DESK : कतर में जासूसी के आरोप में फांसी की सजा पाए भारतीय नेवी के आठ पूर्व जवानों को लेकर बड़ी खबर सामने आई है। भारत के प्रयासों के बाद अब इन नौसैनिकों को फांसी की सजा को टाल दिया गया है। हालांकि भारत सरकार को पूरी जीत नहीं मिल पाई है। क्योंकि कतर सरकार ने फांसी की सजा को अब उम्रकैद में बदल दिया है। इन नौसैनिकों के लिए राहत की बात यही है कि फिलहाल, उनके सिर पर मंडरा रहा मौत का खौफ खत्म हो गया है।
क्या है यह पूरा मामला ?
भारत के जिन 8 पूर्व नौसेनिकों को कतर में फांसी की सजा सुनाई गई है, वे कतर की Al-Dahra Global Technologies and Consultancy Services में काम करते थे। यह एक प्राइवेट कंपनी है, जो कतर की मिलिट्री को अपनी सेवाएं प्रदान करती थी। यह कंपनी कतर armed forces के जवानों को ट्रेनिंग देने का भी काम करती है।
बता दें, यह सभी भारतीय कतर की मीलिट्री को सेवाएं देने वाली कंपनी में काम करते थे। गिरफ्तार हुए इन भारतियों के नाम - कैप्टन नवतेज सिंह गिल, कैप्टन बीरेंद्र कुमार वर्मा, कैप्टन सौरभ वशिष्ठ, कमांडर अमित नागपाल, कमांडर पूर्णेंदु तिवारी, कमांडर सुग्नाकर पकाला, कमांडर संजीव गुप्ता और सेलर रागेश है। इनमें से कमांडर पूर्णेंदु तिवारी को भारत और कतर के बीच bilateral संबंधों के बढ़ाने के लिए प्रवासी भारतीय पुरस्कार भी मिल चुका है।
क्यों दी जा रही थी फांसी की सजा ?
विदेशी मीडिया में चल रही खबर की मानें तो, जिन 8 भारतीयों को कतर में फांसी की सजा सुनाई गई है, उन पर इजरायल के लिए जासूसी करने के आरोप हैं। जिसके बाद इन पूर्व नौसैनिकों के परिवार ने भारत सरकार से मदद की गुहार लगाई थी। भारत सरकार ने भी यह फांसी की सजा टालने का भरोसा दिया था।