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डेढ़ दशक का इंतजार हुआ खत्म, बिहटा-औरंगाबाद रेलवे लाइन का रास्ता साफ, रेलवे ने जारी किया साढ़े 376 करोड़ का फंड, बनेंगे 12 स्टेशन

डेढ़ दशक का इंतजार हुआ खत्म, बिहटा-औरंगाबाद रेलवे लाइन का रास्ता साफ, रेलवे ने जारी किया साढ़े 376 करोड़ का फंड, बनेंगे 12 स्टेशन

AURANGABAD : पिछले दो दशक से औरंगाबाद और बिहटा के बीच रेल सेवा शुरू करने की मांग अब पूरी होने जा रही है। मोदी सरकार के दूसरे कार्यकाल का अंतरिम बजट में औरंगाबाद -बिहटा रेल परियोजना के लिए सरकार ने 376 करोड़ रुपये देने की घोषणा की है। इस घोषणा से जिले वासियों में हर्ष का माहौल है। जल्द ही रेलवे लाइन का कार्य प्रारंभ होने की उम्मीद है।  रेल लाइन से जुड़ जाने के बाद अरवल की तस्वीर व तकदीर दोनों बदल जाएगी। जिले में विकास को पंख लग जाएंगे। पिछले 16 वर्षों से औरंगाबाद-बिहटा रेल लाइन के लिए आंदोलन चल रहा है।

अरवल, दाउदनगर में बनेगा रेलवे स्टेशन

बिहटा से औरंगाबाद रेल लाइन निर्माण हो जाने के बाद 12 स्टेशन बनाने का सर्वे किया गया है। विक्रम, दुल्हिन बाजार, पालीगंज, बारा, अरवल, खभैंणी, मेहंदिया कलेर, शमशेर नगर, दाउदनगर, ओबरा और भ्रथौली में रेलवे स्टेशन बनाया जाएगा। इस परियोजना में हाल्ट बनाने के लिए भी सर्वे किया जाएगा।

पिछले साल सर्वे के लिए मिले थे 86 करोड़

रेल लाइन आंदोलन के संयोजक मनोज सिंह यादव के द्वारा पदयात्रा, दिल्ली जंतर मंतर पर धरना और बिहटा में रेलवे रोको आंदोलन भी चलाया गया था। अलग-अलग लोगों द्वारा भी आंदोलन चलाया गया। परिणाम स्वरूप, पिछले वर्ष सरकार ने बजट में 120 किमी रेलवे लाइन के सर्वे के लिए 86 करोड़ रुपये दिया था, जिसका काम 21 जनवरी को पूरा हो चुका है। अब रेल लाइन निर्माण के लिए पैसा मिला है।

रेल परियोजना शुरू होने से पटना, औरंगाबाद और अरवल जिले के 90 लाख लोगों सीधा रेल लाइन से जुड़ जाएंगे, जिससे इस क्षेत्र के लोगों को कई तरह के विकास के मार्ग खुल जाएंगे। तीनों जिले के व्यापारी, किसान, मजदूर और छात्र-छात्राओं को यातायात के नए साधन मिल जाने से परेशानी कम होगी। सड़क मार्ग से यात्रा करने की निर्भरता समाप्त हो जायेगी। 

रेल मंत्री रहते हुए लालू प्रसाद ने रखी थी निर्माण की आधारशिला

16 अक्टूबर 2007 को पटना जिला के पालीगंज मैदान में लालू प्रसाद यादव ने रेल लाइन निर्माण का आधारशिला रखी थी। सात वर्षों तक यह योजना मृतप्राय रही, इसके बाद पटना, औरंगाबाद और अरवल जिले के लोगों ने 2014 में आंदोलन की शुरुआत की। बिहार से लेकर दिल्ली तक आंदोलन चला। लगातार चले आंदोलन बाद पिछले वर्ष से इस परियोजना के लिए राशि मिलनी शुरू हुई।


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