PATNA : एक दशक पहले तक बिहार में राजधानी पटना को छोड़कर शायद ही कोई ऐसा जिला रहा होगा, जहां बिजली की किल्लत नहीं होती होगी। कहीं पांच तो कहीं दस घंटे बिजली मिलती थी। लेकिन आज स्थिति पूरी तरह से बदल गई है। आज बिहार में बिजली उपलब्ध हो रही है, बल्कि अब इस स्थिति में पहुंच गए हैं कि इसे बेचकर सरकार पैसे भी कमा रही है। बिजली के लिए बाजार में चिरौरी करने वाला बिहार पावर सेक्टर में सरप्लस स्टेट हो गया है। अपनी जरूरत पूरी करने के बाद वह सरप्लस बिजली बाजार में बेच रहा है।
उत्पादन बढ़ने का मिल रहा फायदा
बिहार में बिजली की मांग रोजाना औसतन 5000-5500 मेगावाट है। हालांकि इस समय 4500-5000 मेगावाट की ही डिमांड है। पिछले दिनों तक बिहार की डिमांड 4500 मेगावाट ही थी। इस समय बिहार का केन्द्रीय कोटा 7000 मेगावाट से अधिक हो गया है। जबकि उसकी अधिकतम जरूरत 6500 मेगावाट के आसपास है। साथ ही बिहार के बिजलीघरों से भी पर्याप्त बिजली का उत्पादन हो रहा है। जिससे बिहार की जरुरत को पूरा करने में आसानी हो रही है। साथ ही सप्लाई की तुलना में डिमांड कम होने के कारण इसे दूसरे राज्यों में बेचा भी भी जा रहा है। बिहार बिहार इस समय रोजाना एक से डेढ़ करोड़ की बिजली बाजार में बेच रहा है। जिससे पिछले दिनों अधिक कीमत पर बिजली की खरीद की भरपाई की जा रही है।
इस कारण बदली स्थिति
बिहार में बिजली के सरप्लस होने का मुख्य कारण यहां नए बिजली घरों का पूरी क्षमता के साथ उत्पादन करना है। इसमें एनटीपीसी के थर्मल पावर, एनएचपीसी के हाइड्रोपावर के अलावा सौर ऊर्जा व विंड पावर और अन्य पावर प्लांट से मिलने वाली बिजली शामिल है। इस साल बाढ़, बरौनी और नवीनगर बिजलीघर से बिजली की आपूर्ति शुरू होने के बाद बिहार सरप्लस पावर स्टेट बन गया। इस साल इन तीनों बिजलीघरों से बिहार को लगभग 675 मेगावाट बिजली की आपूर्ति शुरू हुई है।
बिहार के उपभोक्ताओं को लाभ
बिहार में बिजली के सरप्लस होने का लाभ यहां के उपभोक्ताओं को भी मिल सकता है। बिजली के होने वाले घाटे को कम करने से भविष्य में बिजली की बढ़ती कीमतों पर भी होगा। माना जा रहा है बाजार से मिलने वाली धनराशि के कारण बिहार में बिजली की कीमतें नियंत्रित होंगी। बिजली उपभोक्ताओं पर टैरिफ का अधिक भार नहीं पड़ेगा। ग्राहकों को सस्ती दरों पर बिजली मिल सकेगा।
ऊर्जा मंत्री ने भी जताई खुशी
बिहार में बिजली की स्थिति में सुधार होने पर ऊर्जा मंत्री विजेंद्र प्रसाद ने भी खुशी जाहिर की है। उन्होंने कहा कि जरूरत से अधिक बिजली होने पर बाजार जाना स्वाभाविक है। आज बिहार में हर जगह बिजली है। भविष्य की जरुरतों को लेकर भी हमारे पास पूरा रोडमैप तैयार है। हम अपनी जरूरत पूरी करने के बाद शेष बिजली बाजार को देंगे। उससे किसी और की जरूरत पूरी होगी।
बिहार का सेंट्रल कोटा 6741 मेगावाट
- थर्मल पावर 5261 मेगावाट
- पनबिजली 753 मेगावाट
- सौर ऊर्जा 638 मेगावाट
- पवन ऊर्जा 500 मेगावाट
एनटीपीसी के बिजलीघरों से तय कोटा : 5261 मेगावाट
- नवीनगर 1048 मेगावाट
- तालचर 427 मेगावाट
- कहलगांव 424 मेगावाट
- बरौनी 610 मेगावाट
- कांटी 292 मेगावाट
- बाढ़ स्टेज-2 1188 मेगावाट
- बाढ़ स्टेज-1 401 मेगावाट
- फरक्का : 636 मेगावाट
- रेल बिजली 75 मेगावाट
- दरलीपाली 160 मेगावाट