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जब स्वास्थ्य केंद्र ही 'बीमार' तो कैसे हो मरीजों का इलाज? भागलपुर के इस अस्पताल में डॉक्टर-रोगियों की जगह रहते हैं सांप-बिच्छू

जब स्वास्थ्य केंद्र ही 'बीमार' तो कैसे हो मरीजों का इलाज? भागलपुर के इस अस्पताल में डॉक्टर-रोगियों की जगह रहते हैं सांप-बिच्छू

भागलपुर. अगर आप भागलपुर स्मार्ट सिटी के हबीबपुर के अतिरिक्त स्वास्थ्य केंद्र इलाज के लिए आ रहे हैं तो पहले उसका हाल जान लीजिए। यहां के डॉक्टर भी डरे सहमे रहते हैं और इलाज कराने आये मरीज भी, क्योंकि वह भवन इस कदर जर्जर स्थिति में है कि वह एक जीता जागता भूत बंगला बन गया है। यहां सांप बिच्छू के अलावे पूरा भवन जंगल में तब्दील हो चुका है। पूरे भवन में मकड़ियों का जाला और दिमक लगा हुआ है। छत की स्थिति ऐसी है कि कभी भी ऊपर का छत जमीन पर आ सकता है। गेट और खिड़की में दीमक लगे हुए हैं। नाला और वर्षा के पानी से जलजमाव की स्थिति महीनों बनी रहती है। मरीजों का वहां इलाज कराने जाना तो दूर वह सोचते भी नहीं हैं। 

बिहार सरकार की पोल खोलती स्मार्ट सिटी का स्वास्थ्य केंद्र सब कुछ बयां कर रहा है, जबकि इस स्वास्थ्य केंद्र पर लाखों लाख रुपये हर महीने खर्च होते हैं। कई अधिकारी, कई डॉक्टर, कई कार्यालयकर्मी यहां अपॉइंट किए गए हैं, लेकिन स्थिति बद से बदतर है। यहां के डॉक्टर अधिकारी व कर्मी भी आने से डरते हैं, उनका साफ तौर पर कहना है कि स्वास्थ्य केंद्र में बारिश और नाले का पानी जमा रहता है, जिसके चलते काफी दुर्गंध रहती है। बैठने की कोई व्यवस्था नहीं है। यहां पर सांप बिच्छू जैसे कई जानवर निकलते रहते हैं, जिससे डर बना रहता है। भागलपुर के हबीबपुर थाना क्षेत्र अंतर्गत अतिरिक्त प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र का भवन पूर्णरूपेण जर्जर हो चुका है। आए दिन टूट टूट कर छत की दीवार गिरती रहती हैं। वहीं कई बार छत की छज्जा के गिरने के कारण कई स्वास्थ्य कर्मी व मरीज घायल भी हो गए हैं। 

हबीबपुर के निवासी मोहम्मद महमूद ने बताया कि यह  स्वास्थ्य केंद्र नहीं भूत बंगला है, क्योंकि यह वर्षों से खंडर पड़ा हुआ है। पूरा भवन जर्जर है, कमरों के छत इस कदर गिर रहे हैं, मानो ताश के पत्ते झड़ रहे हों। वर्षों से बंद पड़े कई कमरे में मकड़ी का जाला लगा हुआ है। महीनों नाला और बरसा के पानी के चलते यह बंद रहता है और जंगल में तब्दील हो चुका है। पानी सूखने के बाद कभी खुलता भी है तो डॉक्टर व कार्यालय के लोग आते हैं और तुरंत चले जाते हैं। साथ ही ग्रामीणों ने यह भी बताया कि स्वास्थ्य केंद्र को जल्द से जल्द ठीक कराया जाए, क्योंकि घनी आबादी वाला क्षेत्र है। जर्जर भवन के चलते डॉक्टर और मरीज डरे और सहमे रहते हैं। कभी भी यह भवन बड़ा हादसा का रूप ले सकता है। 

स्वास्थ्यकर्मी रहते हैं भय के साए में

स्वास्थ्य केंद्र हबीबपुर में कार्यरत डॉ. मुनिस आलम ने बताया कि इस केंद्र की जर्जर स्थिति के कारण लोग यहां बहुत कम आते हैं और जो आते हैं, वह डरे और सहमे रहते हैं। साथी यहां के कर्मी भी डरे व सहमे रहते हैं, क्योंकि छत काफी डैमेज हो चुका है और उससे गिट्टी बालू गिरते रहते हैं। कई बार यहां के स्वास्थ्य कर्मी एवं मरीज भी घायल हो चुके हैं। उन्होंने यह भी बताया कि स्वास्थ्य केंद्र के सभी दरवाजे व खिड़कियां जर्जर स्थिति में है, जिसके चलते कई बार यहां जो भी रखी चीजें होती है चोर चोरी कर ले जाते हैं। वहीं डॉक्टर विमलानंद झा ने बताया कि इसके लिए कई बार स्वास्थ्य विभाग को पत्र भी लिखा गया, लेकिन अभी तक इस पर कोई संज्ञान नहीं लिया गया है। आये दिन पानी की समस्या बिजली की समस्या नाली और वर्षा का पानी जमा होने की समस्या से लेकर जर्जर भवन से लोग डरे रहते हैं। अब यह मकान पूर्णरूपेण तोड़कर ही बनाना सही रहेगा, क्योंकि यह मकान काफी पुराना है और इसकी इतनी जर्जर स्थिति है कि इसे ठीक करना भी खतरे से खाली नहीं है। क्लर्क कुंदन ने कहा कई दफे सांप के डसने से बचा हूं। यहां काम करने से ज्यादा खतरनाक जानवरों और जर्जर भवन से भयभीत रहता हूं, ना तो यहां का टेबल कुर्सी सही सलामत है और ना ही किसी तरह की स्वास्थ्य व्यवस्था ही दुरुस्त है इसी तरह खानापूर्ति करने आता हूं।

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