N4N DESK: कई महीनों से बिहार सरकार सहित विपक्षी दलों को जातिगत जनगणना के मुद्दे पर केंद्र सरकार के जवाब का इंतजार था। इसको लेकर सीएम नीतीश कुमार और नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव का कहना था कि हमें पीएम से सकारात्मक जवाब की उम्मीद है। हालांकि इस मांग को केंद्र ने ठुकरा दिया है।
केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट को दिए एक हलफनामे में यह स्पष्ट कर दिया है देश में कोई जातिगत जनगणना नहीं होगी। केंद्र सरकार ने सुप्रीम कोर्ट से कहा है कि पिछड़े वर्गों की जाति आधारित जनगणना प्रशासनिक रूप से कठिन और दुष्कर है और जनगणना के दायरे से इस तरह की सूचना को अलग करना 'सतर्क नीति निर्णय' है।
फैसले से भड़के राजद सुप्रीमो
सुप्रीम कोर्ट में केंद्र द्वारा हलफनामा दायर करने के बाद से ही बिहार में सियासत तेज हो गई है। इसको लेकर लालू यादव ने ट्वीट कर रोष जाहिर किया है। उन्होनें लिखा- ‘जनगणना में साँप-बिच्छू,तोता-मैना,हाथी-घोड़ा,कुत्ता-बिल्ली,सुअर-सियार सहित सभी पशु-पक्षी पेड़-पौधे गिने जाएँगे लेकिन पिछड़े-अतिपिछड़े वर्गों के इंसानों की गिनती नहीं होगी। वाह! BJP/RSS को पिछड़ों से इतनी नफ़रत क्यों? जातीय जनगणना से सभी वर्गों का भला होगा।सबकी असलियत सामने आएगी।’
ट्वीट के माध्यम से उन्होनें कहा कि इंसान तो अब जानवरों से भी पीछे चला गया है। जानवरों, पक्षियों सहित पेड़-पौधे तक की गिनती कराई जाती है। मगर बात जब इंसानो की गणना और जाति-विशेष गणना की बात हो, तो यही सरकार पीछे हट जाती है। यह कहां तक उचित है?
जनगणना में साँप-बिच्छू,तोता-मैना,हाथी-घोड़ा,कुत्ता-बिल्ली,सुअर-सियार सहित सभी पशु-पक्षी पेड़-पौधे गिने जाएँगे लेकिन पिछड़े-अतिपिछड़े वर्गों के इंसानों की गिनती नहीं होगी। वाह!
— Lalu Prasad Yadav (@laluprasadrjd) September 24, 2021
BJP/RSS को पिछड़ों से इतनी नफ़रत क्यों? जातीय जनगणना से सभी वर्गों का भला होगा।सबकी असलियत सामने आएगी।
BJP-RSS को पिछड़ों से नफरत
आगे राजद सुप्रीमो कहते हैं कि बीजेपी-आरएसएस को पिछड़ों-अतिपिछड़ों से इतनी नफरत क्यों है? उनके हित की बातों पर केंद्र का ऐसा रवैया क्यों है? यदि जातिगत जनगणना तो असिलयत सामने आ जाती। पता चल जाता देश में किस जाति के कितने लोग हैं। आगे उसी हिसाब से योजनाएं बनती और लोगों को उनका सीधा लाभ मिलता।
राजद-जदयू शुरू से रही है समर्थक
बिहार में जातिगत जनगणना को लेकर शुरू से ही दो विरोधी सुर राजद और जदयू साथ हैं। दोनों पार्टी के नेता लगातार इसकी मांग को लेकर आवाज उठाते रहे हैं। हालांकि बीजेपी इसको लेकर शुरू से ही सकारात्मक रवैये में नहीं दिखी।