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सिर्फ 5 फीसदी सीमेंट-बालू का इस्तेमाल, बांस के ढांचे पर तैयार किया जा रही स्कूल की इमारत, बड़े-बड़े भूकंप झेलने की है क्षमता

सिर्फ 5 फीसदी सीमेंट-बालू का इस्तेमाल, बांस के ढांचे पर तैयार किया जा रही स्कूल की इमारत, बड़े-बड़े भूकंप झेलने की है क्षमता

KATIHAR : तुर्की और सीरिया में आए विनाशकारी भूकंप ने  दुनिया के कई देशों को सोचने को मजबूर कर दिया है कि आने वाले दिनों में हम लोगों के रहने का मकान, ऑफिस, सरकारी कार्यालय या खासकर बच्चों का स्कूल का स्वरूप क्या होना चाहिए जिससे भूकंप की स्थिति में कम से कम जान माल की नुकसान हो, कैलिफोर्निया के रहने वाले रवि वर्मा इस दिशा में एक नायाब कंस्ट्रक्शन के तरीके को विकसित किया है और इसी तकनीक से वह कटिहार के दलन गांव में स्कूल का निर्माण किया जा रहा है

पूरी तरह क्लाइमेट फ्रेंडली एवं भूकंप रोधी इस तकनीक में 95  प्रतिशत बांस का इस्तेमाल किया जा रहा है जबकि महज 5 प्रतिशत बालू सीमेंट और अन्य मटेरियल का इस्तेमाल हुआ है, इस तकनीक से बनाए गये भव्य आलीशान बिल्डिंग टिकाऊ के साथ-साथ देखने में खूबसूरत तो बन ही रहा है साथ ही ईट,बालू और अन्य मटेरियल से बने मकान से इसकी कीमत कई गुना कम भी है और इसे निर्माण के लिए समय भी कम लगता है

 

स्टील से ज्यादा मजबूत है बांस

रवि वर्मा ने बताया वह कैलिफोर्निया के जिस इलाके से आते हैं, वहां अक्सर भूकंप आते है, जिससे बचने के लिए ज्यादा इमारतों में लकड़ी का प्रयोग किया जाता है। यहां स्कूल के निर्माण में हमने लकड़ी के तौर पर बांस का इस्तेमाल किया है। उन्होंने बांस स्टील से ज्यादा मजबूत होता और यह भूकंप के बड़े झटके झेल सकता है। सिर्फ इसके इस्तेमाल से पहले फंगस से बचने के लिए कैमिकल का पेंट करना पड़ता है। उन्होंने बताया जापान में सबसे ज्यादा भूकंप आता है। इसलिए वहां ज्यादातर बांस का इस्तेमाल किया जाता है। 

बोध गया में हुआ मंदिर का निर्माण 

इंजीनियर रवि वर्मा ने बताया कि बिहार में बोधगया जिले में पहले से ही एक जापानी मंदिर का निर्माण बांस के ढांचे पर किया गया है। यह पूरी इमारत न सिर्फ खूबसूरत है, बल्कि टिकाऊ भी है। उन्होंने बताया कि जब मैनें यहां इस तकनीक का प्रयोग शुरू किया तो शुरू में काम करनेवाले लोगों को शंका थी लेकिन अब धीरे-धीरे उन्हें भी यह समझ में आने लगा है कि बांस का प्रयोग कितना फायदेमंद है।

बताते चलें बिहार का यह इलाका भूकंप जोन में आता है, ऐसे में कोसी और सीमांचल में पहली बार क्लाइमेट फ्रेंडली भूकंप रोधी यह तकनीक तेजी से घर मकान बनाने वाले लोगों के लिए बेहद कारगर साबित हो सकता है, कटिहार में बांस को विशेष विधि से कीड़ा मकोड़ा से बचाने के साथ-साथ कई मेटेरियल से तैयार किये जा रहे ऐसे मकान से जुड़े तमाम तकनीकी पहलू पर कैलिफोर्निया से आए कटिहार के रवि वर्मा और इस साइट में काम कर रहे हैं

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