DESK: 15 अगस्त को भारत जब अपनी आज़ादी का जश्न मना रह था। उसी दिन अफगानिस्तान पर तालिबान ने अपना कब्ज़ा कर लिया था। 15 अगस्त की सुबह जब अफगानिस्तान के जलालाबाद पर तालिबान की कब्जे की खबर आई, तभी पता चल गया था की अब काबुल भी तालिबान के लिए दूर नहीं रह गया है। 15 अगस्त की दोपहर तक यह चीज़ साफ़ हो गई और पूरी दुनिया में यह खबर सनसनी की तरह फैल गई। इसके बाद लोगों को एक औऱ धमाका दिया राष्ट्रपति अशरफ गनी ने, जिन्होनें अचानक ही मुल्क छोड़ दिया और निकल गए।
किसी देश का राष्ट्रपति जब इस तरह मुंह छिपाए, अपने लोगों को मरता और दर्द में छोड़कर रफूचक्कर हो जाए, तो सोचिए वहां के लोगों की हालत कैसी होगी? वहां के नुमाइंदो से जुड़े कई वीडियो और तस्वीरें सोशल मीडिया पर वायरल हो रही हैं। जिससे पूरे विश्व का ध्यान अफगानिस्तान पर मुड़ गया है। लोगों का सवाल सीधा अमेरिका से है क्योंकि हमेशा से यह दावा किया कि उसने अफगानिस्तान की सेना को तालिबान के खिलाफ तैयार कर दिया है। वहीं तालिबान की यह जीत अमेरिका के मुंह पर किसी तमाचे से कम नहीं है। 24 घंटे में काबुल को अपने कब्जे में कर के तालिबान ने पूरी दुनिया को हैरान कर दिया है। किसी को इस बात की उम्मीद नहीं थी की तालिबान के आगे अफगानिस्तान की सरकार और सेना इतनी जल्दी हार मान जाएगी।
जलालाबाद पर तालिबान के कब्जे की कहानी
15 अगस्त की सुबह ही तालिबान ने जलालाबाद पर कब्ज़ा कर लिया था। जलालाबाद के गवर्नर जिया उल-हक ने तालिबान के साथ खुद समझौता करते हुए जलालाबाद को तालिबान के हवाले कर दिया था। यह कदम उठाने के पीछे उन्होंने यह बयान दिया कि उनका यह फैसला जनता की हित में है। जलालाबाद पर कब्ज़ा करने के बाद तालिबान ने राजधानी काबुल के सरोबी जिले पर कब्ज़ा कर लिया था। इस के बाद तालिबान ने काबुल को पश्चिम से भी घेर लिया था।
काबुल के गेट तक पंहुचा तालिबान
अफगानिस्तान के गृह मंत्रालय से यह ख़राब आई है की तालिबान ने फ़िलहाल काबुल को चारों तरफ से घेर रखा है। इनसब के बीच अफगानिस्तान की सरकार ने लोगों के बीच शांति बनाए रखने के लिए कहा है। उनका कहना है कि काबुल में हालत नियंत्रण में है। तालिबान की तरफ से बयान है कि उसने अपने लोगों को कहा है, काबुल के गेट पर ही इंतज़ार करने के लिए और वह लोग बलपूर्वक कब्ज़ा नहीं करेंगे।