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शिवानन्द तिवारी ने सीएम नीतीश पर किया हमला, कहा पहले लोगों को छककर पिलाई शराब, फिर उनपर गांधीजी सवार हो गए

शिवानन्द तिवारी ने सीएम नीतीश पर किया हमला, कहा पहले लोगों को छककर पिलाई शराब, फिर उनपर गांधीजी सवार हो गए

PATNA : राजद के वरिष्ठ नेता शिवानन्द तिवारी ने एक बार फिर मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर हमला बोला है। उन्होंने कहा की शराबबंदी को लेकर नीतीश कुमार पर जुनून सवार है। सोलह सतरह वर्षों के अपने शासन काल में किसी भी मुद्दे को लेकर नीतीश कुमार में ऐसा जुनून नहीं दिखाई दिया। अभी जो उनका समाज सुधार अभियान चल रहा है यह उनका व्यक्तिगत या दलीय अभियान नहीं है। बल्कि यह पूरी तरह सरकारी अभियान है। इस अभियान का संपूर्ण खर्च गरीब बिहार के सरकार के खजाने से हो रहा है। उन्होंने कहा की बिहार गरीब प्रदेश है। स्वयं नीतीश कुमार और उनके लोग मानते हैं कि जब तक बिहार को विशेष राज्य के दर्जा के रूप में विशेष सहायता नहीं मिलेगी तब तक बिहार अगली कतार के राज्यों में शामिल नहीं हो सकता है। ऐसे गरीब प्रदेश का संसाधन एक व्यक्ति को अपनी सनक में लुटवाता देखकर बहुत पीड़ा होती है। ऐसा नहीं है कि नीतीश कुमार में शराब के प्रति जो वितृष्णा दिखाई दे रही है वह ईमानदार है।  जिस किसी को मेरी इस बात पर शुबहा हो वह स्वयं इसकी तस्दीक़ कर ले। इसका बहुत साधारण तरीक़ा है। 2005 में नीतीश कुमार की जब सरकार आई। उस समय उत्पाद विभाग का राजस्व कितना था और जब नीतीश कुमार ने 2015 में जब शराबबंदी लागू की। उस समय तक उत्पाद विभाग का राजस्व कितना पहुँच गया था। यह आंकड़ा ही बयां कर रहा है कि 10 बरसों तक नीतीश कुमार ने बिहार के लोगों को छक कर शराब पिलाई। 2015 में नीतीश कुमार की आत्मा पर अचानक गांधी जी सवार हो गये। अब गांधी जी की दुहाई देकर लोगों को शराब पीने से मना कर रहे हैं। नीतीश कुमार ऐसा क्यों कर रहे हैं ! नीतीश कुमार के विषय में मेरी समझ बहुत स्पष्ट है। वे चुनौतियों से जूझते नहीं हैं, बल्कि पलायन करते हैं। नहीं तो क्या वजह है कि लगभग अठारह बरसों से बिहार में इनकी सरकार है। विकास पुरुष कहलाते हैं। लेकिन नीति आयोग का ताज़ा रिपोर्ट बता रहा है कि बिहार में 52% लोग ग़रीब हैं। सबसे शर्मिंदगी की बात तो यह है कि राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वे के मुताबिक़ बिहार के पाँच वर्ष से कम उम्र के 48.3 फ़ीसदी बच्चे बौनापन के शिकार हैं। यह सबसे क्रूर क़िस्म की ग़ैर बराबरी है। क्योंकि इन बच्चों ने ऐसी गरीब माँ के कोख से जन्म लिया है जिनको गर्भ के दरम्यान पौष्टिक आहार नहीं मिला। फलस्वरूप जन्म के समय इन बच्चों का वज़न कम रहा और उसके बाद पाँच बरसों तक उनको पौष्टिक आहार नहीं मिला। नतीजा है कि वह बच्चा आजीवन शरीर और मस्तिष्क दोनों से बौना ही रहेगा। यह हमारा आरोप नहीं है बल्कि 23 अगस्त 2020 को महिला एवं बाल विकास मंत्री स्मृति ईरानी ने एक सवाल के जवाब में लोकसभा में यह बताया है।  

उन्होंने कहा की नीतीश कुमार कैसे विकास पुरुष हैं! कैसा उनका विकास है? अगर नज़र दौड़ाइएगा तो इनके विकास में चमक दमक दिखाई देता है। हड़ताली मोड़ पर ऐसा म्यूज़ियम दिखाई देगा जहाँ दिन भर में सौ लोग भी नहीं जाते हैं। उसकी लागत कितना सौ करोड़ है ! पता कर लीजिए। अगली योजना नए म्यूज़ियम से पुराने म्यूज़ियम को जोड़ने के लिए सुरंग बनाने की है। जिसमें बिजली से चलने वाली सवारी से लोग इधर से उधर आ जा सकेंगे। इनके शासन काल में बने बड़े बड़े, ऊँचे ऊँचे भवनों को देखिए। कई ऐसे भवन बनाये बनाए हैं जिनका कोई उपयोग नहीं है। कोई बता रहा था कि दशरथ माँझी के नाम पर कई कमरों का भवन बना है। लेकिन उसकी कोई उपयोगिता नहीं है। इनके आवासीय परिसर में ही कितना निर्माण हुआ है। फोर केजी में जो नया और आधुनिक सभागार का निर्माण हुआ है उसमें पिछले एक वर्ष में कितनी सभाएँ हुई हैं।  

शिवानन्द तिवारी ने कहा की इस ग़रीब राज्य में दोनों हाथ से पैसा लुटाने वाला आदमी गांधी का नाम लेता है तो ग़ुस्सा आता है। गाँधी को गाली दी जाती है डर के मारे ज़ुबान नहीं खुलती है। मोतिहारी में गांधी की मूर्ति तोड़ दी गई, मौन हैं। अभी समस्तीपुर में इनके पार्टी का एक मुसलमान कार्यकर्ता की भीड़ ने हत्या कर दी। उसको जलाकर गाड़ दिया गया। कारण उसका धर्म था। लेकिन नीतीश कुमार ने अभी तक इन पर अपनी ज़ुबान नहीं खोली है। नीतीश कुमार के समाज सुधार एजेंडे में सामाजिक या सांप्रदायिक सद्भाव का स्थान नहीं है। क्योंकि जिस गठबंधन में वे हैं, उसमें सांप्रदायिक सौहार्द के लिए अभियान की इजाज़त कहाँ है। जबकि महात्मा गांधी सांप्रदायिक हिंसा के ही शिकार हुए थे। धीरे-धीरे आज वही माहौल बिहार में बनता जा रहा है।  मुझे अंदेशा है कि इतिहास में नीतीश कुमार को ज़रूर स्थान मिलेगा। लेकिन इतिहास इनको चुनौतियों से मुक़ाबला करने वाले नेता के रूप में नहीं बल्कि घुटना टेकने वाले मुख्यमंत्री के रूप में ही याद रखेगा। 

 

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