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गांधी सेतु के पूर्वी लेन के लोकार्पण समारोह में तेजस्वी को नहीं बुलाने पर राजद में आक्रोश, कहा- जिन्होंने इसका विरोध किया उन्हें बुलाया गया

गांधी सेतु के पूर्वी लेन के लोकार्पण समारोह में तेजस्वी को नहीं बुलाने पर राजद में आक्रोश, कहा- जिन्होंने इसका विरोध किया उन्हें बुलाया गया

पटना. महात्मा गांधी सेतु पूर्वी लेन के लोकार्पण समारोह में नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी प्रसाद यादव को आमंत्रित नहीं किये जाने पर राजद नेताओं में आक्रोश है। प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन ने नाराजगी व्यक्त करते हुए कहा है कि इस योजना को कार्यान्वित कराने में नेता प्रतिपक्ष की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। लेकिन उन्हें भी सामान्य विधायक की श्रेणी में रखा गया है, जबकि पुल का एक बड़ा भाग उनके निर्वाचन क्षेत्र राघोपुर में पड़ता है।

राजद प्रवक्ता ने कहा कि 2005 में बिहार में एनडीए की सरकार बनने के बाद महात्मा गांधी सेतु के रखरखाव पर समुचित ध्यान नहीं देने से पुल की स्थिती खराब हो गई थी। तेजस्वी यादव जब राघोपुर से विधान सभा का चुनाव जीतकर आये और बिहार में महागठबंधन की सरकार में वे पथ निर्माण विभाग के मंत्री बने तो गांधी सेतु का पुनर्निर्माण उनके प्राथमिकता सूची में था। 20 नवम्बर 2015 को वे मंत्रीपद की शपथ लिये और 30 दिसम्बर 2015 को केन्द्रीय सड़क परिवहन एवं राजमार्ग मंत्री नितिन गडकरी से मिलकर गांधी सेतु के पुनर्निर्माण कराने का अनुरोध किया।

राजद प्रवक्ता ने बताया कि गांधी सेतु पुनर्निर्माण की पुरी कार्ययोजना के साथ 19 अप्रैल 2016 को केंद्रीय मंत्री गडकरी से मिलकर तेजस्वी ने योजना को अविलम्ब कार्यान्वित करने का अनुरोध किया। उस पर सहमती व्यक्त करते हुए  22 जून 2016 को सेतु के पुनर्निर्माण हेतु केन्द्र सरकार द्वारा 1742 करोड़ रुपये की योजना स्वीकृत की गई। भाजपा नेता और तत्कालिन केन्द्रीय मंत्री रविशंकर प्रसाद ने गडकरी से मिलकर इसका विरोध भी किया था। लेकिन गडकरी ने तेजस्वी को दिए आश्वासन पर कायम रहे और तेजस्वी के सरकार में रहते हुए ही पुनर्निर्माण का कार्य शुरू हो गया। इसे 3.5 वर्ष मे पूरा होना था, लेकिन बिहार में सरकार बदल जाने की वजह से इतना लम्बा समय लग गया।

उन्होंने कहा किआज के लोकार्पण समारोह के लिए अखबारों में छपे विज्ञापन से तेजस्वी जी का ही नाम नदारद था। वैसे भी विज्ञापन में जब बिहार सरकार के मंत्रियों के नाम हैं, तो स्थानीय विधायक और नेता प्रतिपक्ष के रूप में तेजस्वी का नाम भी रहना चाहिए था। चुकी प्रोटोकॉल के अनुसार भी नेता प्रतिपक्ष को मंत्री के समकक्ष माना जाता है, जबकी लोकार्पण के मंच पर ऐसे लोग भी विराजमान थे, जिन्होंने 2016 में इस योजना का विरोध किया था।

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