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अफगानिस्तान के ऐतिहासिक स्थलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं तालिबानी लड़ाके, पहले भी कर चुके हैं ऐसा, जानिए अब किन जगहों को किया है बर्बाद

अफगानिस्तान के ऐतिहासिक स्थलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं तालिबानी लड़ाके, पहले भी कर चुके हैं ऐसा, जानिए अब किन जगहों को किया है बर्बाद

DESK : अफगानिस्तान के सांस्कृतिक-ऐतिहासिक धरोहरों पर तालिबान का खतरा मंडरा रहा है. तालिबान ने पहले भी अफगानिस्तान की ऐतिहासिक इमारतों और धरोहरों को तोप के गोलों और रॉकेट से नष्ट कर दिया था. इस बार फिर खतरा मंडरा रहा है कि ये बची हुई ऐतिहासिक इमारतों भी कही नष्ट न हो जाये. शायद अफगानिस्तान को तालिबान के आने की खबरें पहले से ही हो गयी थी, इसलिए कई म्यूजियम में से बेशकीमती ऐतिहासिक धरोहरों को दूसरी जगह भेजा जा चूका था और उसकी सुरक्षित करने में लग गए थे. और साथ ही साथ अफगानी कलाकारों ने भी अपने स्टूडियो को बंद कर बचने की कोशिश कर रहे है.   

अफगानिस्तान की ऐतिहासिक और सांस्कृतिक धरोहरों को साल 2001 से भी ज्यादा खतरा तो इस बार है. आइए जानते हैं कि तालिबान ने अब तक किन किन ऐतिहासिक धरोहरों को नुकसान पहुंचाया है।

बामियान की बुद्ध प्रतिमा - सबसे पहले और सबसे ज्यादा प्रसिद्ध है बामियान के बुद्ध मार्च 2001 में तालिबानी लड़ाकों ने 7वीं सदी के बुद्ध की प्रतिमाओं को बम  मारकर गिरा दिया था।  

नेशनल म्यूजियम ऑफ अफगानिस्तान पर हमला : साल 1992 में तालिबान ने नेशनल म्यूजियम ऑफ अफगानिस्तान पर हमला किया. वहां से ऐतिहासिक चीजों की चोरी की. म्यूजियम में रखी गईं 1 लाख से ज्यादा ऐतिहासिक धरोहरों को बर्बाद कर दिया था। 

पुली खुमरी पब्लिक लाइब्रेरी को पहुंचाया नुकसान -   1998 के पुली खुमरी पब्लिक लाइब्रेरी को तालिबान ने निशाना बनाया और वहा से 55 हजार से ज्यादा की किताबों और प्राचीन पांडुलिपियां रखी हुई थीं. जो की अफगानी संस्कृति की पहचान हुआ करती थी लूट ले गए

शाहरक जिले में स्थित जैम का मीनार में लगाई आग - 2018 में अफगानिस्तान के शाहरक जिले में स्थित जैम का मीनार जिस पर तालिबान का कब्जे है,  इस जगह को तालिबान के लड़ाकों और स्थानीय सेनाओं के बीच मुठभेड़  होने के करण तालिबानियों ने इस मीनार के आसपास के जंगलों में आग लगा दी थी. जिसकी वजह से पास में स्थित एक मस्जिद जल गई थी. इस मीनार को यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट में भी शामिल किया गया है. 

पर्ल ऑफ  खोरासन पर किया कब्जा - अफगानिस्तान का हेरात शहर इस देश की सांस्कृतिक और ऐतिहासिकता की धरोहर है. लेकिन इस समय इस शहर पर तालिबान का कब्जा है। इस शहर को ऐतिहासिक तौर पर पर्ल ऑफ खोरासन कहते हैं. साल 1995 में तालिबान ने इस पर पहली बार कब्जा किया था। तब से लेकर अब तक इस जगह पर तालिबानियों और अफगानी फौजों के बीच संघर्ष होता आ रहता है.

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