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घोटालामैन ! दलित IAS अफसर ही निकला दलित बच्चों का दुश्मन...इनके पैसे से भरी अपनी तिजोरी, अब न्यायालय ने भेज दिया हवालात

घोटालामैन !  दलित IAS अफसर ही निकला दलित बच्चों का दुश्मन...इनके पैसे से भरी अपनी तिजोरी, अब न्यायालय ने भेज दिया हवालात

PATNA: बिहार के दलित छात्र-छात्राओं के हक को किसी दूसरे ने नहीं बल्कि उसी समाज के अफसर ने हिस्सा खाया था. दलितों के लिए सरकारी पैसे से दलित आईएएस अफसर ने अपनी तिजोरी भरी. कहा जाता है न..पाप का घड़ा एक दिन जरूर भऱता है. वैसा ही हुआ. देर से ही सही लेकिन उस भ्रष्ट अफसर को जेल की हवा खानी पड़ी। पटना की निगरानी अदालत ने भ्रष्ट और सेवानिवृत आईएएस अफसर को जेल भेज दिया है. 

आखिरकार आज जाना ही पड़ा जेल 

निगरानी कोर्ट ने आईएएस अधिकारी रहे एस. एम. राजू की नियमित जमानत याचिका खारिज कर न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया. इनके खिलाफ निगरानी थाना कांड संख्या 181/2017 दर्ज है. निगरानी ब्यूरो की तरफ से बताया गया है कि सेवानिवृत्त आईएएस अधिकारी एस. एम. राजू की नियमित जमानत याचिका को निगरानी के विशेष न्यायाधीश मनीष द्विवेदी ने खारिज कर दिया है.इसके बाद उन्हें न्यायिक अभिरक्षा में भेजा गया है. राजू पर महादलित विकास मिशन के मुख्य कार्यपालक पदाधिकारी के पद पर रहते हुए सरकारी राशि के गबन एवं भ्रष्टाचार के आरोप लगे थे .इनके खिलाफ निगरानी में 81/ 2017 केस दर्ज किया गया था. आईएएस अधिकारी पर धारा 406, 409, 420, 467, 468, 471, 477a एवं धारा 120 बी के तहत प्राथमिकी दर्ज की गई थी.निगरानी की तरफ से बताया गया है कि आईएएस अधिकारी के खिलाफ दर्ज केस की जांच के बाद आरोप प्रमाणित पाये गए। इसके बाद आईएएस अधिकारी एस एम राजू के खिलाफ 25 अप्रैल 2019 को आरोप पत्र दाखिल किया गया था. निगरानी कोर्ट में एसएम राजू ने नियमित जमानत याचिका दाखिल की थी. जिसे आज कोर्ट ने खारिज करते हुए राजू को न्यायिक अभिरक्षा में भेज दिया है.

जानें पूरा मामला 

बता दें, बिहार के एससी-एसटी कल्याण विभाग में छात्रवृत्ति घोटाला हुआ था. तकनीकी संस्थानों में पढ़ने वाले एससी-एसटी छात्रों के एवज में फर्जी तरीके से संस्थानों को भुगतान का आरोप था. 1991 बैच के आईएएस अधिकारी रहे एसएम राजू पर विभिन्न तकनीकी संस्थानों-कॉलेजों में पढ़ने वाले sc-st छात्र-छात्राओं को 2013-14 और इसके पूर्व के वर्षों में भी छात्रवृत्ति भुगतान में अनियमितता के आरोप थे.खुलासे के बाद सरकार ने निगरानी जांच के आदेश दिए थे. निगरानी ब्यूरो ने उनके खिलाफ 29 नवंबर 2016 को मुकदमा दर्ज किया था. यह मामला काफी चर्चा में आया. घोटाला सामने आने के बाद नीतीश सरकार की काफी फजीहत हुई थी. 

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