PATNA: बिहार में भ्रष्टाचार पर प्रहार सिर्फ दिखावे के लिए होता है. भ्रष्ट लोकसेवकों पर कार्रवाई की रफ्तार काफी धीमी है. अगर किसी अधिकारी पर भ्रष्टाचार को लेकर केस दर्ज किया भी गया, तो वर्षों तक केस को जांच में ही रखा जाता है. भ्रष्ट अफसर इतने ताकतवर होते हैं कि विभागीय़ कार्यवाही को भी दबवा कर बैठे रहते हैं. लिहाजा वैसे दागियों पर कोई कार्रवाई नहीं होती. वैसे लोक सेवक जो निगरानी की जद में आ गए वे भ्रष्टाचारी हुए, बाकी पाक साफ. भवन निर्माण विभाग में आज भी कई ऐसे अभियंता हैं जो धनकुबेर हैं. एक-एक दिन में करोड़ों की संपत्ति पत्नी के नाम पर खरीद रहे.
भ्रष्ट अभियंताओं पर कार्रवाई की धीमी रफ्तार
आज भवन निर्माण विभाग की बात करें. 2021 से लेकर अब तक विभाग के कई इंजीनियरों के खिलाफ निगरानी, आर्थिक अपराध इकाई ने कार्रवाई की. नतीजा शून्य ही है. निगरानी विभाग का 30 दिसंबर 2022 तक का आंकड़ा है. निगरानी ने 2021 से लेकर अब तक 6 कार्यपालक अभियंता, एक सहायक अभियंता व एक कर्मी के खिलाफ डीए या ट्रैप केस किया. सभी केसों में अभी जांच जारी है. निगरानी ने 2017 के बाद 13 सितंबर 2021 को भवन निर्माण विभाग के किसी अभियंता पर केस किया था. पटना सिटी रोड डिवीजन के कार्यपालक अभियंता कौंतेय कुमार के खिलाफ निगरानी ने आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज कर छापेमारी की थी. रेड में अकूत संपत्ति का पता चला था. यह केस अभी जांच में है. इसके बाद एक और कार्यपालक अभियंता राजेश कुमार को निगरानी ने 27 दिसंबर 2022 को पहले रिश्वत लेते गिरफ्तार किया. इसके बाद ठिकानों पर छापेमारी की तो अकूत संपत्ति का पता चला. फिर 17 जनवरी 2022 को आय से अधिक संपत्ति का केस दर्ज किया. इसके बाद मोतिहारी में पदस्थापित भवन निर्माण के कार्यपालक अभियंता मधुकांत मंडल के खिलाफ 28 मार्च 22 को आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने का केस दर्ज किया गया. हाजीपुर में पदस्थापित विभाग के एक अकाउंटेंट को रिश्वत लेते गिरफ्तार किया गया . 22 अगस्त 2022 को औरंगाबाद के सहायक अभियंता सीताराम सहनी को घूस लेते गिरफ्तार किया गया. विभाग के स्तर से अभियोजन की स्वीकृति लंबित बताया गया है. फिर 2 दिसंबर 2022 को पटना सेंट्रल के कार्यपालक अभियंता संजीत कुमार को रिश्वत लेते निगरानी ने पकड़ा. गिरफ्तारी के बाद जब ठिकानों की तलाशी ली गई तो करोड़ों रू मिले थे. इन सभी के खिलाफ या तो विभागीय कार्यवाही शुरू नहीं हुई या फिर लंबित है.
भवन निर्माण के एक कार्यपालक अभियंता ने प्लॉट खरीदने में बनाया है रिकार्ड
अब जरा भवन निर्माण विभाग के अभियंताओं के संपत्ति अर्जित करने की बात पर आते हैं. कुछ ऐसे कार्यपालक अभियंता हैं जो मोटी रकम देकर मनचाही पोस्टिंग लेते हैं, फिर दोनों हाथ से माल बटोरते हैं. कुछ ऐसे हैं जो ईमानदारी से भी काम करते हैं. अब जरा देखिए....पटना में पदस्थापित भवन निर्माण के एक कार्यपालक अभियंता ने एक दिन मेंदो करोड़ से अधिक की संपत्ति पटना में खऱीद लिया. भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभिय़ंता ने जून 2023 में ही करोड़ों की जमीन खरीदकर एक तरह से रिकार्ड ही बनाया है. नीतीश राज में यह एक अनोखा रिकार्ड है, जिसमें एक कार्यपालक अभियंता ने एक दिन में अपनी पत्नी के नाम पर सरकारी रेट से एक करोड़ से अधिक का भूखंड खरीदा. जमीन खरीदना गलत नहीं,पर भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता ने आखिर इतना व्हाइट पैसा कहां से लाया यह तो जांच के बाद पता चलेगा, लेकिन इसकी चर्चा जोरों पर है कि सरकारी रेट अगर एक करोड़ से अधिक का है तो मार्केट वैल्यू 2-3 करोड़ के बीच होगा.
जून 2023 में अभियंता ने पत्नी के नाम पर करोड़ों की जमीन खरीदी
भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता ने राजधानी से सटे इलाके में 8 कट्ठा कॉमर्शियल प्लॉट की खरीद की है. जमीन पत्नी के नाम पर खऱीदी गई है. लगभग 24 डिसमिल जमीन को पत्नी के नाम पर चार टुकड़ों में खरीदा गया है. सबसे बड़ा टुकड़ा लगभग 15 डिसमिल है, जिसका फाईनल सरकारी रेट लगभग 64 लाख है. इसके अलावे दूसरे प्लॉट का सरकारी मूल्य 30 लाख रू दर्शाया गया है. दो अन्य टुकड़ा जिसका मूल्य 5-5 लाख से अधिक है. इंजीनियर साहब ने पत्नी के नाम पर यह प्रोपर्टी रजिस्ट्री कराई है. उक्त जमीन पटना के नौबतपुर के पेरिफेरल एरिया में अवस्थित है. बताया जाता है कि उक्त जमीन बिहटा-दनियावां एनचएच किनारे अवस्थित है. सरकारी कागजात में जमीन को कॉमर्शियल नौबतपुर अंचल दर्शाया गया है.
उर्वर जगह पर पदस्थापित हैं कार्यपालक अभियंता
अब आपको बताएं कि वो कार्यपालक अभियंता हैं कौन....? जिन्होंने इसी महीने करोड़ों की जमीन एक दिन में खरीद की है. भवन निर्माण विभाग के कार्यपालक अभियंता राजधानी पटना में पदस्थापित हैं. बताया जाता है कि जिस जगह पर पदस्थापति हैं वो काफी उर्वर जगह है. काम बड़े-बड़े लोगों के आवास का रख रखाव का करते हैं. इंजीनियर साहब जहां पदस्थापित हैं उसका नाम भी काफी ऐतिहासिक है. वैसे सभी लोकसेवक हर वर्ष संपत्ति का ब्योरा देते हैं. सरकार सभी से जनवरी-फऱवरी में संपत्ति की ब्योरा ले लेती है,जिसे अप्रैल में जारी किया जाता है. अगर कोई लोकसेवक इस अवधि के बाद संपत्ति अर्जित करता है तो उसे खरीदने से पहले विभाग को बताना होता है. अब कार्यपालक अभियंता ने पत्नी के नाम पर करोड़ों की जमीन खरीद की बात, विभाग के बड़े अधिकारी को लिखित में जानाकारी दी है या नहीं, यह तो जांच के बाद ही पता चलेगा.
