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शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कर दी अहम टिप्पणी, राज्य सरकार को बड़ी राहत

शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पहनने के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने कर दी अहम टिप्पणी, राज्य सरकार को बड़ी राहत

DESK. कर्नाटक हिजाब मामले में आज भी सुनवाई जारी रही। सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की बेंच शिक्षण संस्थानों में हिजाब पहनने पर प्रतिबंध को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए कई अहम टिप्पणी की है। हिजाब प्रतिबंध को चुनौती देने वाले एक याचिकाकर्ता ने तर्क दिया कि राज्य में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने का अधिकार नहीं है। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने साफ किया कि कर्नाटक सरकार के पास शैक्षणिक संस्थानों में यूनिफॉर्म अनिवार्य करने की शक्ति थी। एससी ने कहा कि आप तर्क दे सकते हैं कि उनका परिपत्र किसी भी वैधानिक प्रावधान का उल्लंघन हो सकता है, लेकिन यह कहना कि उनके पास शक्ति नहीं है, सही नहीं है। 

न्यायमूर्ति हेमंत गुप्ता और सुधांशु धूलिया की पीठ ने कहा कि इससे कोई फर्क नहीं पड़ेगा, भले ही राज्य के फरवरी 2022 के सर्कुलर, जिसने सरकार के शैक्षणिक संस्थानों में यूनिफॉर्म अनिवार्य कर दिया हो। अगर सर्कुलर में गलत सेक्शन का भी जिक्र किया गया है, तो इससे ज्यादा फर्क नहीं पड़ेगा। इस अदालत के एक फैसले के बाद एक वैधानिक आदेश और एक कार्यकारी आदेश के बीच का अंतर समाप्त कर दिया गया है। 

इससे पहले याचिकाकर्ताओं की ओर से पेश वकील ने दलील दी कि अगर हिजाब पर बैन जारी रहा तो स्कूली छात्राएं वापस मदरसे में जाने के लिए मज़बूर होगी। कर्नाटक के स्कूलों में हिजाब पर बैन के बाद अभी तक 17 हजार छात्राएं स्कूल छोड़ चुकी है। वो परीक्षा में शामिल नहीं हुई। वकील हुजेफा अहमदी की इस दलील पर जस्टिस सुधांशु धुलिया ने पूछा - क्या आप ये कहना चाहते है कि लड़कियां हिजाब नहीं पहनना चाहती, उन्हें इसके लिए मज़बूर किया जाता है?


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