BETIA : रुद्राक्ष का जिक्र होते ही जेहन में उसे बड़े माला की तस्वीर उभर जाती है, जिसका प्रयोग आम तौर पर हिन्दू पर्व त्योहारों पर पूजा के दौरान किया जाता है। आम तौर पर रुद्राक्ष के पेड़ हिमालय की वादियों में पाए जाते हैं। लेकिन अब यह रुद्राक्ष के पेड़ बिहार में भी लगाने की शुरुआत हो गई है। बेतिया के एक किसान न सिर्फ रूद्राक्ष की खेती कर रहे हैं, बल्कि लोगों को यह मुफ्त में देते भी हैं। आज उनके खेत में एकमुखी रुद्राक्ष से लेकर पंचमुखी रुद्राक्ष के पेड़ मौजूद हैं।
प.चंपारण के नरकटियागंज प्रखण्ड के बड़निहार में रहनेवाले इस किसान का नाम विजय पांडेय है। वह बताते हैं कि लखनऊ केंद्रीय औषधीय अनुसंधान केंद्र से छह_सात साल पहले पंचमुखी रुद्राक्ष का पौधा लेकर आए थे। जबकि एकमुखी रुद्राक्ष का पौधा केंद्रीय वन पर्यावरण अनुसंधान केंद्र देहरादून से लाए थे। उस समय यह कहा गया था कि बिहार में इसकी खेती संभव नहीं है। लेकिन फिर भी हमने प्रयोग के तौर पर यहां अपने खेत में इसे लगाया, यह प्रयोग सफल रहा।
किसान विजय पांडेय बताते हैं कि अभी पंचमुखी रुद्राक्ष के दो पेड़ तैयार हो गए हैं एक पेड़ से एक क्विंटल रुद्राक्ष निकलते हैं।जिन्हें मैं लोगों को मुफ्त में बांटता हूं।मंदिरों से लेकर साधु या जो लोग भी आते हैं उन्हें बिना पैसे के देता हूं। वह बताते हैं कि उत्तराखंड से हमारे इलाके का क्लाइमेट मिलता हैं और ये पौधा हिमालय क्षेत्र में हीं होता है । प.चंपारण के बगहा से लेकर किशनगंज तक का टेंपरेचर इसके लिए अनुकूल है। उनका कहना है कि इसकी खेती के लिए 35 डिग्री तक का तापमान सबसे बेहतर होता है।
आगे की बड़ी योजना
विजय पांडेय अब रुद्राक्ष की खेती को बड़े पैमाने पर करने की तैयारी कर रहे हैं। उनका कहना है चार साल से वह इसकी खेती से जुड़े हैं। अब अगले साल करीब पांच सौ से एक हजार तक रुद्राक्ष के पेड़ को तैयार करने का लक्ष्य है। उनका कहना है कि रुद्राक्ष की खेती किसानों के लिए भी बहुत फायदेमंद है।