AURANGABAD : बिहार में बंद हो गई ट्रैफिकिंग यानी मानव तस्करी का खेल पुनः चालू हो गया है। अथक सरकारी प्रयासों से यह खेल पहले लगभग बंद सा हो गया था। लेकिन अब ट्रैफिकर्स का लंबा नेटवर्क फिर से हावी हो गया है। ऐसे में बेहद सावधान रहने की जरूरत है क्योकि रूपयों के लालच में आपके आसपास के अपने ही लोग जाने-अनजाने में ट्रैफिकर्स बने बैठे है। ये तो बस यह समझते है कि अपने संपर्क के माध्यम से वें अपने पास पड़ोस के किसी दुखियारे की सहायता कर रहे है और बदले में उन्हे भी कुछ अर्थलाभ हो रहा है, पर अनजाने में ही सही रूपयों के लालच में उनसे भी भूल हो जा रही है। ट्रैफिकर्स के शिकार हो चुके लोगो को पहले तो यह पता ही नही चलता कि वे बिक चुके है। उन्हें तो लगता है कि वे नौकरी कर रहे है पर बाद में जब पता चलता है कि उनके साथ अनहोनी हो चुकी है तो वे कही के नही रहते है। उनके साथ न घर के न घाट के वाली स्थिति लागू हाेने लगती है।
ट्रैफिकिंग के ऐसे ही खेल का खुलासा राजस्थान से औरंगाबाद की दो नाबालिग बहनों की बरामदगी से हुआ है। बरामदगी के बाद दोनो बहनों ने बताया कि उन दोनों को उनकी सहेली का भाई नंदलाल सहेली से मिलाने के बहाने राजस्थान के जोधपुर के इंडोन ले गया। वहां उसने दोनों को उसकी सहेली यानी अपनी बहन से भी मिलाया। लेकिन अगले ही दिन बाजार घुमाने के बहाने मंडी में ले जाकर 70 हजार में बेच दिया। वहां दोनो से अनैतिक काम कराया जाने लगा। इस वाकये के 15 दिन बाद दोनों बहनों में एक ने मौका मिलने पर किसी दूसरे के मोबाइल से परिजनों को आपबीती बताई। आपबीती जानकर परिजन पुलिस की शरण में गए। फिर हरकत में आई औरंगाबाद पुलिस ने राजस्थान जाकर दोनो बहनों को सकुशल बरामद किया, लेकिन वहां ट्रैफिकर्स पुलिस के हाथ नही लग सके।
अब औरंगाबाद पुलिस दोनो बहनों का मेडिकल चेकअप कराने और अदालत में बयान कराने के बाद उनकी सहेली के भाई नंदलाल की सरगर्मी से तलाश कर रही है, जो फिलहाल पुलिस की पकड़ से बाहर है। इधर खरीददारों की दिलेरी देखिएं कि उन्होने किसी तरह से बहनों के परिजनो का नंबर हासिल कर लिया और उस नंबर पर कॉल कर एक पीड़िता के पिता से दोनो को खरीदने के एवज में नंदलाल को दिये गये 70 हजार की रकम की वापसी की मांग कर रहे है। यह तो दोनो बहनो के साथ संयोग रहा कि उन्हे दलदल से निकलने का मौका मिल गया पर बहुतो को ऐसे मौके नही मिल पाते और वे उसी दलदल में ताउम्र फंसी रहती है।
हालांकि पुलिस ने दोनों बहनो को सकुशल बरामद तो कर लिया। लेकिन उनके परिजनों पर क्या बीता, वह भी एक पीड़िता के पिता की जुबानी जान लीजिए। उसने बताया कि दोनों बहनों को बरामद कराने के लिए पुलिस को अपने खर्चे पर राजस्थान ले गये। वहां होटल का किराया भी उन्होंने ही भरा। इस दौरान पैसे घटने पर घर से कुछ पैसे भी मंगाए पर पैसे पर्याप्त नही होने पर पुलिस दोनो बहनों को तो अपने साथ लेकर औरंगाबाद आ गई पर उन्हे राजस्थान में ही छोड़ दिया। बाद में किसी तरह से पैसों का जुगाड़ कर वे वापस औरंगाबाद लौटे। वही पूरे मामले को लेकर जब औरंगाबाद के पुलिस कप्तान कांतेश कुमार मिश्रा से बात की गई तो उन्होने कहा कि दोनो पीड़िता द्वारा अदालत में दिए गये बयान के आधार पर पुलिस कार्रवाई कर रही है। कोई भी दोषी बख्शा नही जाएंगा और सारे दोषी सलाखों के अंदर होंगे।
औरंगाबाद से दीनानाथ मौआर की रिपोर्ट