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आरजेडी का प्लान ‘CM’, राजद की योजना को अंजाम देने के लिए तेजस्वी यादव ने कर दिया केरल में बड़ा खेला

आरजेडी का प्लान ‘CM’,  राजद की योजना को अंजाम देने के लिए तेजस्वी यादव ने कर दिया केरल में बड़ा खेला

पटना. बिहार के डिप्टी सीएम तेजस्वी यादव कब सीएम बनेंगे? क्या अगले बिहार विधानसभा चुनाव में जीत के बाद ऐसा होगा? या फिर कोई अन्य रास्ता तय है जिससे तेजस्वी यादव को 2025 से पहले ही बिहार का सीएम बना दें. हो जो भी लेकिन उससे पहले तेजस्वी यादव ने प्लान-‘CM’ तैयार कर लिया है. जिसे अंजाम देने के लिए खुद दो दिवसीय दौरे पर केरल गए और अब पटना लौट आए हैं. 

केरल के कोझीकोड में तेजस्वी यादव ने एलजेडी का आरजेडी में विलय करवाया. इस विलय के बाद आरजेडी केरल में भी मजबूत स्थिति में आ गई है. लोकतांत्रिक जनता दल पार्टी के नेता सह पूर्व सांसद श्रेयम्स कुमार, केरल विधानसभा में पूर्व मंत्री सह कुथुपरम्बा विधानसभा क्षेत्र से विधायक केपी मोहनन अब केरल में आरजेडी के चेहरे हो गए. 

तेजस्वी यादव का मैसेज साफ है कि आगामी लोकसभा चुनाव में आरजेडी केरल में भी चुनावी दमखम ठोकेगी. वैसे तो केरल में यूडीएफ का हिस्सा आरजेडी भी है. लेकिन, इस बार राजद वहां हिस्से से आगे बढ़कर चुनाव लड़ने का मन बना चुकी है. बिहार में आरजेडी ने ‘MY’ के जरिए राज किया, तो केरल के लिए प्लान- ‘CM’ तैयार है. केरल का जातीय समीकरण आरजेडी के लिए मुफिद बैठ रहा है. ईसाईयों की आबादी 18.38 प्रतिशत और मुस्लिम की आबादी 26.56 प्रतिशत है. दोनों मिलकर करीब 45 फीसदी है. ये वोट बैंक कांग्रेस नेतृत्व वाले यूडीएफ का माना जाता है. 

आरजेडी की बात करें, तो पार्टी की बिहार के मुस्लिम वोट बैंक में अच्छी पकड़ मानी जाती है. तो दूसरी ओर तेजस्वी यादव की पत्नी रेचल उर्फ राजश्री यादव ईसाई हैं. यानी आरजेडी के लिए केरल में बड़ा स्कोप है. तेजस्वी यादव चाहते हैं कि केरल में क्रिश्चियन- मुस्लिम यानी ‘CM’ में आरजेडी की पैठ बढ़ाई जाए. वजह साफ है कि इसाई-मुस्लिम ज्यादातर सूबे में जीत और हार तय करते हैं. अगर तेजस्वी यादव का प्लान- ‘CM’ केरल में काम कर गया. तो बीजेपी के लिए बड़ा झटका होगा. क्योंकि अरसे से हर कोशिश के बावजूद बीजेपी केरल में अब तक कुछ नहीं कर पाई है. 

केरल का जातीय समीकरण : केरल में दो गठबंधन एलडीएफ और यूडीएफ का बोलबाला है. 1982 के बाद से राज्य की राजनीति इन्हीं दोनों गठबंधन के इर्द-गिर्द घूमती रहती है. बीते लोकसभा चुनाव यानी साल 2019 में कांग्रेस समर्थित गठबंधन यूडीएफ को कुल 20 सीट में से 19 सीट पर जीत मिली थी. यहां ईसाईयों की आबादी 18.38 प्रतिशत और मुस्लिम की आबादी 26.56 प्रतिशत है. इन दो अल्पसंख्यकों का रुझान ही केरल की सत्ता तय करता है. इसाई-मुस्लिम ज्यादातर इसी फ्रंट को चुनते हैं. वहीं केरल की पिछड़ी जातियों में लेफ्ट का काफी ज्यादा प्रभाव माना जाता है. केरल में हिंदू वोट करीब 55 फीसदी है, जिनके वोट एलडीएफ और यूडीएफ के बीच बंटे हुए हैं.


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