पटना. बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री और भाजपा के राज्यसभा सांसद सुशील मोदी ने सरकारी स्कूलों में कई छुट्टियों के रद्द करने के बिहार सरकार के फरमान को हिंदू विरोधी सर्कुलर कहा है. उन्होंने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार से मांग की है कि इस हिंदू विरोधी सर्कुलर को तत्काल वापस लिया जाए. दरअसल, बिहार शिक्षा विभाग ने सितंबर से दिसंबर के बीच सरकारी स्कूलों में त्योहार की छुट्टियों की संख्या 23 से घटाकर 11 कर दी है. शिक्षा विभाग ने रक्षाबंधन, हरितालिका व्रत तीज, जिउतिया, विश्वकर्मा पूजा, श्री कृष्ण जन्माष्टमी, गुरु नानक जयंती जैसे कई पर कई त्योहारों पर छुट्टियां रद्द कर दी है. इसी को लेकर सुशील मोदी ने नीतीश सरकार को घेरा है.
उन्होंने कहा कि बिहार सरकार के शिक्षा विभाग में रक्षाबंधन, जन्माष्टमी, तीज, कार्तिक पूर्णिमा जैसी छुट्टियाँ रद्द की गई है. दिवाली और छठ की छुट्टियों में कटौती की गई है. इससे बिहार सरकार ने हिंदू विरोधी मानसिकता का परिचय दिया है. आखिर हिंदुओं की छुट्टियों के रद्द क्यों किया गया. एक ओर कार्तिक पूर्णिमा की छुट्टी रद्द की गई तो मोहम्मद साहब के जन्मदिन और चेहल्लुम की छुट्टियां बरकरार रखी गई हैं. जन्माष्टमी, जितिया और अन्य महत्वपूर्ण हिंदुओं के त्योहारों की छुट्टियों को रद्द कर दिया गया.
उन्होंने शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव केके पाठक को निशाने पर लेते हुए कहा कि नीतीश कुमार ने एक ऐसे व्यक्ति को बिहार शिक्षा विभाग का जिम्मा दे रखा है जो ऐसे ऐसे आदेश देकर पूरे देश में बिहार की जगहंसाई कर रहा है. उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार से अपील है कि हिंदू विरोधी सर्कुलर को वापस लिया जाए.
सुशील मोदी ने कहा कि छुट्टियों को रद्द करने में जिस राइट टू एजुकेशन का हवाला दिया गया है उसकी धारा 27 में यह कहा गया है कि गैर शिक्षण कार्य में शिक्षकों को नहीं लगाया जा सकता. वहीं बिहार सरकार ने दो महीने जाति गणना का काम चलाया. उसमें बिहार के शिक्षक लगे रहे. मतदाता सूची का पुनरीक्षण हो उसमें शिक्षक लगे रहे. अगर गैर शैक्षणिक कार्य में शिक्षकों को लगाने से हटा दिया जाए तो शिक्षकों की छुट्टियों में कटौती करने का कोई कारण नहीं है. इसलिए इस हिंदू विरोधी सर्कुलर को तत्काल बिहार सरकार वापस लेने का काम करे.