सारण : दांव पर लालू परिवार की प्रतिष्ठा, रूडी के मुकाबले कितनी मजबूत है राजनीतिक नौसिखिया रोहिणी, जमीनी समीकरण उड़ा देंगे होश

सारण : दांव पर लालू परिवार की प्रतिष्ठा, रूडी के मुकाबले कित

पटना. सारण से भाजपा सांसद राजीव प्रताप रूडी चाहते हैं कि उनके नाम रिकॉर्ड दर्ज हो कि उन्होंने लालू परिवार के सबसे ज्यादा सदस्यों के खिलाफ चुनाव जीता है. सारण से लगातार दो बार के सांसद राजीव प्रताप रूडी के मुकाबले इस बार लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य चुनाव मैदान में है. ऐसे में सारण में प्रतिष्ठा की लड़ाई में लालू परिवार फंसा हुआ है. रूडी ने 2014 में लालू यादव की पत्नी राबड़ी देवी के खिलाफ सफलता पाई थी. पांच साल बाद रूडी ने लालू प्रसाद के बड़े बेटे तेज प्रताप यादव के ससुर चंद्रिका राय को 2019 में हराया। अब रूडी के मुकाबले रोहिणी आचार्य हैं. इस सीट से लालू प्रसाद यादव 1977, 1989, 2004 और 2009 में कुल 4 बार सांसद रहे हैं. वहीं, भाजपा के राजीव प्रताप रूडी भी यहां से 4 बार 1996, 1999, 2014 और 2019 में सांसद रह चुके हैं. राजीव प्रताप रूडी इस बार हैट्रिक लगाने की तैयारी में हैं.

हालाँकि रूडी की चाहत और जमीनी हकीकत के बीच कई तरह की चुनौतियाँ भी हैं. एक ओर दस साल से सांसद रहने के कारण उन्हें क्षेत्र में कई तरह के सवालों का सामना करना पड़ा है. वहीं दूसरी ओर सारण का जातीय समीकरण भी रूडी को कई मोर्चों पर जाति के बंधन को तोड़ने की चुनौती देने वाला है. इतना ही नहीं सारण लोकसभा क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले छह विधानसभा क्षेत्रों में ही राजद की दमदार उपस्थिति है. साथ ही लालू यादव के लिए वर्ष 1977 से ही यह इलाका उनकी सियासी कर्मभूमि भी रही है.

लालू की राह पर रोहिणी : 47 वर्षीय रोहिणी आचार्य राजनीति में प्रवेश करने वाली लालू परिवार की छठी और अपने भाई-बहनों में चौथी सदस्य हैं. पिता लालू यादव को किडनी दान करने के कारण सुर्खियां बनी रोहिणी अब पिता की तरह ही सारण से सियासी सफर शुरू करने जा रही है. एमबीबीएस की डिग्री लेने के बाद रोहिणी की शादी हुई तो सिंगापुर चली गई. हालाँकि वहां से भी बिहार की राजनीती पर टीका-टिप्पणी करने का सिलसिला रोहिणी ने बरकरार रखा. अब बिहार में सियासत करने उतरी है तो सारण में तपती गर्मी में सियासी पारा और ज्यादा हाई किए है. पिता की तरह ही चुनावी सभाओं में अभिवादन के जवाब में भीड़ से शुद्ध भोजपुरी में "रउआ सब के गोर लागतानी (मैं आप सभी के सामने झुकती हूं)" की गर्जना कर वह पिता की तरह ही भाषाई जुड़ाव करने की कोशिश में लगी है. साथ ही लालू परिवार के तमाम सदस्य रोहिणी के लिए सारण में जमकर पसीना बहा रहे हैं. 

रूडी के काम का हिसाब : रोहिणी अपनी जनसभाओं में लालू यादव के काम गिनवाती है. "मेरे पिता ने रेल मंत्री रहते हुए सारण में रेल पहिया संयंत्र स्थापित करवाया था। रूडी पर हमला बोलते हुए रोहिणी कहती है ‘वर्तमान सांसद कौशल विकास मंत्री थे। उन्हें हमें बताना चाहिए कि उन्होंने अपने कार्यकाल के दौरान यहां के युवाओं के लिए क्या किया।" ऐसे में सियासत में नौसिखिया होते हुए भी रोहिणी कई मुद्दों पर प्रतिद्वंद्वी को घेर रही है. हालाँकि जवाबी हमला करने में भाजपा भी पीछे नहीं है. पीएम मोदी के काम को गिनाते हुए और लालू राज के भ्रष्टाचार को बताते हुए रोहिणी को लगातार घेरा जा रहा है. 

जाति का असली खेला : ऐसे में कागज पर दोनों पार्टियां समान रूप से अच्छी स्थिति में दिखती हैं। लेकिन जमीन की बात करें तो जातीय बंधनों को तोड़ते हुए रूडी ने दो बार चुनाव जीता है. 23 फीसदी के करीब राजपूत मतदाता यहां भाजपा प्रत्याशी की सबसे बड़ी ताकत हैं. राजीव प्रताप भी राजपूत हैं. हालांकि यादव भी सारण इसी तरह 22 फीसदी से ज्यादा माने जाते हैं. रोहिणी का यादव होना उनके लिए सकारत्मक पक्ष है. लेकिन चिंता की बात लालू के समधी चंद्रिका राय बने है. चंद्रिका राय का लालू परिवार से अच्छा संबंध नहीं रह गया है. ऐसे में वे चुनाव में भी इसका बदला लेने को आतुर हैं. वे राजीव प्रताप रूडी के लिए चुनाव प्रचार करते भी सक्रिय हैं. सारण में करीब 20 फीसदी वैश्य मतदाता हैं. वहीं 13 फीसदी मुसलमान और 12 फीसदी दलित हैं. 

राजद के चार विधायक : राजद की स्थिति विधानसभा क्षेत्रों में मजबूत है. सारण के छह में से 4 पर राजद के विधायक हैं. वहीं 2 पर भाजपा के विधायक हैं. ऐसे में यह समीकरण राजद को कितना फायदा देगा यह मतदाताओं को तय करना है. चार बार लालू यादव यहां से सांसद रहे हैं. अब उनकी बेटी क्या करिश्मा कर पाती है यह आम सारण के मतदाताओं के मन में छिपा सबसे बड़ा राज है. इन तमाम सियासी उथल पुथल के बीच सारण न सिर्फ बिहार बल्कि देश में भी सबसे अधिक उत्सुकता से देखी जाने वाली सीटों में से एक है.