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शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों के दी गई नई सुविधा का शिक्षक संघ ने किया स्वागत, कहा-EPF की राशि बनेगी बुढापे का सहारा

शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों के दी गई नई सुविधा का शिक्षक संघ ने किया स्वागत, कहा-EPF की राशि बनेगी बुढापे का सहारा

Patna : प्रदेश की नीतीश सरकार ने शिक्षकों और पुस्तकालयाध्यक्षों के सेवा शर्त एवं वेतन संबंधी कई प्रस्तावों पर मुहर लगाई है। जिसमें इन्हें ईपीएफ का लाभ देना भी शामिल है। इधर सरकार के इस फैसले का बिहारमाध्यमिक शिक्षक संघ द्वारा स्वागत किया गया है। 

संघ के प्रमंडल सचिव चंद्रमा सिंह, कोषाध्यक्ष रजनीकांत सिंह,चुल्हन सिंह,परीक्षा सचिव विद्यासागर विद्यार्थी, नागेंद्र प्रसाद सिंह, महात्मा गुप्ता, बिजय सिंह, रामेंद्र प्रसाद,कुमार अर्नज, रैशुल खान,दीनबंधु मांझी, प्रकाश सिंह झुन्नू, शिक्षिका कंचन सिंह, भाग्य श्री, आदि ने कहा है कि 18 अगस्त 2020 की संध्या में बिहार मंत्रिपरिषद् की बैठक में पंचायती राज संस्थाओं और नगर निकाय संस्थाओं के अंतर्गत नियुक्त शिक्षकों एवं पुस्तकालयाध्यक्षों की सेवा शर्त एवं वेतन संबंधी कई प्रस्तावों पर मुहर लगने के तुरंत बाद विभिन्न माध्यमों से शिक्षकों एवं शिक्षक संगठनों की प्रतिक्रियाओं को बहुत ही ध्यान पूर्वक सुना और पढ़ा। 

सरकार द्वारा जो नई सुविधाएं सरकार के द्वारा इन शिक्षकों को दी गई है उसमें ईपीएफ से जहां सेवानिवृत्ति के उपरांत बुढ़ापे का लाठी सिद्ध होगा। वही 1 अप्रैल 2020 से मूल वेतन में 15% की वृद्धि से महंगाई और मकान भत्ता में तदनुसार वृद्धि के बाद   कुल लगभग 4000 से 6000 रू प्रतिमाह इजाफा होगा। इस प्रकार सरकार अपने खजाने से 8000 से 10000 प्रति शिक्षक प्रतिमाह अधिक खर्च कर सकेगी। 

सरकार के इस फैसले से जहां स्नातकोत्तर प्रशिक्षित माध्यमिक और उच्च माध्यमिक शिक्षकों को प्रधानाध्यापक के 9000 पदों पर वरीयता के आधार पर बिना किसी परीक्षा के प्रोन्नति का मार्ग प्रशस्त हुआ है। वहीं उच्च माध्यमिक शिक्षकों के 50% पदों पर योग्यता धारी माध्यमिक शिक्षकों का प्रोन्नति भी मिलना निश्चित हो गया। इस प्रकार उच्च माध्यमिक शिक्षक और प्रधानाध्यापक के पद पर प्रोन्नति उपरांत सम्मान और तदनुसार वेतन में वृद्धि स्वाभाविक है। कई कारणों से हमारे हजारों शिक्षकों के दिवंगत होने के पश्चात उनके परिवार घोर अंधेरा और आर्थिक संकट में घिर गए। अब उन आश्रितों को अनुकंपा के आधार पर नौकरी देने पर मुहर लग गई। उनके कुछ आंसू अब कम बहेंगे। 

शिक्षिका कंचन सिंह ने कहा कि हमारी शिक्षिका बहनें घर परिवार और विद्यालय के बीच स्थानांतरण की सुविधा नहीं मिलने के कारण लगातार पीस रही थीं। उनकी मानसिक और शारीरिक और पारिवारिक परेशानियों से बहुत हद तक राहत मिलेगा। अब उनके साथ साथ दिव्यांग शिक्षकों एवं  शिक्षकों का भी स्थानांतरण दूसरे नियोजन इकाई के साथ-साथ दूसरे जिले में संभव हो गया है जो की उन्हें असंभव लग रहा था। मातृत्व अवकाश भी 135 दिन से बढ़ा कर 180 दिन होने से नवजात शिशु के पालन पोषण में भी सहायता मिलेगी। जहां 11 दिन प्रतिवर्ष एवं 120 दिन संचयी अर्जितावकाश मिलने से अवकाश बढ़ने के साथ-साथ सेवानिवृत्ति के समय एकमुश्त बड़ी राशि भी मिल सकेगा। इसके साथ ही पितृकावकाश 15 दिन  होने से नवजात शिशु के जन्म के बाद पालन पोषण में सहायक होगा। रमसा वर्तमान में समग्र शिक्षा अंतर्गत उत्क्रमित माध्यमिक विद्यालय के माध्यमिक शिक्षकों का वेतन भुगतान राजकीयकृत माध्यमिक और उच्च माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों के साथ राज्य मद से करने के कैबिनेट के निर्णय से सभी का वेतन भुगतान समय से एक साथ हो सकेगा।   

संघ के नेताओं ने कहा कि हालांकि नियोजन नियमावली का पुरजोर और तार्किक ढंग से बिहार विधान परिषद् में बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ के तत्कालीन महासचिव केदारनाथ पांडे 2006 मे किया गया। लेकिन इसकी उपेक्षा कर बहुमत के आधार पर उस कानून को NDA की सरकार के द्वारा बनाया गया। 2006 से ही बिहार माध्यमिक शिक्षक संघ  " समान काम -समान वेतन " एवं सेवा शर्त को लेकर विधान परिषद, पटना उच्च न्यायालय से सर्वोच्च न्यायालय तथा सड़क पर निरंतर मजबूत आंदोलन और संघर्ष करते आ रहा है। उसका निरंतर लाभ शिक्षकों को समय-समय पर मिल रहा है। 

2020 में भी एक सशक्त आंदोलन संघ के आह्वान पर शिक्षकों के द्वारा किया गया। मैं आंदोलन में शहीद 70 शिक्षकों को याद करते हुए उन सभी शिक्षकों एवं संघ के नेतृत्व वर्ग , अध्यक्ष केदारनाथ पांडेय और महासचिव शत्रुघ्न प्रसाद सिंह का ह्रदय से आभार प्रकट करता हूं। आंदोलन के उत्तरार्ध में कोरोणा संकट ने हमारे कारवां को विराम देने पर मजबूर किया अन्यथा भाजपा जदयू नित गठबंधन NDA की सरकार शिक्षक एकता, संगठन की शक्ति और अनुभवी नेतृत्व के समक्ष घुटने टेकने  पर मजबूर हो जाती। 

संघ के द्वारा अभूतपूर्व वैश्विक संकट को देखते हुए हड़ताल को स्थगित किया गया। सरकार के समक्ष हमारी 7 सूत्री मांगों में से जो मानना शेष रह गई हैं उनके लिए उचित समय और उचित रणनीति के साथ हम सभी पूरी एकजुटता के साथ संघ के बैनर तले आगे भी संघर्ष जारी रखेंगे। सफलता की सीढ़ी पर हम सभी बहुत आगे ऊपर बढ़ गए हैं मंजिल निकट है। संघर्ष यात्रा जारी रहेगा।  

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