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आपातकाल वह दौर, ...जब सेना की पिटाई से 'लालू यादव' के मौत की फैली थी अफवाह, खबर सुनकर जेपी भी हो गए थे दुखी...

आपातकाल वह दौर, ...जब सेना की पिटाई से 'लालू यादव' के मौत की फैली थी अफवाह, खबर सुनकर जेपी भी हो गए थे दुखी...

PATNA: साल 1975 का 25 जून. इसी दिन तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने देश में आपातकाल लागू किया था. विपक्ष के बड़े-बड़े नेताओं को जेल में बंद किया जाने लगा। आपातकाल के विरोध में बिहार से विरोध का बिगूल फूंका गया. लोकनायक जयप्रकाश नारायण ने इमरजेंसी के खिलाफ बिहार की धरती से आंदालोन का आगाज किया. इस आंदोलन में लालू यादव,नीतीश कुमार,शिवानंद तिवारी,सुशील मोदी,रविशंकर प्रसाद समेत कई छात्र नेता कूद पड़े.जेपी आंदोलन में सक्रिय रहे लालू यादव उस वक्‍त एक छात्र नेता थे। इमरजेंसी के खिलाफ आंदोलन के दौरान उनकी गिरफ्तारी हुई. लालू को आंतरिक सुरक्षा अधिनियम (मीसा) के तहत गिरफ्तार किया गया था. जेपी आंदोलन के दौरान वे करीब दो साल तक जेल में रहे. नीतीश कुमार, शिवानंद तिवारी, वशिष्ठ नारायण सिंह और जेपी आंदोलन में लालू के कई साथी भी महीनों तक जेल में रहे थे. आपातकाल के दौरान लालू यादव को लेकर कई तरह की अफवाहें भी उड़ी.

छात्र जीवन से ही राजनीति में सक्रिय रहे लालू प्रसाद यादव बतौर छात्र नेता 1974 में जेपी आंदोलन से जुड़े. इसके पहले वे 1971 में पटना विश्‍वविद्यालय छात्र संघ के महासचिव तथा 1973 में अध्यक्ष बने थे. जेपी मूवमेंट के दौरान लालू प्रसाद को लेकर कई तरह की खबरें मिलती हैं. आपातकाल के दौरान बिहार आंदोलन का केंद्र था. तरीका बदल -बदल विरोध का नजारा दिखने को मिलता था. इसी विरोध प्रदर्शन के बीच एक अचंभित करने वाली खबर बड़ी तेजी से फैली थी. अफवाह ये उड़ी कि जेपी आंदोलन के चर्चित युवा नेता लालू प्रसाद की सेना की पिटाई में मौत हो गई है. यह खबर जैसे ही फैली कि आन्दोलन को तो जैसे काठ मार गया...सभी स्तब्ध.कहा जाता है कि तब आंदोलन के अगुआ जयप्रकाश नारायण भी खबर सुनकर काफी दुखी हो गए थे. 

भारत की तत्‍कालीन प्रधानमंत्री इंदिारा गांधी द्वारा लागू आपातकाल के खिलाफ जब बिहार से जयप्रकाश नारायण के नेतृत्व में सशक्‍त आवाज गूंजी तो लालू यादव भी साथ हो लिए. आंदोलन के दौरान पुलिस की लाठियां खाईं, गिरफ्तार होकर जेल भी गए. एक बार तो लालू प्रसाद की मौत की अफवाह से सनसनी मच गई थी. यह वाकया 18 मार्च 1974 का है. सड़कों पर उतर आए छात्रों के आंदोलन में लालू भी शामिल थे. उधर, सरकार आंदोलन को कुचलने पर आमादा थी. उसने आंदोलनकारियों के खिलाफ सेना को उतार दिया। उस दिन सेना ने आंदोलनकारियों को जमकर पीटा था. बड़ी संख्या में आंदोलनकारी पुलिस की पिटाई से घायल हुए थे. इस घटना के बाद यह अफवाह फैल गई कि सेना की पिटाई से बुरी तरह घायल लालू यादव की मौत हो गई है। हालांकि, बाद में लालू के सामने आने के बाद मामला शांत हुआ था. 

आपातकाल से जुड़ा लालू यादव का एक और किस्‍सा भी जान लीजिए। साल 1975 में लालू यादव को आंतरिक सुरक्षा कानून (MISA)  के तहत गिरफ्तार किया गया था, तभी उनकी बड़ी बेटी का जन्‍म हुआ। तब लालू ने बेटी का नाम 'मीसा' रख दिया। लालू कहते थे कि यह नाम उन्‍हें इंदिरा गांधी के आपातकाल व जेल जाने की याद दिलाता रहेगा. अब इसे राजनीति की विडंबना ही कहिए,जिस कांग्रेसी शासन के आपातकाल के खिलाफ में लालू ने आंदोलन किया था, जिस याद में बेटी का नाम मीसा भारती रखा, आज कांग्रेस के ही साथ कंधे से कंधा मिलाकर खड़े हैं.

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