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सर्दी को मौसम में कौन सा ले फ्लू वैक्सीन ? जानिए सामान्य कोल्ड और कोरोना वायरस में पता चलेगा अंतर !

सर्दी को मौसम में कौन सा ले फ्लू वैक्सीन ? जानिए सामान्य कोल्ड और कोरोना वायरस में पता चलेगा अंतर !

DESK: अकसर ऐसा देखा गया है कि  मौसम में बदलाव होने पर स्वास्थ्य संबंधी कई समस्याएं पैदा हो जाती हैं. इस माह के बाद सर्दी का मौसम शुरू होने वाला है. इस मौसम में सामान्य फ्लू का खतरा और भी  बढ़ जाता है. कोरोना वायरस की महामारी में फ्लू होने की आशंकाओं को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता. फ्लू और कोविड-19 के लक्षणों में कई  सारी समानताएं हैं, जिससे फ्लू होने के बाद लोगों में कोरोना संक्रमण का डर सताने लगता है. ऐसे में उचित समय पर फ्लू वैक्सीन की डोज फ्लू जैसी बीमारियों के जोखिमों को कम करता है.

रोग नियंत्रण और रोकथाम केंद्र (सीडीसी) ने दावा किया है कि सर्दियों में कोविड-19 के साथ मौसमी फ्लू के मामलों में बढ़ोतरी हो सकती है. सीडीसी ने एहतियात बरतने और अक्तूबर के आखिरी सप्ताह या नंवबर के शुरुआती दिनों में फ्लू शॉट्स लेने की सलाह दी है. मौजूदा समय में कोविड-19 वैक्सीन की अनुपलब्धता की वजह से फ्लू शॉट्स की डोज महत्वपूर्ण हो जाती है. इससे फ्लू और श्वसन संबंधित संक्रमण को नियंत्रित किया जा सकता है.

बच्चों और बुजुर्गों को फ्लू का खतरा अधिक

हमारे देश में सर्दियों में वायरस इंफेक्शन और एलर्जी के कारक हमेशा  बनते हैं. इससे खांसी-जुकाम, सिरदर्द, बुखार जैसी समस्याएं बढ़ जाती हैं. नेशनल सेंटर फॉर बॉयोटेक्नोलॉजी इंर्फोमेशन (एनसीबीआइ) के अनुसार, 2019 में भारत में लगभग 28,798 लोग मौसमी फ्लू से प्रभावित थे और करीब 1220 लोगों की मौत हुई थी. फ्लू का ज्यादा खतरा 5 साल से कम उम्र के बच्चों, 65 साल से अधिक उम्र के बुजुर्गों और पुरानी बीमारियों से जूझ रहे मरीजों को है. बच्चों और बुजुर्गों की रोग प्रतिरोधक क्षमता और भी ज्यादा कमजोर होती है. इसके कारण मौसमी फ्लू का खतरा ऐसे लोगों में अधिक होता है.


सामान्य सर्दी-जुकाम जहां एक सप्ताह में ठीक हो जाते हैं, जबकि इन्फ्लूएंजा जैसे वायरल फ्लू लंबे समय तक रहते है. इससे फेफड़े अधिक  प्रभावित होते हैं. मौजूदा समय में कोरोना और फ्लू के लक्षण लगभग एक समान हैं. बावजूद इसके इनके लक्षणों में कुछ असमानताएं हैं, जिससे इनमें फर्क किया जा सकता है.फ्लू बिना किसी के संपर्क में आये वातावरण में मौजूद वायरस या सर्दी लगने से होता है. वही, कोरोना का संक्रमण किसी वस्तु या व्यक्ति के संपर्क में आने के कारण होता है.

फ्लू में नाक बहना शुरू हो जाता है और बाद में गला जाम हो जाता है, जबकि कोरोना व्यक्ति के गले में ड्राई कफ बनाता है. यह बाद में फेफड़ों तक पहुंच जाता है, जिससे सांस लेने में तकलीफ होती है.

फ्लू में बुखार के साथ जुकाम, छींक आना, नाक बहना, सिरदर्द, खांसी, गला खराब हो जाता है. कोरोना में बुखार के साथ सूखी खांसी होती है, जिससे मरीज को सांस लेने में दिक्कत होती है.

दवा लेने पर फ्लू 3-4 दिन में कम हो जाता है, जबकि कोरोना के लक्षण 3-4 दिन में बढ़ने लगते हैं.

फ्लू में बुखार के साथ खांसी, बदन और सिर में असहनीय दर्द, उल्टियां भी हो सकती हैं. वहीं, कोरोना में उल्टियां नहीं आती.

किसे लेनी चाहिए फ्लू वैक्सीन

कमजोर इम्यूनिटी वाले लोग इसकी डोज लें.

65 साल या उससे अधिक उम्र के व्यक्ति को.

6 माह से 7 साल तक के बच्चे को इसकी जरूरत.

हार्ट डिजीज, डायबिटीज, अस्थमा, सीओपीडी, मोटापा जैसे रोगों से ग्रसित लोगों को.

गर्भवती महिलाओं या केयरहोम में रहने वाले लोगों को.

सोशल या हेल्थकेयर वर्कर जरूर लें फ्लू शॉट्स.

बीमार व्यक्ति की देखभाल करने वाले लोगों को.

बरतें सावधानियां

बदलते मौसम में ठंड से बचना चाहिए. घर या कार में यात्रा करते समय एसी से परहेज करें. प्रोटीन व मिनरल्स से भरपूर डाइट लें. तरल पदार्थो का सेवन ज्यादा करें. ठंडा पेय पदार्थ , सॉस, खट्टी चीजें, चाट, चटनी जैसे फूड्स से परहेज करें. इससे गला खराब होने और फ्लू का खतरा बढ़ सकता है. पर्सनल हाइजीन और स्वच्छता का ध्यान रखें. सर्दी-जुकाम होने पर नाक-मुंह को ढक कर रखें. डिस्पोजेबल नेपकिन से नाक साफ करें. अपने हाथों को धोएं या सैनिटाइजर से साफ करें.

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