फ बिहार हीं नही बल्कि पूरा देश कराह रहा है। कहा जाता है कि दुःख में कोई अपना सर पर हाथ रख दे तो आधा दुख दूर हो जाता है । लेकिन इस दुख की घड़ी में जिसके मातमपूर्सी की सबसे ज्यादा जरूरत मुजफ्फऱपुर को है वो आखिर वे वहां क्यों नहीं जा रहे? औपचारिकता निभाने से भी पीछे रहने का आखिर मतलब क्या है ?आखिर आप मैसेज क्या देना चाहते हैं...सौ से उपर नौनिहालों की मौत हो चुकी है बाकि कई काल के गाल में समाने का इंतजार कर रहे हैं।
इतिहास बताता है कि चाहे वो छपरा के मशरख में मीड डे मिल से मासूमों की मौत का मसला हो या फिर मुजफ्फरपुर में बुखार की कहर से काल के गाल में समा रहे नौनिहालों का। आपने कभी भी दुख से बेहाल उन परिवारों का वहां जाकर हाल जानने की कोशिश नहीं की। सरकारी स्तर पर सुविधाएं उपलब्ध करवाना और सहानुभूति दर्ज कराना दोनों अलग-अलग मसले हैं। लेकिन दुनिया जानती है कि दुख की घड़ी में सहानुभूति देना पीड़ितों के लिए सबसे बड़ा संबल होता है।बिहार के मुखिया होने के नाते आपने अभी तक यह उचित नहीं समझा,पता नहीं क्यों ?
बता दें कि बिहार में बुखार बच्चों पर कहर बनकर टूट रहा है।उत्तरबिहार की राजधानी मुजफ्फरपुर का एसकेएमसीएच बच्चों के लिए मौत का कारखाना बन गया है।लगातार एईएस नामक बीमारी नौनिहालों को काल के गाल में जबरन खींच ले रहा है।अबतक सौ से उपर माताओं की गोद सूनी हो चुकी है। अस्पताल प्रबंधन से लेकर चिकित्सक तक सबकुछ ठीक होने के दावे कर रहे हैं लेकिन मौत का सिलसिला रूकने का नाम नहीं ले रहा है।
एसकेएमसीएच में कुछ हीं बच्चों की मौत ने एईएस को लेकर खतरे की घंटी बजा दिया था उसके बावजूद सरकारी विभाग चेतने की बजाए गहरी नींद में सो गया।उसके मुखिया, प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री मंगल पाण्डेय विदेश दौरे पर निकल गए ऐश करने.....
सरकारी दौरा था अपना पैसा लगना नहीं था सो भला बच्चों की मौत से बेअसर स्वास्थ्यमंत्री जी सिरे से कनाडा निकल लिए। भला फिर मौका मिलता या नहीं। इधर बच्चों की मौत की संख्या लगातार बढ़ती रही ।मंत्री जी 15 दिनों तक मुजफ्फरपुर जाकर मातमपुर्सी करना भी उचित नहीं समझे ।
मासूमों की मौत का आंकड़ा जब 100 से पार पहुंचा तो केंद्र से लेकर बिहार के स्वास्थ्य मंत्री मुजफ्फरपुर पहुंचे।लेकिन वहां पहुंचने के बाद भी माननीय कितने संजीदे थे कि एक मंत्रीजी ने तो यहां तक कह दिया कि यह छोटी बात है।हद तो तब हो गयी कि बड़ी-बड़ी बातें करने वाले केंद्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री प्रेस कांफ्रेंस के दौरान हीं सोते नजर आए। ऐसे में क्या यह नहीं कहा जाए कि अगर मंत्री जी लोग मुजफ्फरपुर गए वो सिर्फ मीडिया की दबाव की वजह से..वरना ये बयान बहादुर तो सिर्फ पटना और दिल्ली से ट्वीट कर और बाईट देकर अपने आप को गरीबों की सच्चा हितैषी बतानें की कोशिश में जुटे होते।
 
                 
                 
                 
                 
                 
                                         
                                         
                             
                             
                     
                     
         
                     
                     
                     
                     
                    