PATNA : बिहार में राजद के तमाम कार्यकर्ताओं की चाहत है कि तेजस्वी यादव बिहार की गद्दी संभालें। गुरुवार को बिहार विधानमंडल के मानसून सत्र के आखिरी दिन यह सपना पूरा हो गया और तेजस्वी यादव कुछ समय के लिए बिहार के मुख्यमंत्री बन गए। हालांकि उन्हें यह पद अधिकारिक रुप से नहीं मिला था, बल्कि स्वघोषित सीएम के रुप में चुने गए थे।
दरअसल, अग्निपथ योजना के विरोध में पूरा विपक्ष एकजुट होकर सदन के बाहर था। जहां विधानमंडल की कार्यवाही के समानांतर एक अलग सदन का संचालन किया जा रहा था। यह एकजुट विपक्ष की विधानसभा थी। एकतरफा। ऐसी पूर्ण बहुमत वाली, जिसमें विपक्ष का एक भी सदस्य नहीं था। इस सदन के नेता, यानी ‘मुख्यमंत्री’ तेजस्वी यादव रहे। 53 मिनट के ‘स्वयंभू मुख्यमंत्री’ ने ‘सदन’ में ऐलान किया-’हम 10 नहीं, बल्कि 20 लाख नौजवानों को सरकारी नौकरी देंगे।’
अग्निपथ योजना के खिलाफ प्रस्ताप पारित
सदन ने अग्निपथ योजना के खिलाफ सर्वसम्मत प्रस्ताव पारित किया; राष्ट्रपति से इस योजना को रद्द करने का आग्रह किया गया। तेजस्वी ने सदन में कहा-’लोकतंत्र के इस मंदिर में आम लोगों की समस्याओं पर चर्चा और उसके समाधान की बात होनी चाहिए। सभी माननीय सदस्य लोगों के मसलों को उठाएं। हम उसे पूरा करेंगे। ... कुछ लोग वादा करके भूल जाते हैं। कुछ लोगों के लिए वादा जुमला होता है।
विधानसभा में राजद का ड्रामा
यह ‘सदन’,विधानसभा की लॉबी में चला। इस ‘विधानसभा’ के ‘अध्यक्ष’,राजद के अवध बिहारी चौधरी थे। वे सबसे अलग कुर्सी पर बैठे थे। इस दौरान चाय-नाश्ता भी चलता रहा। ‘अध्यक्ष’ ने राजद के सबसे बड़ा दल होने की घोषणा की। एआईएमआईएम से आए 4 विधायकों का स्वागत किया गया। वहीं कार्यवाही के दौरान एनडीए की चुनावी घोषणा का मजाक बनाते हुए कहा गया कि अध्यक्ष महोदय, हमने चुनाव में जो वादा किया था, वह हमें पूरी तरह याद है। हम अभी कैबिनेट की बैठक बुलाकर 10 नहीं, बल्कि 20 लाख नौजवानों को सरकारी नौकरी देने की घोषणा करते हैं।
मानसून सत्र खत्म
बिहार विधानमंडल का पांच दिन का मानसून सत्र गुरुवार को समाप्त हो गया। इस दौरान अग्निपथ योजना के विरोध में सदन की कार्यवाही एक दिन भी सही तरीके से नहीं चली। पूरा विपक्ष इस दौरान योजना पर सदन में चर्चा कराने की मांग करने के साथ पिछले दिनों हुए आगजनी की घटना में गिरफ्तार छात्रों को रिहा करने की मांग पर अड़ा रहा।