बिहार में आरा मिल संचालकों को दो दशक बाद मिलेंगे लाइसेंस, अक्टूबर-नवंबर तक होगा निर्गमन

पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने पटना के अरण्य भवन में आरा मिल से संबंधित समीक्षा बैठक की अध्यक्षता करते हुए महत्वपूर्ण घोषणा की। उन्होंने बताया कि इस साल अक्टूबर-नवंबर तक सभी चयनित आरा मिल संचालकों को लाइसेंस जारी कर दिए जाएंगे। यह लाइसेंस लगभग दो दशक बाद निर्गत किया जाएगा। इस संबंध में विभाग ने आगे की कार्रवाई की पूरी तैयारी कर ली है, और सभी आरा मिल संचालकों को आपत्ति संबंधी आवेदन समर्पित करने का अवसर प्रदान किया गया है।
मंत्री डॉ. प्रेम कुमार ने कहा कि 29 अक्टूबर 2002 तक जिन आरा मिल मालिकों ने लाइसेंस के लिए आवेदन किया था, परंतु उन्हें अब तक लाइसेंस नहीं मिला है, ऐसे मिलों की सूची तैयार की जा रही है। उन्होंने कहा कि सभी वन प्रमंडल पदाधिकारियों को एक निश्चित अवधि के भीतर सुनवाई कर जानकारी एकत्रित करने और उसे निर्धारित प्रपत्र में प्रस्तुत करने के निर्देश दिए गए हैं।
बैठक के दौरान मंत्री ने जानकारी दी कि बिहार काष्ट चिरान (विनियमन) अधिनियम, 1990 के तहत कुल 2725 आरा मिलों को लाइसेंस प्राप्त हैं। इसके बावजूद, कई मिलों को लाइसेंस के लिए लंबी प्रतीक्षा करनी पड़ी है। मंत्री ने सभी प्रमंडल अधिकारियों को इस मुद्दे को प्राथमिकता के आधार पर हल करने का निर्देश दिया है। इसके साथ ही उन्होंने आरा मिलों की वरीयता सूची प्रकाशित करने के आदेश दिए हैं, ताकि लाइसेंस निर्गमन की प्रक्रिया को पारदर्शी और तेज़ बनाया जा सके।
समीक्षा बैठक के दौरान मंत्री ने विभागीय अधिकारियों को निर्देश दिया कि वे किसी भी प्रकार की अनियमितता या भ्रष्टाचार की शिकायतों को गंभीरता से लें और ऐसी घटनाओं को रोकने के लिए सख्त कदम उठाएं। उन्होंने कहा कि लाइसेंस निर्गमन की प्रक्रिया में पारदर्शिता सुनिश्चित की जाएगी, ताकि कोई भी संचालक अनावश्यक रूप से परेशान न हो। मंत्री ने यह भी कहा कि राज्य सरकार का यह कदम उद्योगों को प्रोत्साहित करने और उन्हें आवश्यक कानूनी ढांचा प्रदान करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है। उन्होंने आश्वासन दिया कि सरकार हर आरा मिल संचालक की समस्याओं को ध्यान में रखते हुए, उन्हें हल करने के लिए हरसंभव मदद करेगी।