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आरजेडी से रघुवंश प्रसाद सिंह के इस्तीफे के बाद लालू-तेजस्वी को होंगे ये 5 नुकसान

आरजेडी से रघुवंश प्रसाद सिंह के इस्तीफे के बाद लालू-तेजस्वी को होंगे ये 5 नुकसान

DESK:  बिहार विधानसभा चुनाव से ठीक पहले राजद को फिर से झटका लगा है. पार्टी के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने पार्टी से इस्तीफा दे दिया है. कोरोना के संक्रमण से ठीक हो चुके रघुवंश प्रसाद फेफड़ों की बीमारी से ग्रसित हैं और अभी दिल्ली एम्स में इलाज करवा रहे हैं. अस्पताल के बेड से ही रघुवंश प्रसाद सिंह ने लालू यादव को पत्र लिखकर इस्तीफा सौंप दिया है. 

रघुवंश प्रसाद के पार्टी से जान के साथ ही राजद को तत्काल पांच नुकसान सहना पड़ेगा. आईए आपको बताते हैं रघुवंश प्रसाद पार्टी के लिए कितने जरुरी थे और उनके जान से कितना मुकसान राजद को चुनाव में हो सकता है.

बिहार में राष्ट्रीय जनता दल की छवि कैसी है यह किसी से छिपी नहीं है. यही वजह है कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद यादव हो या नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव, उनकी कही बातों का बिहार के लोगों पर बहुत ज्यादा असर नहीं पड़ता था. लेकिन आरजेडी में रघुवंश प्रसाद सिंह एकमात्र ऐसे नेता थे जिनके ऊपर अब तक कोई दाग नहीं लगा था. सादगी भरे रहन सहन और स्पष्टवादी होने की वजह से उनकी छवि एक ईमानदार नेता के रूप में बनी हुई थी. आज की तारीख में आरजेडी के कई नेता, कई तरह के आरोपों में जेल में बंद हैं. ऐसे में रघुवंश प्रसाद सिंह ही एकमात्र ऐसे नेता थे जो आरजेडी का झंडा बुलंद किए हुए थे. जाहिर तौर पर चुनाव के वक्त उनका पार्टी छोड़ना आरजेडी के लिए नुकसानदेह होगा.

आरजेडी से इस्तीफा देने वाले रघुवंश प्रसाद सिंह की छवि ईमानदार नेता की तो थी ही. इसके अलावा वह पार्टी में किसी भी आपराधिक छवि वाले व्यक्ति को शामिल कराने के विरुद्ध थे. हाल ही में नेता प्रतिपक्ष और लालू प्रसाद के बेटे तेजस्वी यादव ने वैशाली जिले के बाहुबली नेता रामा सिंह को पार्टी में शामिल कराने की कोशिश की थी, लेकिन रघुवंश प्रसाद के पुरजोर विरोध के बाद उन्हें आज तक पार्टी में शामिल नहीं कराया जा सका. बता दें कि आरजेडी के ऊपर पहले से ही आपराधिक छवि के व्यक्तियों को संरक्षण देने का आरोप लगता रहा है, ऐसे में अगर रामा सिंह को लेकर रघुवंश प्रसाद सिंह ने इस्तीफा दिया है तो, इसका असर पार्टी पर और भी बुरा पड़ेगा.

बता दें कि रघुवंश प्रसाद सिंह एक समाजवादी नेता के तौर पर भी जाने जाते हैं. ऐसे में चुनाव के वक्त उनका आरजेडी का छोड़ना, लालू प्रसाद यादव के राजनीतिक ताकत को और भी कम कर देगा. हालांकि अभी तक यह स्पष्ट नहीं है कि रघुवंश प्रसाद सिंह जेडीयू का दामन थामेंगे या बीजेपी में जाएंगे लेकिन, इतना तय है कि उनके आरजेडी छोड़ने के बाद समाजवादियों का भी लालू प्रसाद यादव से मोह भंग हो सकता है.

लोकसभा चुनाव 2014 और 2019 मैं बुरी तरह हार का सामना करने वाले आरजेडी को जब राज्यसभा चुनाव में मौका मिला, तब यह कयास लगाए जा रहे थे कि राजनीतिक तौर पर हाशिए पर चले गए रघुवंश प्रसाद सिंह को लालू प्रसाद यादव द्वारा राज्यसभा भेज दिया जाए जाएगा. लेकिन आरजेडी सुप्रीमो ने लालू प्रसाद यादव ने उस वक्त व्यवसायी अमरेंद्र धारी सिंह और अपने पुराने राजदार प्रेमचंद गुप्ता को राज्यसभा भेज दिया. तब लालू प्रसाद यादव के इस फैसले से रघुवंश प्रसाद सिंह के जाति के लोग काफी नाराज हुए थे. अब रघुवंश प्रसाद सिंह का पार्टी छोड़ना जातीय आधार पर भी लालू प्रसाद यादव की पार्टी को नुकसान पहुंचा सकता है।

वहीं कुछ दिन पहले ही लालू प्रसाद के बड़े बेटे और पूर्व बिहार के पूर्व स्वास्थ्य मंत्री तेज प्रताप यादव ने रघुवंश प्रसाद सिंह को लोटे का पानी करार दिया था. दरअसल, जब पत्रकारों ने तेज प्रताप यादव से यह सवाल पूछा था कि, रामा सिंह को लेकर रघुवंश प्रसाद सिंह नाराज हैं और क्या वह पार्टी छोड़ देंगे. तब तेज प्रताप यादव ने कहा था की पार्टी एक समुद्र के समान होता है उसमें से एक लोटा पानी निकलने से समुद्र को कोई फर्क नहीं पड़ता. रघुवंश प्रसाद सिंह आरजेडी के इकलौते नेता नहीं है जिन्हें अपमान का घूंट पीकर पार्टी में रहना पड़ा था इसके पहले लालू प्रसाद यादव के बेहद करीबी रामकृपाल यादव ने भी पार्टी छोड़कर बीजेपी का दामन थाम लिया था. आज रामकृपाल यादव पाटलिपुत्र लोकसभा सीट से बीजेपी के सांसद हैं. यानी आरजेडी में वरिष्ठ नेताओं उपेक्षा आम बात है. ऐसे में वरिष्ठ नेताओं का उपेक्षित होकर पार्टी छोड़ना आरजेडी को नुकसान पहुंचा सकता है.

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