एक राष्ट्र एक चुनाव के समर्थन में रालोजपा, पूर्व राष्ट्रपति से मिले केंद्रीय मंत्री पशुपति पारस

NEW DELHI : राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष केन्द्रीय मंत्री पशुपति कुमार पारस ने आज अपने पार्टी के सांसद प्रिंस राज पासवान एवं अन्य नेताओं के साथ एक राष्ट्र एक चुनाव उच्च स्तरीय समिति के अध्यक्ष पूर्व राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद से नई दिल्ली में उनके आवास पर जा कर मुलाकात की और उच्च स्तरिय समिति के द्वारा आमंत्रित सुझावों को लेकर अपनी पार्टी की रालोजापा की ओर से देश में एक राष्ट्र एक चुनाव कराने के संबंध में पूर्व राष्ट्रपति जी को समर्थन पत्र सौंपा ।
पार्टी के प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने नई दिल्ली से आज इसकी जानकारी देते हुए बताया कि पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष पशुपति कुमार पारस ने देश में एक साथ चुनाव कराने के संबंध में राष्ट्रीय लोक जनशक्ति पार्टी से सुझाव आमंत्रित करने के लिए पूर्व राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद को कोटि-कोटि धन्यवाद देते हुए पार्टी के संर्थन पत्र में उल्लेख किये गये बातों से उनको अवगत कराते हुए कहा कि हमारी पार्टी की स्थापना वर्ष 2000 में हुई थी विधानसभा और सांसद में निर्वाचित सदस्यों के रूप में हमारी उपस्थिति रही तथा वर्तमान में हमारी पार्टी से पाँच लोकसभा सांसद हैं।
केंद्रीय मंत्री ने कहा कि भारत में चुनाव प्रक्रिया में आमतौर पर चुनाव के बाद और चुनाव पूर्व की अवधि शामिल होती है। बार-बार चुनाव होने से विकास प्रक्रिया पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है क्योंकि पूरी सरकारी मशीनरी महीनों तक चुनाव प्रक्रिया में शामिल रहती है, साथ ही देश में असमय चुनाव होने और चुनाव को लेकर आर्दश आचार संहिता लागू होने से विकास परियोजनाएं एवं अन्य जन कल्याणकारी योजनाएं बाधित होती है । देश में बार-बार चुनाव होने एवं चुनाव की प्रक्रिया से उत्पन्न व्यवधानों से लोगों में असंतोष पैदा होता है । इसके अतिरिक्त अलग-अलग समय पर लोक सभा और विधान सभा चुनाव होने पर बहुत खर्च भी आता है, क्योंकि मतदाता सूची के पुनरीक्षण और पुलिस बलों की तैनाती आदि शामिल हैं। इसमें शामिल प्रत्यक्ष लागत मात्रात्मक है इसमें बड़ी अप्रत्यक्ष लागत शामिल हैं जो प्रत्यक्ष लागत से कहीं अधिक है।
पार्टी के राष्ट्रीय प्रवक्ता श्रवण कुमार अग्रवाल ने बताया कि केन्द्रीय मंत्री पारस ने अपने पत्र में आगे कहा कि एक राष्ट्र एक चुनाव को लेकर क्षेत्रीय दलों की चिंताएं हो सकती है क्षेत्रीय दल होने के नाते हम इस तर्क से सहमत नहीं है कि एक साथ चुनाव से क्षेत्रीय दलों पर राष्ट्रीय दलों का प्रभुत्व हो जाएगा हमने स्वयं देखा है कि मतदाताओं को स्थानीय और राष्ट्रीय मुद्यों की पूरी तरह से समझ होती है और वे विधानसभा और संसद चुनावों में अलग-अलग तरीकों से मतदान करते हैं। हमारा मत है कि चुनाव प्रक्रिया में यह बड़ा सुधार करने का समय आ गयास है जो वास्तव में आधुनिक भारत और इसकी युवा पीढ़ी की आकांक्षा का प्रतिनिधित्व करेगा।
आगे पारस ने कहा कि हमारी पार्टी की राय है कि यदि हम एक राष्ट्र एक चुनाव के लक्ष्य को प्राप्त कर सके तो आधुनिक भारत कके लोकाचार प्रतिबिंबित हो सकते हैं। हमें सभी चुनावों के लिए एक ही मतदाता बनाने की दिशा में काम करना चाहिए। देश के अधिकांश भाग के लिए इसे आसानी से हासिल किया जा सकता है। यह निर्णय लेना महत्वपूर्ण है क्या हमें 2029 या 2034 में एक साथ चुनाव शुरू करने की आवश्यकता है और तदनुसार कैलिब्रेटेड कारवाई शुरू करने की आवश्यकता है।